Siberia : करीब एक दशक पहले साइबेरिया में आठ ,160 फीट गहरे विशालकाय गड्ढों की खोज की गई थी।  जिनमें से विस्फोट की भयानक आवाज आती थी। (Wikimedia Commons)
Siberia : करीब एक दशक पहले साइबेरिया में आठ ,160 फीट गहरे विशालकाय गड्ढों की खोज की गई थी। जिनमें से विस्फोट की भयानक आवाज आती थी। (Wikimedia Commons)

साइबेरिया के इन गड्ढों से आती है भयानक आवाजे, वैज्ञानिकों ने किया खुलासा, जानें क्या है कारण

इन गड्ढों की गरहाई 160 फीट है जिनमें से विस्फोट की भयानक आवाज भी आती थी। गड्ढों से आने वाली आवाजों को लेकर वैज्ञानिक सालों से परेशान थे।
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Siberia : दुनिया में नई-नई खोजें होती रहती है और ऐसे ही करीब एक दशक पहले साइबेरिया में आठ गहरे विशालकाय गड्ढों की खोज की गई थी। इन गड्ढों की गरहाई 160 फीट है जिनमें से विस्फोट की भयानक आवाज भी आती थी। गड्ढों से आने वाली आवाजों को लेकर वैज्ञानिक सालों से परेशान थे। रूस के उत्तरी यमाल और जिडान प्रायद्वीप में इन गड्ढों की खोज की गई थी वैज्ञानिकों ने हाल ही में इन गड्ढों को लेकर खुलासा किया है। बीते कई सालों से इन गड्ढों को लेकर अलग-अलग वजहें दी जाती है।

एक वजह गड्ढे यानी क्रेटर ऐतिहासिक झील का हिस्सा हैं। यह झील ज्यादा सर्दी के कारण पहले जम गई और फिर सूख गई। इसके बाद जमीन के भीतर से प्राकृतिक गैस के बाहर निकलने का दबाव बढ़ने से भयानक विस्फोट के साथ बड़े-बड़े गड्ढों को निर्माण होता गया। हालांकि ऐतिहासिक झील वाली बात गलत साबित हुई, क्योंकि जायंट एस्केप क्रेटर्स पर यह फिट नहीं होती, क्योंकि प्रायद्वीप पर भौगोलिक स्थितियां इस तरह की नहीं हैं। हर गड्ढे के ऊपर कोई ऐतिहासिक झील नहीं थी। इससे यह खुलासा नहीं होता है कि आखिर यह गड्ढे सिर्फ उत्तरी रूस में ही क्यों बन गए है।

इस जमीन में भारी मात्रा में मीथेन गैस जमा हो गई। यहां पर भारी मात्रा में प्राकृतिक गैस का भंडार बन गया है, जिसकी वजह से गर्मी पैदा हो रही थी। (Wikimedia Commons)
इस जमीन में भारी मात्रा में मीथेन गैस जमा हो गई। यहां पर भारी मात्रा में प्राकृतिक गैस का भंडार बन गया है, जिसकी वजह से गर्मी पैदा हो रही थी। (Wikimedia Commons)

क्या है सही वजह?

इस जमीन में भारी मात्रा में मीथेन गैस जमा हो गई। यहां पर भारी मात्रा में प्राकृतिक गैस का भंडार बन गया है, जिसकी वजह से गर्मी पैदा हो रही थी। भीतर से पर्माफ्रॉस्ट पिघल रहा था। इसके कारण जमीन के अंदर हवा के पॉकेट बन रहे थे। फिर धीरे-धीरे तापमान बढ़ने लगा, तब रूस के रूस के पर्माफ्रॉस्ट के पिघलने का खतरा भी बढ़ने लगा। जलवायु परिवर्तन के कारण यमाल और जीडान में पर्माफ्रॉस्ट लगातार पिघलता जा रहा था। इसके कारण परत पतली हो रही थी। कमजोर पर्माफ्रॉस्ट पर जब नीचे की तरफ से गैस निकलने का दबाव बना तो जो एयर पॉकेट बने थे,वह धंस गए। ऊपर की मिट्टी जमीन में धंस गई और बड़े गड्ढे बन गए।

हो रहे है विस्फोट

पहले ये छोटे गड्ढे बनने लगे जो बाद में विस्फोट की वजह से बड़े होते चले गए। इस इलाके में ऐसे आठ गड्ढे बने हैं। विस्फोट के कारण भारी मात्रा में बर्फ बाहर निकली, जिसकी वजह से जमीन पर आसपास दरारें भी पड़ीं। वैज्ञानिक मानते हैं कि अभी और गड्ढे रहे होंगे, जो समय के साथ पानी और मिट्टी के बहाव से भर गए होंगे।

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