रेव पार्टी में होता है सांप के जहर का नशा! लोग डसवाते हैं खुद को इन सांपों से

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के एक अध्ययन के अनुसार इन दिनों लोग सांप, बिच्छू जैसे रेप्टाइल्स के जहर का इस्तेमाल मनोरंजक उद्देश्यों और अन्य नशीले पदार्थों के विकल्प के रूप में करते हैं।
Snake Venom Smuggling: इस नशे का मानव के शरीर पर 3-4 हफ्तों तक असर रह सकता है। (Wikimedia Commons)
Snake Venom Smuggling: इस नशे का मानव के शरीर पर 3-4 हफ्तों तक असर रह सकता है। (Wikimedia Commons)

Snake Venom Smuggling : दुनिया में शायद ही कोई व्यक्ति होगा, जो सांप के जहर से डरता नहीं होगा क्योंकि सांपों का जहर इतना जहरीला होता कि इसके काटने के कुछ देर बाद ही इंसान की मौत हो जाने की संभावना होती है लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि इन दिनों लोग नशे के लिए रेव पार्टी में सांप के जहर का इस्तेमाल करते हैं। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के एक अध्ययन के अनुसार इन दिनों लोग सांप, बिच्छू जैसे रेप्टाइल्स के जहर का इस्तेमाल मनोरंजक उद्देश्यों और अन्य नशीले पदार्थों के विकल्प के रूप में करते हैं। ऐसे में लोगो के मन में ये सवाल उठता है कि आखिर कैसे लोग सांप के जहर का नशा करते हैं, तो आइए जानते हैं की आज के युवा किस प्रकार सांप तथा बिच्छू जैसे रेप्टाइल्स के जहर का नशा कर रहे हैं।

सांप के जहर का नशा करने के लिए लोग सांप को अपने होंठ के पास रखकर खुद को कटवाते हैं(Wikimedia Commons)
सांप के जहर का नशा करने के लिए लोग सांप को अपने होंठ के पास रखकर खुद को कटवाते हैं(Wikimedia Commons)

कैसे किया जाता है सांप के जहर का इस्तेमाल

इंडियन जर्नल ऑफ फिजियोलॉजी एंड फार्माकोलॉजी के रिसर्च पेपर के मुताबिक सांप के जहर का नशा करने के लिए लोग सांप को अपने होंठ के पास रखकर खुद को कटवाते हैं इसके अलावा इसका नशा करने के लिए लोग खुद को होंठ, जीभ या कान के लोब पर भी सांप से डसवाते हैं या इसके लिए व्यक्ति को सांप के जहर की हल्की डोज दी जाती है। जो उसके दिमाग को सुन्न करने का काम करती है। ये बहुत जल्दी में किया जाता है, ताकि ज्यादा जहर ना जाए। वैज्ञानिक स्टडीज की मानें तो इस नशे का मानव के शरीर पर 3-4 हफ्तों तक असर रह सकता है।

क्या लिखा है कानून में

जानकारी के अनुसार नशा करने के लिए सांप की कुछ खास प्रजातियों का इस्तेमाल किया जाता है। इसके लिए इन सांपों की तस्करी की जाती है। भारतीय संविधान के वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 में पौधों के अलग-अलग प्रजातियों और जंगली जानवरों से बने उत्पादों के व्यापार के विनियमन एवं नियंत्रण के लिए नियम बनाए गए हैं। जानवरों का गलत इस्तेमाल या तस्करी करना वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन एक्ट के सेक्शन 49 और सेक्शन 49 B के तहत ये अपराध है। ऐसा करने पर कानून के तहत तीन से सात साल तक की सजा का प्रावधान है।

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