
यह घटना करीब एक महीने पहले की बताई जा रही है। जब पीड़ित महिला अपनी Tata Punch कार से घर लौट रही थीं, तभी एक PCR वैन में तैनात कांस्टेबल ने उनकी कार का नंबर लेकर। बाद में उसी नंबर का इस्तेमाल करके महिला की निजी जानकारी और सोशल मीडिया प्रोफाइल तक पहुंच बनाई। फिर कुछ समय बाद महिला को इंस्टाग्राम पर एक अजनबी अकाउंट से उनके एक रील पर मैसेज आया कि “क्या आप सेक्टर 45 में Tata Punch चलाकर आई थीं?”
ऐसे सवाल को देखकर महिला हैरान रह गईं। फिर उस इंसान ने कहा कि क्या आप इनबॉक्स में आएगी और जब आगे उस महिला की बात हुयी तो मालूम चला कि वह गुरुग्राम पुलिस का कांस्टेबल है। आरोपी ने खुद स्वीकार किया कि उसने PCR वैन से महिला को देखा, उनका वाहन नंबर ट्रेस किया और फिर इंस्टाग्राम पर उनका प्रोफाइल खोजा। उसने यह भी कहा कि वह महिला की “पर्सनैलिटी से प्रभावित” (Influenced by personality) हो गया था और दोस्ती करना चाहता था।
महिला ने इन सभी बातो को सोशल मीडिया (Social Media) पर साझा किया और लिखा कि “ जो पुलिसकर्मी हमारी सुरक्षा के लिए है अगर वही PCR वैन में बैठकर हमारी लोकेशन ट्रैक कर हमें परेशान करेंगे, तो महिलाएं किस पर भरोसा करें?”
महिला (Women) की पोस्ट वायरल होने के बाद मामला चर्चा में आ गया है। शुरुआत में पुलिस ने सिर्फ आरोपी को ब्लॉक करने की सलाह दी थी, लेकिन 23 सितंबर 2025 को सार्वजनिक दबाव के बाद कांस्टेबल को निलंबित कर दिया गया है और उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) की धारा 354D (पीछा करना), 509 (महिला की मर्यादा का अपमान) समेत अन्य धाराओं पर FIR दर्ज की गई है।
गुरुग्राम पुलिस के एक प्रवक्ता ने बयान जारी करते हुए कहा कि, “इस तरह का आचरण अस्वीकार्य है। आरोपी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू कर दी गई है।”
हमे इस बात पर गौर करते हुए सोचना होगा की यह घटना केवल एक व्यक्तिगत उत्पीड़न का मामला नहीं, बल्कि यह उस प्रणाली की कमजोरी को भी उजागर करती है, जो महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बनी है। जब सुरक्षा देने वाला ही असुरक्षा का कारण बन जाए, तब समाज के लिए आत्ममंथन का समय आ जाता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह मामला निजता के अधिकार और डेटा सुरक्षा (Privacy Rights and Data Protection) को लेकर भी हमारे मन में चिंता पैदा करता है। ऐसी जानकारी तक पहुंच तो पुलिसकर्मियों को है, लेकिन उसका दुरुपयोग करना बेहद गंभीर अपराध माना जाना चाहिए।
इस घटना ने एक बार फिर इस सवाल को सामने लाया है कि “क्या महिलाएं ऐसे हालत में सच में सुरक्षित हैं, जब उनके रक्षक ही भक्षक बन जाए।
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