ग्रेटर नोएडा में निक्की की संदिग्ध मौत: दहेज प्रताड़ना और घरेलू हिंसा पर उठे सवाल

ग्रेटर नोएडा (Greater Noida) की निक्की (Nikki) की संदिग्ध हालात में हुई मौत ने पूरे समाज को झकझोर दिया है। दहेज (Dowry) की माँग और घरेलू हिंसा का यह दर्दनाक मामला कई सवाल उठाता है, आखिर क्यों 21वीं सदी में भी बेटियाँ असुरक्षित हैं ? कब तक निक्की जैसी मासूम ज़िंदगियाँ कुर्बान होती रहेंगी ?
21 अगस्त को सिरसा गाँव में 26 वर्षीय निक्की की संदिग्ध हालात में आग से झुलसकर मौत हो गई।
21 अगस्त को सिरसा गाँव में 26 वर्षीय निक्की की संदिग्ध हालात में आग से झुलसकर मौत हो गई।(AI)
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ग्रेटर नोएडा (Greater Noida) का दादरी इलाक़ा, जहाँ कभी निक्की (Nikki) का हँसता-खेलता बचपन बीता था, आज वहां मातम और ग़ुस्से का घर बन गया है। 21 अगस्त को सिरसा गाँव में 26 वर्षीय निक्की की संदिग्ध हालात में आग से झुलसकर मौत हो गई। निक्की की मौत ने न सिर्फ़ उसके परिवार को तोड़ दिया बल्कि पूरे समाज को झकझोर दिया कर रख दिया।

इस घटना की शुरूआत कैसे हुई ?

पुलिस की जाँच और परिवार के आरोप बताते हैं कि निक्की की मौत एक सोची-समझी साज़िश का हिस्सा था। निक्की की शादी दिसंबर 2016 में विपिन नामक युवक से हुई थी। यह शादी उस दौर में हुई जब देश में नोटबंदी चल रही थी, लेकिन निक्की के पिता भिखारी सिंह ने अपनी दोनों बेटियों की शादी में कोई कमी नहीं छोड़ी। निक्की को शादी के वक़्त कार भी दी गई, लेकिन परिवार का आरोप है कि इसके बावजूद उसके ससुराल वाले लगातार महंगी गाड़ी और 36 लाख रुपये की माँग करते रहे।

निक्की (Nikki) पर शादी के बाद से ही दबाव और मारपीट का सिलसिला शुरू हो गया था। उसकी बड़ी बहन कंचन, जिसकी शादी विपिन के भाई से हुई थी, कंचन कई बार निक्की को बचाने की कोशिश भी करती रही। यहां तक कि कंचन ने निक्की के साथ हो रही मारपीट के वीडियो भी बनाए। लेकिन 21 अगस्त को हालात इतने बिगड़ गए कि निक्की को आग के हवाले कर दिया गया।

सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें निक्की पर अत्याचार साफ़ नज़र आता है। दावा किया जा रहा है कि यह वीडियो उसकी बहन कंचन ने बनाया था। इसी आधार पर पुलिस ने मामला दर्ज किया और मुख्य आरोपी विपिन, और उसकी माँ दयावती, पिता सतवीर और भाई रोहित को गिरफ़्तार कर लिया गया। हालांकि, विपिन ने अपनी निर्दोषता का दावा करते हुए कहा कि "न मैंने कुछ किया, न मारा, वो अपने आप मर गई।" लेकिन पुलिस की रिपोर्ट और परिवार के आरोप इसके बिल्कुल उल्टा है।

निक्की पर शादी के बाद से ही दबाव और मारपीट का सिलसिला शुरू हो गया था।
निक्की पर शादी के बाद से ही दबाव और मारपीट का सिलसिला शुरू हो गया था। (AI)

पुलिस से भागने की कोशिश

पुलिस की जाँच में जब घटना में इस्तेमाल ज्वलनशील पदार्थ की बरामदगी की कोशिश की जा रही थी, तब विपिन ने पुलिस की पिस्तौल छीनकर भागने की कोशिश की। उसने पुलिस पर गोली भी चलाई। जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने भी फायरिंग की और गोली विपिन के पैर में लगी। इससे यह संदेह और गहरा हो गया कि विपिन ही घटना का मुख्य आरोपी है।

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निक्की (Nikki) की मौत ने उसके छोटे बेटे को माँ से हमेशा के लिए दूर कर दिया। छह साल का मासूम अपनी माँ की मौत को समझ भी नहीं पा रहा है, लेकिन सोशल मीडिया पर उसका बयान दिल दहला देता है। वह साफ़ कहता है कि उसकी माँ को अक्सर पीटा जाता था। निक्की ने अपने जीवनयापन के लिए अपनी बहन के साथ मिलकर घर की ऊपरी मंज़िल पर ब्यूटी पार्लर भी खोला था। यह पार्लर अच्छा चल रहा था, लेकिन ससुराल वालों के दबाव में उसे बंद करना पड़ा। यही दबाव धीरे-धीरे उसके जीवन को खत्म करने की ओर बढ़ा।

यह सवाल हर किसी के मन में है कि 21वीं सदी में, पढ़ाई-लिखाई और जागरूकता बढ़ने के बावजूद, दहेज (Dowry) और घरेलू हिंसा जैसी घटनाएँ क्यों हो रही हैं ?

इसका कारण है :

समाज की सोच: आज भी कई परिवार बेटी को बोझ समझते हैं और शादी में "दहेज" (Dowry) देना उनकी मजबूरी बन जाती है।

कानून का डर न होना: दहेज निरोधक कानून और घरेलू हिंसा अधिनियम मौजूद हैं, लेकिन सख़्ती से लागू न होने के कारण आरोपी बच निकलते हैं।

पंचायत और समझौते का दबाव: निक्की को भी पंचायत के कहने पर वापस ससुराल भेजा गया था, जबकि परिवार जानता था कि वहाँ उसकी जान को खतरा है।

महिलाओं की चुप्पी: डर, समाज और परिवार के दबाव के कारण महिलाएँ अक्सर चुप रह जाती हैं और अपनी पीड़ा किसी को नहीं बताती हैं।

आर्थिक निर्भरता: बहुत-सी महिलाएँ आर्थिक रूप से अपने पति या परिवार पर निर्भर होती हैं, जिसके कारण वो आवाज़ नहीं उठा पाती हैं।

इस समस्या का समाधान है

सख़्त कानून: ऐसे मामलों में तेज़ी से जाँच और सख़्त सज़ा होनी चाहिए, ताकि समाज में डर बने।

महिलाओं की शिक्षा और आत्मनिर्भरता: अगर महिलाएँ पढ़-लिखकर आत्मनिर्भर होंगी तो वो अन्याय के ख़िलाफ़ खड़ी हो पाएँगी।

समाज की मानसिकता बदलना: दहेज को सामाजिक अपराध मानते हुए हर किसी को इसे ख़त्म करने की दिशा में पहल करनी होगी।

परिवार का समर्थन: अगर परिवार बेटी के साथ मज़बूती से खड़ा हो, तो वह कभी अकेली नहीं पड़ेगी।

जागरूकता अभियान: गाँव-गाँव, शहर-शहर इस विषय पर अभियान चलाए जाने चाहिए ताकि लोग समझें कि बेटियाँ बोझ नहीं, बल्कि बराबर का हक़ रखने वाली इंसान हैं।

पुलिस की जाँच में जब घटना में इस्तेमाल ज्वलनशील पदार्थ की बरामदगी की कोशिश की जा रही थी, तब विपिन ने पुलिस की पिस्तौल छीनकर भागने की कोशिश की।
पुलिस की जाँच में जब घटना में इस्तेमाल ज्वलनशील पदार्थ की बरामदगी की कोशिश की जा रही थी, तब विपिन ने पुलिस की पिस्तौल छीनकर भागने की कोशिश की। (AI)

निष्कर्ष

निक्की (Nikki) की मौत सिर्फ़ एक परिवार की त्रासदी नहीं है, बल्कि पूरे समाज के लिए आईना है। यह हमें सोचने पर मजबूर करता है कि आज भी दहेज (Dowry) और घरेलू हिंसा जैसी कुरीतियाँ क्यों ज़िंदा हैं। हर बार हम कहते हैं कि "अब ऐसा नहीं होना चाहिए," लेकिन फिर कोई निक्की, कोई अंकिता, कोई श्रद्धा शिकार बन जाती है। समय आ गया है कि हम सिर्फ़ अफ़सोस न करें, बल्कि समाज और क़ानून के साथ मिलकर ऐसे अपराधों को रोकने के लिए ठोस कदम उठाएँ। तभी बेटियों की ज़िंदगी सुरक्षित होगी और निक्की जैसी कहानियाँ इतिहास बन जाएँगी, वर्तमान नहीं। [Rh/PS]

21 अगस्त को सिरसा गाँव में 26 वर्षीय निक्की की संदिग्ध हालात में आग से झुलसकर मौत हो गई।
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