
Summary
कर्नाटक की रहने वाली K. D. Kempamma आर्थिक तंगी और अकेलेपन के कारण अपराध की राह पर चली और महिलाओं को धार्मिक आड़ में फँसाने लगी।
वह मंदिरों या धार्मिक आयोजनों में महिलाओं से दोस्ती करती, पूजा का बहाना बनाती और प्रसाद/पानी में cyanide मिलाकर उनकी हत्या कर देती।
2007 में संदिग्ध गहनों और cyanide के साथ पकड़ी गई; अदालत ने उसे कई हत्याओं का दोषी मानते हुए मौत की सजा और उम्रकैद सुनाई।
उसका केस दिखाता है कि loneliness, financial stress और manipulation मिलकर अपराधी मानसिकता बना सकते हैं; यह समाज को सतर्क रहने की चेतावनी है।
भारत के अपराध जगत में कुछ मामलों ने ऐसी घटनाएं हैं कि वे वर्षों तक लोगों की यादों में बने रहते हैं। Cyanide Mallika या K. D. Kempamma का नाम उनमें से एक है। एक आस्था-धारणा की आड़ में, पूजा-पाठ करने वाली महिला के रूप में वह दिखती थी, पर अंदर से उसकी चालाकी और निर्दयता ने उसके आस-पास की दुनिया को सन्न कर दिया। छोटी मोटी चोरी से शुरू हुआ मामला कब संगीन अपराध का रूप ले लिया पता ही न चला। KD Kempamma अक्सर उन महिलाओं को हो निशाना बनाया करती थीं जो एकदम अकेली थी, या शादी शुदा नहीं थी। बड़े प्यार से वह पहले महिलाओं का विश्वाश जीतती थीं और फिर प्रसाद में साइनाइड मिला कर उन्हें मौत के घाट उतार दिया करती थी। तो चलिए आज हम भारत की पहली महिला सीरियल किलर के बारे में विस्तार से जानतें हैं।
Cyanide Mallika का असली नाम K. D. Kempamma है। वह कर्नाटक की रहने वाली थी, विशेषकर बेंगलुरु के आसपास के इलाकों में रहती थीं। Kempamma ज्यादा पढ़ी लिखी नहीं थी, और बड़े ही कम उम्र में उनकी शादी करवा दी गई लेकिन पति ने भी उन्हें छोड़ दिया जिसके कारण आर्थिक तंगी और भी ज़्यादा गहरी हो गई। उसने चिट-फंड जैसी गतिविधियों में हाथ आजमाया, पर घाटे ने उसे और दबाव में डाल दिया। इन कमजोरियों और अकेलेपन ने उसे अपराध की राह पर धकेल दिया। धीरे-धीरे उसने धार्मिक आड़ में हत्याएँ करने की रणनीति तैयार की। वह महिलाओं के दुखों को सुनती, समाधान का प्रस्ताव देती और फिर विश्वास के आधार पर उन्हें फँसाती।
Mallika का modus operandi (अपराध की पद्धति) बेहद चालाकी भरा और ठोस था। उसने निम्न-लिखित चरण अपनाए:
सबसे पहले, वह मंदिरों या धार्मिक आयोजनों में जाकर उन महिलाओं को पहचान लेती जो परेशान हों।
दोस्ती या सहानुभूति के नाम पर उनके दिल तक पहुँचती, उन्हें भरोसा दिलाती कि वह एक धर्म निष्ठ महिला है।
फिर वह कहती कि उनका दुख मिटेगा अगर वे मंडल पूजा करवाएँ, विशेष दिन पूजा करें और अच्छे गहने पहन कर आएँ।
पूजा कार्यक्रम हो, मंदिर के किसी शांत स्थान या धर्मशाला/लॉज में ले जाएँ। वहाँ प्रसाद या विशेष पानी देती जिसमें उसने cyanide मिलाया होता था।
पीते ही महिला बेहोश या मरी पड़ी मिलती थी। बाद में Mallika कीमती गहने, मोबाइल, पैसे आदि छीन कर भाग जाती।
वह श्मशान या अज्ञात स्थान तक पहुँचने से पहले शव छुपाने की कोशिश किया करती थी।
यह तरीका इतना मास्टरफुल था कि अक्सर मृत्युपर्यंत कोई स्पष्ट चोट नहीं दिखती; मामले “अन्य कारण मृत्यु” या “सुसाइड” समझ कर खत्म हो जाते थे।
Mallika की सफलता का बड़ा राज उसका रूप-रंग बदलना और अपराधों को अलग-अलग इलाकों में करना था। उसने एक जैसी परंतु अलग पहचानें रखीं, समय-समय पर नाम बदले, अलग वेशभूषा अपनाई। पुलिस ने कई हत्याओं को अनिश्चित मृत्यु, प्राकृतिक वजह या सुसाइड मान लिया क्योंकि हथियार, ज़हर या प्रेरणा स्पष्ट नहीं थी। मृतकों के शव अक्सर बहुत सड़ चुके स्थिति में मिलते थे, जिससे फॉरेंसिक परीक्षण कमजोर हो जाते थे। 2007 में, अलग-अलग स्थानों पर हुई महिलाओं की मृत्यु की श्रृंखला, मंदिर से जुड़े होने और समान तरीके (cyanide) के उपयोग ने पुलिस को शक दिलाया। लेकिन उन हत्याओं को जोड़ने में समय लगा। समीकरण को जोड़ने वाले अहम सुरागों में मोबाइल कॉल रिकॉर्ड, सीसीटीवी फुटेज, लॉज रजिस्टर और गहनों की पुनर्स्थापना शामिल थी।
2007 के अंत में पुलिस को एक महत्वपूर्ण सुराग हाथ लगा होटल स्टाफ ने शक जताया कि एक महिला (Mallika) असामान्य रूप से गहने बेचने का प्रयास कर रही थी। पुलिस ने उस महिला को निगरानी में लिया। जब उन्होंने उसका बैग खोला, उसमें पीड़ितों के गहने और cyanide मिला। इस सुराग ने जांच को एक दिशा दी। CCTV, कॉल रिकॉर्ड और गहनों की पहचान ने Mallika को घटना से जोड़ दिया। अन्ततः 31 दिसंबर 2007 को उसे गिरफ्तार किया गया। जाँच में उसने कई मामलों को स्वीकारा, और बताया कि उसने cyanide गहने बेचने की दुकान से खरीदा था। उसने कई मामलों की स्वीकारोक्ति दी, और कहा कि ज़हर मूवी से सीखा।
अदालत में Kempamma को कई हत्याओं का दोषी पाया गया। Muniyamma हत्या मामले में उसे मृत्युदंड सुनाया गया था, जिससे वह पहली महिला बनी जिसे कर्नाटक में फाँसी की सजा मिली। लेकिन बाद में उच्च न्यायालय ने उसे कुछ मामलों में उम्रकैद में बदल दिया क्योंकि कुछ मामलों में साक्ष्य केवल परोक्ष थे। आज भी वह जेल में है, और कभी-कभी पूजा-पाठ करती है जैसे सामान्य जीवन हो, जिससे यह बात और भी डरावनी और विचित्र लगती है।
Cyanide Mallika का मामला मनोवैज्ञानिक अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण उदाहरण है। अकेलापन, आर्थिक दबाव और सामाजिक अपमान ने उसके व्यक्तित्व को विकृत कर दिया। उसने अपनी आस्था, धर्म और संवेदनशीलता को हथियार बना लिया। समाज में महिलाओं से निस्वार्थ भक्ति, विफल पति, संवेदनशीलता जैसी अपेक्षाएँ हैं। Mallika ने इन अपेक्षाओं का प्रयोग किया। विश्वास और लालच की गठरी जब मिलती है, तो आतंक का रूप ले लेती है। उसके केस को अभी भी अपराध मनोविज्ञान में psychopathic traits, manipulation, और lack of empathy के संदर्भ से विश्लेषित किया जाता है।
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“Cyanide Mallika” की कहानी मज़बूत चेतावनी देती है दिखावे के पीछे क्या अँधेरा हो सकता है, यह किसी ने नहीं जाना। आस्था और विश्वास, जब बिना विवेक के दिए जाएँ, वे सबसे बड़ी चिंगारी बन सकती हैं। न्याय व्यवस्था, सतर्क नागरिकता और सामाजिक सुरक्षा ऐसी घटनाओं से लड़ने की डिफेंस हैं। महिला अपराधी की यह पराकाष्ठा बताती है कि अपराध किसी लिंग का नहीं बल्कि स्वार्थ, घृणा और मौका मिलने वालों का होता है। [Rh/SP]