शिक्षा के फाउंडेशनल स्टेज यानी बिल्कुल शुरूआती कक्षाओं के लिए नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क (National Curriculum Framework) और देश भर में बालवाटिका योजना शुरू की जा रही है। देशभर के अलग-अलग 49 केंद्रीय विद्यालयों में पायलट परियोजना के तौर पर इस को शुरू किया गया है। यह 3-8 साल की उम्र के बच्चों के लिए देश का पहला एकीकृत नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क है।
नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क के सभी उपायों का उद्देश्य तीन विकासात्मक लक्ष्यों को प्राप्त करना है। इनमें अच्छा स्वास्थ्य और खुशहाली बनाए रखना, प्रभावकारी संप्रेषक या संवादात्मक बनाना, और सक्रिय शिक्षार्थी बनाना शामिल है।
नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क (एनसीएफ) छोटे बच्चों को 21वीं सदी की संज्ञानात्मक और भाषाई दक्षता से लैस करने में मदद करेगी। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा एनसीईआरटी (NCERT) से कहा गया है कि वह एनसीएफ को सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराने, बचपन की देखभाल एवं विकास में शामिल सभी हितधारकों को उपलब्ध कराने में सहयोग करें।
एनसीएफ जारी करते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि आज का दिन एनईपी (NEP) के उद्देश्यों को पूरा करने की दिशा में एक ऐतिहासिक दिन है। पिछले 8 वर्षों में भारत ने जो यज्ञ और मंथन देखा है, वह अब ह्यअमृत उत्पन्न करने लगा है। उन्होंने यह भी कहा कि स्कूली शिक्षा के लिए एनसीएफ के ये चार चरण हैं फाउंडेशनल, प्रारंभिक, मध्य और माध्यमिक चरण। उन्होंने कहा कि एनईपी 2020 के तहत फाउंडेशनल चरण की रूपरेखा को विकसित करना सबसे महत्वपूर्ण और चुनौतीपूर्ण पहलुओं में से एक है, क्योंकि हमारे देश के भविष्य को सही स्वरूप देने में इसका व्यापक असर पड़ता है।
उन्होंने शिक्षा के फाउंडेशनल चरण के लिए राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की रूपरेखा विकसित करने में योगदान देने वाले सभी लोगों की सराहना की। एनसीएफ तैयार करने के लिए गठित राष्ट्रीय संचालन समिति के अध्यक्ष डॉ. कस्तूरीरंगन ने इस अवसर पर कहा कि एनसीएफ की नींव का चरण 3-8 साल की उम्र के छोटे बच्चों के लिए देश की पहली एकीकृत एनसीएफ है और इससे समग्र ²ष्टिकोण के जरिए शिक्षा की गुणवत्ता व्यापक रूप से बेहतर हो जाएगी।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 यानी एनईपी 2020 भारत में शिक्षा में व्यापक बदलाव ला रही है। इसने हमारी शिक्षा प्रणाली को समानता और समावेश के साथ सभी को श्रेष्ठ गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करने के मार्ग पर अग्रसर कर दिया है। एनईपी 2020 के सबसे परिवर्तनकारी पहलुओं में नई 5 प्लस 3 प्लस 3 प्लस 4 पाठ्यक्रम संरचना भी शामिल है जो 3 से 8 वर्ष के सभी बच्चों के लिए प्रारंभिक बचपन की देखभाल और शिक्षा को एकीकृत करती है।
राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की रूपरेखा में जो परिकल्पना की गई है उसके तहत संज्ञानात्मक, सामाजिक-भावनात्मक, शारीरिक सभी आयामों में बच्चे के विकास के लिए उन्हें रोचक अनुभव कराया जाएगा, और इसके साथ ही हमारे सभी बच्चों को बुनियादी शिक्षा और संख्यात्मक ज्ञान प्रदान किया जाएगा।
एनसीएफ के तहत संस्थागत फोकस किया जाता है कि घर जैसे माहौल, जिसमें परिवार, विस्तारित परिवार, पड़ोसियों और करीबी समुदाय के अन्य लोगों का साथ भी शामिल है। इनमें से सभी का बच्चों, विशेषकर 3-8 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों पर अत्यंत व्यापक प्रभाव पड़ता है।
49 केन्द्रीय विद्यालयों में छात्रों के लिए बालवाटिका कक्षाएं शुरू की जा रही हैं। चूंकि बच्चे का 85 प्रतिशत से भी अधिक मस्तिष्क विकास 6 वर्ष की आयु से पहले ही होता है, इसलिए उनके मस्तिष्क को सक्रिय करने और उनके शारीरिक और भावनात्मक विकास में आवश्?यक सहयोग देने के लिए उचित देखभाल प्रदान करना प्रत्येक बच्चे के लिए अत्यंत आवश्यक है।
आईएएनएस/RS