न्यूज़ग्राम हिंदी: इस वर्ष कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (CUET) UG तीन अलग अलग पालियों में आयोजित किया जा रहा है। यूजीसी के मुताबिक देशभर में परीक्षा केंद्रों की पहचान की जा रही है। इन परीक्षा केंद्रों में कंप्यूटर, बैंडविड्थ और तकनीकी कर्मियों सहित उपलब्ध बुनियादी ढांचे को जांचा जा रहा है, ताकि इस वर्ष सीयूईटी की परीक्षा के दौरान तकनीकी खामियां न आए। वहीं यूजीसी ने यह भी स्पष्ट किया है कि फिलहाल इस वर्ष या अगले वर्ष जेईई और नीट जैसी महत्वपूर्ण प्रवेश परीक्षाओं का विलय नहीं किया जा रहा है। इन परीक्षाओं के विलय से कम से कम दो साल पहले इस योजना की घोषणा की जाएगी। प्रतियोगी परीक्षाओं के विलय को लेकर विभिन्न संभावनाएं तलाशी जा रही है और इस दिशा में काम शुरू हुआ है।
यूजीसी ने भी यह स्वीकार किया है कि बीते वर्ष परीक्षा के दौरान कई गड़बड़ियां हुई थीं। हालांकि इसके साथ ही यूजीसी का कहना है कि इस साल सभी मुद्दों को सुलझा लिया गया है। छात्रों के अनुभव को ध्यान में रखते हुए पूरी योजना तैयार की गई है। योजना के तहत अतिरिक्त कंप्यूटर और अतिरिक्त केंद्रों की व्यवस्था की गई है। ऐसा इसलिए किया जा रहा है, ताकि किसी तकनीकी खराबी की स्थिति में उम्मीदवारों को वहां स्थानांतरित किया जा सके। इसका एक फायदा यह होगा कि किसी विशेष पाली की परीक्षा रद्द नहीं करनी पड़ेगी।
बीते वर्ष यह परीक्षा पहली बार आयोजित की गई थी, बावजूद इसको बड़े पैमाने पर आयोजित किया गया। 14.9 लाख छात्रों ने परीक्षा के लिए अपना पंजीकरण कराया था। 450 केंद्रों में 5 सप्ताह में परीक्षा आयोजित की गई थी। वहीं इस वर्ष इस परीक्षा में पहले से भी अधिक यानी कि 15 लाख से भी ज्यादा छात्रों के शामिल होने का अनुमान है। यही कारण है कि परीक्षा आयोजित करवाने वाली संस्था 'नेशनल टेस्टिंग एजेंसी' ने इस वर्ष परीक्षा केंद्रों की संख्या बढ़ाकर दोगुनी से भी अधिक, लगभग 1000 कर दी है।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग का अनुमान है कि बेहद उदार प्रक्रिया होने के कारण इस वर्ष लगभग 200 से अधिक विश्वविद्यालय सीयूईटी स्कोर के आधार पर अंडरग्रेजुएट पाठ्यक्रमों में दाखिले देंगे। बीते वर्ष कुल मिलाकर 89 विश्वविद्यालयों ने सीयूईटी को लागू किया था। इस वर्ष अभी तक 168 विश्वविद्यालयों ने सीयूईटी को अपनी स्वीकृति प्रदान की है। यूजीसी का मानना है कि जहां सीयूईटी से छात्रों को अलग-अलग विश्वविद्यालयों के लिए अलग-अलग प्रवेश परीक्षाएं नहीं देनी पड़ेगी। वहीं विभिन्न विश्वविद्यालय भी अपने स्तर पर अलग-अलग प्रवेश प्रक्रियाओं को आयोजित करने की परेशानी से बच सकते हैं।
UGCके चेयरमैन प्रोफेसर एम जगदीश कुमार के मुताबिक, सीयूईटी लागू होने से ग्रामीण क्षेत्रों के छात्र का प्रतिनिधित्व अब विश्वविद्यालयों में बढ़ रहा है। छात्रों को कॉलेजों में दाखिले के लिए अब बारहवीं कक्षा में 90 प्रतिशत अंक प्राप्त करने की चिंता नहीं है। 12वीं की परीक्षा में केवल 60 प्रतिशत अंक प्राप्त करने वाले छात्र भी सीयूईटी देकर विश्वविद्यालयों में दाखिला सुनिश्चित कर सकते हैं।
सीयूईटी सिलेबस को लेकर भी यूजीसी का स्पष्ट रुख है। यूजीसी का कहना है कि सीयूईटी यूजी का सिलेबस 12वीं कक्षा तक सीमित किया जा रहा है। ऐसे में छात्रों को सिलेबस संबंधी कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए, क्योंकि सीयूईटी के लिए आवेदन कर रहे अधिकांश छात्र अभी 12वीं की बोर्ड परीक्षा में शामिल हो रहे हैं, इसलिए यह सिलेबस उनके दिमाग में ताजा है। यूजीसी चेयरमैन के मुताबिक, यदि छात्र बोर्ड परीक्षा पर ध्यान केंद्रित करके बोर्ड परीक्षाओं में अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं तो इतना ही सीयूईटी में अच्छा स्कोर करने के लिए भी पर्याप्त है।
--आईएएनएस/VS