कौशल आधारित कार्यक्रमों से मिलेगी तकनीकी प्रतिभा की कमी को पाटने में मदद

स्किलिंग से युवाओं को नई तकनीकों की जानकारी के साथ अपने सीवी को मजबूत करने में मदद मिलेगी।
कौशल आधारित कार्यक्रमों से मिलेगी तकनीकी प्रतिभा की कमी को पाटने में मदद
कौशल आधारित कार्यक्रमों से मिलेगी तकनीकी प्रतिभा की कमी को पाटने में मदद IANS

आईटी उद्योग में मूनलाइटिंग (Moonlighting) (दूसरी नौकरी) से उपजी बहस ने आईसीटी सेक्टर में इस बात को उजागर कर दिया है कि कुशल प्रतिभा की मांग बढ़ती जा रही है। तेजी से बदलते प्रौद्योगिकी परिदृश्य के बीच तकनीकी प्रतिभा की वैश्विक कमी साफ दिख रही है। कंपनियां न केवल उपयोगकर्ता और ग्राहक अनुभव को बेहतर बनाने के लिए बल्कि नए विकास के रास्ते तलाशने के लिए सर्वश्रेष्ठ तकनीकी प्रतिभा का लाभ उठाना चाहती हैं।

कंपनियों के कौशल की भूख पर विचार करने और कर्मचारियों के अत्यधिक वांछनीय विशेषता सीखने के साथ, कौशल केंद्रित स्टार्ट-अप और संगठन तेजी से अंतर को पाटने के लिए आ रहे हैं।

एक प्रमुख एसटीईएम मान्यता प्राप्त संगठन माइंडबॉक्स इंडिया (MindBox India) है जो 6-18 साल के छात्रों में कार्यात्मक साक्षरता पैदा करने के लिए समर्पित है। इसके संस्थापक और सीईओ, ऋषि खेमका ने कहा, "जैसे-जैसे दुनिया बदल रही है, कौशल की जरूरत भी बदली है। भविष्य में हर चीज के केंद्र में प्रौद्योगिकी होने के कारण, बच्चों को आज इस स्थान के आसपास दक्षता और कौशल विकसित करने की आवश्यकता होगी जो उन्हें किसी भी पेशे में उत्कृष्टता प्राप्त करने में मदद करेगा।"

खेमका ने कहा, "वर्तमान में, 90 प्रतिशत नौकरियां कौशल आधारित हैं और हमें एआई, एमएल, ड्रोन प्रौद्योगिकी, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी), रोबोटिक्स, इलेक्ट्रिक वाहन, 5जी प्रौद्योगिकियों और मेक्ट्रोनिक्स जैसे क्षेत्रों में भारत की विशाल युवा आबादी की रोजगार योग्यता भागफल में सुधार करने के लिए भविष्य के कौशल की एक श्रृंखला विकसित करने का लक्ष्य रखना चाहिए।"

स्किलिंग से युवाओं को नई तकनीकों की जानकारी के साथ अपने सीवी को मजबूत करने में मदद मिलेगी।

करियर प्लेटफॉर्म माईटेट के सह-संस्थापक विक्रम कुमार ने कहा, "नए जमाने की प्रौद्योगिकियों के आगमन ने भारत में समग्र भर्ती परिदृश्य को बदल दिया है। इसने प्रमुख तकनीकी डोमेन में पर्याप्त प्रतिभा की मांग और आपूर्ति का अंतर पैदा कर दिया है। प्रासंगिक कौशल अवसरों को सुनिश्चित करने की आवश्यकता है ताकि युवा पर्याप्त कौशल, अपस्किलिंग और रीस्किलिंग के माध्यम से अपनी वास्तविक क्षमता का उपयोग कर सकें।"

कौशल आधारित कार्यक्रमों से मिलेगी तकनीकी प्रतिभा की कमी को पाटने में मदद
भारत को स्किल कैपिटल बनाने की तैयारी, स्किल इंडिया का तीसरा चरण होगा शुरू



माईटेट ने युवाओं के साथ-साथ पेशेवरों के लिए एआईसीटीई द्वारा अनुमोदित इंटर्नशिप/अप्रेंटिसशिप प्रदान करने के लिए एआईसीटीई के साथ सहयोग किया है। कुमार ने आगे कहा, "व्यावसायिक विकास के लिए हमारे साथ नामांकन करने वाले 81 प्रतिशत व्यक्तियों ने वेतन वृद्धि, पदोन्नति, बढ़ा हुआ वेतन, आदि जैसे करियर लाभ की सूचना दी है।"

भारत में 5जी सेवा लॉन्च होने वाली है। ऐसे में यह न केवल हमें तेज संचार नेटवर्क देगा, बल्कि कई अन्य क्षेत्रों पर व्यापक प्रभाव डालेगा, जिन्हें कार्य करने के लिए तेज, कम विलंबता, विश्वसनीय नेटवर्क की आवश्यकता होती है। इससे कुशल प्रतिभाओं की मांग में वृद्धि होगी।

टेलीकॉम सेक्टर स्किल काउंसिल (टीएसएससी) के सीईओ अरविंद बाली ने कहा कि भारत में 5जी के रोलआउट से सभी क्षेत्रों में नए जमाने की तकनीकों को अपनाया जाएगा, "और यह महत्वपूर्ण है कि स्नातक करने वाली आबादी कुशल हो और नौकरी के लिए तैयार हो।"

बाली ने कहा, "टीएसएससी ने ड्रोन तकनीक, 5जी, एआई/एमएल इत्यादि जैसी अत्याधुनिक तकनीकों में पाठ्यक्रम तैयार किए हैं और इस मांग को पूरा करने के लिए देश भर में कई उत्कृष्टता केंद्र और प्रशिक्षण सुविधाएं स्थापित की हैं।"

जैसा कि कंपनियां भविष्य के विकास-इंजनों को देखती हैं, वे ऐसे प्रतिभा चाहती हैं जो आगे रहने में मदद करे। भविष्य के कौशल की आवश्यकता भारत में पहले कभी महसूस नहीं की गई, जिसमें कई प्रौद्योगिकियां बैंकिंग, फार्मा से लेकर विनिर्माण और बहुत कुछ प्रभावित करती हैं।

(आईएएनएस/HS)

Related Stories

No stories found.
logo
hindi.newsgram.com