दूर-दराज के ग्रामीण स्कूलों में पहुंच रहा Smart Class

दक्षिण भारत के दूरदराज इलाकों में स्थित 450 स्कूलों के छात्र भी हैं, जिनकी पहुंच बेहतरीन गुणवत्ता वाले डिजिटल संसाधनों तक हो गई है।
ग्रामीण इलाकों में पहुंचा डिजिटल संसाधन।
ग्रामीण इलाकों में पहुंचा डिजिटल संसाधन।IANS

ग्रामीण या फिर कम संसाधन वाले शहरी स्कूलों के छात्रों के लिए स्मार्ट बोर्ड और वीडियो उदासीन सपने हो सकते हैं। हालांकि देश के सैंकड़ों स्कूलों में अब छात्रों के ऐसे सपने सच होने लगे हैं। इनमें दक्षिण भारत के दूरदराज इलाकों में स्थित 450 स्कूलों के छात्र भी हैं, जिनकी पहुंच बेहतरीन गुणवत्ता वाले डिजिटल संसाधनों तक हो गई है। यह आशा कनीनी के माध्यम से संभव हुआ है, जो उनके कक्षा शिक्षण अनुभव को बढ़ाने के लिए सर्वोत्तम गुणवत्ता वाले डिजिटल संसाधनों तक आसान पहुंच प्रदान करने का एक एप्लीकेशन है। एप्लीकेशन स्वतंत्र नेटवर्क है और अधिकांश ऑपरेटिंग सिस्टम और उपकरणों को सपोर्ट करता है। साथ ही, इसे किसी भी भाषा और पाठ्यक्रम के साथ काम करने के लिए अनुकूलित किया जा सकता है।

आईआईटी मद्रास में इंटरडिसिप्लिनरी साइबर फिजिकल सिस्टम्स (एनएम-आईसीपीएस) नेशनल मिशन के तहत विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) द्वारा समर्थित प्रौद्योगिकी नवाचार हब (टीआईएच) ने इस परिवर्तन के लिए हाथ मिलाया है। वंचितों की शिक्षा के लिए काम करने वाला पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट आशा एक पायलट कार्यक्रम चलाकर सरकारी स्कूलों में आशा कनीनी के उपयोग का प्रसार कर रहा है। उनका उद्देश्य इसे तमिलनाडु और पूरे भारत के सभी स्कूलों के लिए उपलब्ध कराना है।

दोनों संगठन आशा ग्रामीण प्रौद्योगिकी केंद्र (आरटीसी) शुरू करने के लिए एक साथ आए हैं, जो कंप्यूटर विज्ञान साक्षरता को दूरस्थ सरकारी स्कूलों तक ले जाएगा और ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूली छात्रों की क्षमता का दोहन करने में सक्षम होगा। आने वाले वर्षों में कुल 25 और आरटीसी की योजना बनाई जा रही है।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के मुताबिक ग्यारह अन्य उद्यमी स्टार्ट-अप कंपनियों के साथ प्रवर्तक ने मिशन आई-एसटीएसी.डीबी- इंडियन स्पेस टेक्नोलॉजीज एंड एप्लीकेशन कंसोर्टियम डिजाइन ब्यूरो के तहत गंभीर प्रौद्योगिकी और इंजीनियरिंग के डोमेन अर्थात क्षेत्र में एक कंसोर्टियम लॉन्च किया। यह अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों के लिए पूरी तरह आत्मानिर्भर पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करेगा, जिसमें जरूरतों के मुताबिक अंतरिक्ष में पहुंच, तेजी से लॉन्च करने की क्षमता, उपग्रह, संवेदक, भविष्य की पीढ़ी के संचार जैसे कि 6जी, उपग्रह डेटा और इसके अनुप्रयोग शामिल हैं।

मंत्रालय का कहना है कि कंसोर्टियम अंतरिक्ष यान (लाइट और सुपर रॉकेट) डिजाइन और निर्माण, मल्टीपल और रैपिड रॉकेट लॉन्च क्षमताओं, उपग्रह डिजाइन, निर्माण, संरचना और निर्माण जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में काम करेगा। इनके अलावा सॉफ्टवेयर, हार्डवेयर और संचार घटकों, साइबर, संचार सुरक्षा और भौतिक सुरक्षा के साथ-साथ ग्राउंड स्टेशन, डेटा प्रोसेसिंग, संचार और भू-स्थानिक अनुप्रयोग क्षेत्रों के लिए समावेश के रूप में उपग्रहों की सुरक्षा प्रणालियों पर भी यह काम करेगा।

बीएनवाई मेलन के सहयोग से प्रवर्तक द्वारा शुरू किया गया एक प्रस्तावित प्रौद्योगिकी स्टैक आरएएसए (रीजेनरेटिव एग्रीकल्चर स्टैक आर्किटेक्च र) किसानों को उनकी खेती और फसल की कटाई की प्रक्रिया का सक्रियता से नगरानी और दुरुस्त करने में मदद करेगा ताकि अधिकतम लाभ प्राप्त किया जा सके। स्टैक फसल लगाने से पहले, फसल लगाने, फसल की कटाई करने, भंडारण, परिवहन, विपणन और भुगतान सहित खेत-से-रसोई तक के पूरे चक्र का व्यापक ढंग से समाधान करेगा।

आईआईटीएम प्रवर्तक टेक्नोलॉजीज फाउंडेशन ने सोनी के साथ मिलकर भारत के युवाओं को सोनी स्प्रेन्स टीएम बोर्ड का उपयोग करके भारत में सामाजिक प्रासंगिकता की समस्याओं के समाधान तलाशने की चुनौती दी। प्रतिभागियों ने बोर्ड की विशेषताओं का उपयोग किया और उनके समाधान की अवधारणा का प्रमाण बनाया। इस चुनौती की घोषणा अखिल भारतीय स्तर पर की गई थी और इसमें समाज के विभिन्न वर्गों के प्रतिभागियों ने भाग लिया है।

(आईएएनएस/JS)

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