छात्र अब विश्वविद्यालय सेल्फी लेने जायेंगे, बनाया जाएगा एक सेल्फी प्वाइंट

विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को युवाओं में भारत के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए तथा उन्हें देश के प्रति गर्वांवित करवाने के लिए अपने परिसरों में रणनीतिक स्थानों पर 'सेल्फी प्वाइंट' स्थापित करना चाहिए।
UGC -छात्र और विशेषज्ञ विद्या के स्थान का राजनीतीकरण से खुश नहीं हैं।(Wikimedia Commons)
UGC -छात्र और विशेषज्ञ विद्या के स्थान का राजनीतीकरण से खुश नहीं हैं।(Wikimedia Commons)
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UGC - छात्रों को गर्वांवित करवाने के लिए बना रहे है एक सेल्फी प्वाइंट जिसमे नरेंद्र मोदी की भी तस्वीर लगाई जायेगी क्या यह एक सही निर्णय होगा? दरहसल, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने दिसंबर में अपनी वेबसाइट पर एक निर्देश जारी करके विवाद खड़ा कर दिया है। पूरे देश के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को युवाओं में भारत के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए तथा उन्हें देश के प्रति गर्वांवित करवाने के लिए अपने परिसरों में रणनीतिक स्थानों पर 'सेल्फी प्वाइंट' स्थापित करना चाहिए। विभिन्न क्षेत्रों में उपलब्धियाँ। लेकिन छात्र और विशेषज्ञ विद्या के स्थान का राजनीतीकरण से खुश नहीं हैं।

पत्र में कहा गया है कि सेल्फी प्वाइंट की थीम में एक भारत, श्रेष्ठ भारत जैसी राष्ट्रीय पहलों का व्यापक स्पेक्ट्रम और एनईपी-2020 के प्रमुख क्षेत्र शामिल हैं। इसमें कहा गया है कि उच्च शिक्षा संस्थान (एचईएलएस) परिसर के भीतर केवल अनुमोदित डिजाइन के अनुसार सेल्फी पॉइंट लगा सकते हैं। यूजीसी ने विश्वविद्यालयों को सामूहिक गौरव की भावना को बढ़ावा देने के लिए छात्रों और आगंतुकों को इन विशेष क्षणों को सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर अपलोड और साझा करने के लिए प्रोत्साहित करने का भी निर्देश दिया।

विश्वविद्यालय के छात्र संगठनों ने इन सेल्फी पॉइंट्स की आवश्यकता पर सवाल उठाया(Wikimedia Commons)
विश्वविद्यालय के छात्र संगठनों ने इन सेल्फी पॉइंट्स की आवश्यकता पर सवाल उठाया(Wikimedia Commons)

विश्वविद्यालय के छात्र संगठनों ने इन सेल्फी पॉइंट्स की आवश्यकता पर सवाल उठाया जब इतने सारे छात्र मुद्दों का समाधान नहीं किया जा रहा है। यूनिवर्सिटी ऑफ विश्वेश्वरैया कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग (यूवीसीई) के एक छात्र ने कहा, “यह पहल छात्रों के लिए अनुकूल नहीं है। बहुत सारे सरकारी कॉलेजों और स्कूलों में बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं और हम सेल्फी पॉइंट को बढ़ावा दे रहे हैं।"

एक केंद्रीय विश्वविद्यालय के सह-प्राध्यापक (एसोसिएट प्रोफेसर) ने पिछले साल एक वर्ष के लिए ‘अध्ययन-प्रोत्साहन अवकाश’( सबैटिकल लीव) की मांग की तो उन्हे यह कहा गया कि अभी इसकी नियमावली ही विश्वविद्यालय में नहीं बनी है, अत: ‘समिति’ इसके लिए गठित की जा रही है। हमे विश्वविद्यालय के जरूरत जो प्राध्यापक और छात्रों के लिए अनुकूल है तथा उनके शिक्षा के बीच बाधा दे रही है, उसपर ज्यादा जोर देना चाहिए क्योंकि अगर शिक्षा के स्थानों पर यदि छात्रों के शिक्षा के लिए ही उन्हे संघर्ष करना पड़े तो हमारे देश के छात्रों का भविष्य दांव पर लग सकता है। सेल्फी पॉइंट के अलावा यदि हम छात्रों के उचित शिक्षा पर ध्यान दे तो वे खुद गर्वांवित महसूस करेंगे।

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