पेशे से योग शिक्षक और पूर्वी मिदनापुर जिले के मोयना गांव के रहने वाले एसके रोसुन मुंशी दो कार्यो के लिए पश्चिम बंगाल (West Bengal) मे साइकिल यात्रा कर रहे हैं। पहला लोगों में जागरूकता फैलाना है कि पुरानी घरेलू वस्तुओं को नष्ट करने या उन्हें फेंकने या उन्हें स्क्रैप के रूप में बेचने के बजाय उन्हें समाज के गरीब और कमजोर वर्गो को दान करना बुद्धिमानी है।
उनके अनुसार पश्चिम बंगाल में दो समाज हैं।
मुंशी ने आईएएनएस को बताया, "पहला समाज उन लोगों का होता है जिनके पास सब कुछ अधिक होता है। दूसरा समाज उन लोगों का है जिनके पास जीवन की न्यूनतम आवश्यकताएं भी नहीं हैं। मेरा मिशन इन दो समाजों के बीच एक सेतु विकसित करना है।"
यात्रा का दूसरा कारण बताते हुए वह कहते हैं कि राज्य के दूर-दराज के क्षेत्रों में फैले विभिन्न स्कूलों का दौरा करना और छात्रों को स्वस्थ और स्वस्थ जीवन बनाए रखने के लिए योग (Yoga) को नियमित अभ्यास के रूप में स्वीकार करने की आवश्यकता के बारे में जागरूक करना है।
स्कूलों के अपने दौरे के दौरान वह छात्रों को योग का प्रशिक्षण भी दे रहे हैं।
यात्रा के दौरान वे उन मुद्दों को भी उठा रहे हैं, जो उस क्षेत्र के लिए प्रासंगिक हैं।
उन्होंने कहा, "जब मैं किसी ऐसे क्षेत्र का दौरा करता हूं जहां पानी की कमी स्थानीय लोगों के लिए एक प्रारंभिक समस्या है, तो मैं जल संरक्षण (water conservation) की आवश्यकता पर बोलता हूं। इसी तरह जब मैं कुछ साम्प्रदायिक रूप से अशांत इलाकों में जाता हूं, तो मैं साम्प्रदायिक सौहार्द बनाए रखने और एक साथ खुशी से रहने के मानवीय आदर्श की बात करता हूं।"
उन्होंने 14 सितंबर को अपने पैतृक गांव मोयना से उत्तरी बंगाल में पहाड़ियों और जंगलों से दक्षिण बंगाल में सुंदरबन (Sundarbans) के तटीय इलाकों तक अपनी यात्रा शुरू की थी।
अब तक उन्होंने राज्य के 22 जिलों में फैले 3,200 किलोमीटर की दूरी तय की है और 115 स्कूलों का दौरा किया है।
उन्हें अगले दो सप्ताह के भीतर अपनी यात्रा पूरी करने की उम्मीद है।
आईएएनएस/RS