भारत में क्या हैं Live in Relationship Laws?

CRPC की धारा 125 के तहत Live in Relationship में महिला के भरण-पोषण का अधिकार दिया है।
भारत में क्या हैं Live in Relationship Laws?
भारत में क्या हैं Live in Relationship Laws? Wikimedia Commons

Live in Relationship Laws: साल 2009 में लिव-इन-रिलेशनशिप से पैदा होने वाले बच्चों के पैतृक संपत्ति पर अधिकार को लेकर एक मामला जब केरल हाईकोर्ट पहुँचा, तो हाईकोर्ट ने इस मामले में बच्चे को पैतृक संपत्ति पर अधिकार देने से मना कर दिया था। इसके बाद हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा कि यदि पुरुष और महिला लंबे समय तक पति-पत्नी की तरह एक साथ रहे हैं तो मान लिया जाएगा कि दोनों में शादी हुई होगी और इस आधार पर इस रिश्ते से पैदा होने वाले बच्चों को पैतृक संपत्ति में हक लेने से रोका नहीं जा सकता है।

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के इस महत्वपूर्ण फैसले के बाद आइए जानते हैं कि लिव-इन-रिलेशनशिप में रहने वाली महिला साथी और बच्चों को किस तरह के अधिकार प्राप्त हैं।

भारतीय न्यायपालिका ने लिव-इन-रिलेशन और इन संबंधों से पैदा होने वाले बच्चों को सुरक्षा प्रदान किया है। इस महत्वपूर्ण निर्णय में अदालत ने महिला साथी के अधिकारों को भी बरकरार रखा गया। अदालतों में कई मामलों में संपत्ति के उत्तराधिकार के लिए लिव-इन-रिलेशन में रहने वाली महिला को आवश्यक सुरक्षा प्रदान की गई है।

Live in Relationship में संपत्ति विरासत में महिलाओं का अधिकार है

यदि आपको धन्नूलाल वर्सेज गणेशराम केस याद हो तो उसमें अदालत ने संपत्ति विवाद को निपटाने के लिए अपने लिव इन पार्टनर की मृत्यु के बाद उसके साथ लिव-इन में रह रही महिला साथी की संपत्ति के अधिकार में महिला के पक्ष में फैसला सुनाया था। दरअसल इस मामले में परिवार के सदस्यों ने कहा था कि उसके दादा पिछले 20 साल से उस महिला के साथ रह रहे थे, पर शादी नहीं की थी इसलिए वह उनकी मृत्यु के बाद उनके संपत्ति की अधिकारी नहीं थी। इसके विपरीत फैसला सुनती हुए कोर्ट ने कहा कि जहां पुरुष और महिला एक पति और पत्नी जैसे एक साथ रह रहे थे, वहाँ मानता है कि यह एक वैध विवाह का मामला है जिसमें दोनों साथ रह रहे थे।

भारत में क्या हैं Live in Relationship Laws?
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लिव इन रिलेशनशिप में भरण-पोषण का अधिकार

यदि न्याय प्रणाली को देखें तो CRPC की धारा-125 के तहत रिलेशनशिप में भरण-पोषण का अधिकार है। जैसे अविवाहित जोड़े के एक सदस्य द्वारा अलग होने के बाद दिया जाने वाला मुआवजा पॉलिमेनी कहलाता है, वैसे ही इस धारा के तहत भी कानून पॉलिमेनी का अधिकार है।

यदि हम 2010 के चामुभिया Vs वीरेंद्र कुशवाहा केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को याद करें, तो पाएंगे कि अदालत ने CRPC की धारा 125 के तहत Live in Relationship में महिला के भरण-पोषण का अधिकार दिया है।

लिव इन रिलेशनशिप से पैदा हुए बच्चों को पैतृक संपत्ति में अधिकार

सुप्रीम कोर्ट ने बालसुब्रमण्यम वर्सेज सुरत्तयन मामले में Live in Relationship से पैदा हुए बच्चों को पहली बार मान्यता देते हुए कहा कि यदि कोई पुरुष और महिला कई वर्षों से साथ रह रहे हैं तो एविडेंस एक्ट की धारा 114 के तहत इस संबंध को शादी मानी जाएगी और इसलिए उनसे पैदा हुए बच्चों को भी वैध मानते हुए उन्हें पैतृक संपत्ति में बराबर हिस्सा प्राप्त होगा।

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