
कल मैंने इंस्टाग्राम (Instagram) पर एक रील (reel) देखी। एक 22 साल की लड़की जिसकी शादी हो चुकी है उसका मन्ना है की
“मैं अपने पति और परिवार के लिए खाना बनाती हूँ, घर का काम करती हूँ और मैं खुश हूँ। तलाक इसलिए बढ़ रहे हैं क्योंकि लड़कियाँ घर का काम करने को दबाव समझती हैं। आज कल लड़के शादी से डरते हैं और तलाक इतने बढ़ गए है तुम जैसी लड़कियों की वजह से।”
यह बयान कई माइनो मै बिल्कुल गलत और मिसलीडिंग है।
उनका नज़रिया कहाँ सही है
अगर उसे सच में खाना बनाने और घर सँभालने से खुशी मिलती है, तो इसमें कोई बुराई नहीं है। लेकिन असली बराबरी का मतलब है कि औरत को अपना रास्ता चुनने की आज़ादी हो, चाहे वह घर पर रहना चाहे या बाहर जाकर नौकरी करना चाहे। यह भी सच है कि ज़िंदगी की खुशी सिर्फ़ नौकरी, डिग्री या पैसे से नहीं आती। कई लोगों को छोटे-छोटे कामों और देखभाल में भी संतोष मिलता है।
वो कहाँ ग़लत है
समस्या तब शुरू होती है जब वह सब औरतों को एक जैसा मानकर कह देते है “तुम जैसी लड़कियाँ” (Tum Jaisi Ladkiya)। हर औरत की चाहत और ख्वाइश अलग होती है। कोई घर सँभाल कर खुश है, कोई बाहर काम करके। दोनों ही रास्ते सही हैं।
और यह कहना कि तलाक इसलिए बढ़ रहे हैं क्योंकि औरतें घर का काम “दबाव” समझती हैं, सही नहीं है। असली वजह यह है कि आज औरतें चुप नहीं बैठतीं। अगर उन्हें अपमान, मारपीट या बेज़त्ती का सामना करती है, तो वे निकलने का फ़ैसला करती हैं। पहले के ज़माने में औरतें मार खाती थीं, चुप कराई जाती थीं, “इज़्ज़त” के नाम पर दबाई जाती थीं। अब ऐसा नहीं है।
आज तलाक क्यों बढ़ रहे हैं?
आज के दौर में शादी और तलाक की असली वजहें कुछ और हैं:
आर्थिक आज़ादी: अब औरतें पढ़-लिखकर नौकरी करती हैं, इसलिए अगर रिश्ता ख़राब हो तो बाहर निकल सकती हैं।
कम बदनामी: पहले तलाक शर्म की बात मानी जाती थी, अब धीरे-धीरे लोग समझ रहे हैं कि बुरी शादी से निकलना बेहतर है।
बराबरी की उम्मीद: आज की शादी बराबरी पर टिकती है, नौकर-आका वाले रिश्ते पर नहीं।
मानसिक शांति: अब लोग जानते हैं कि मानसिक शांति ज़रूरी है। बार-बार समझौता करना ताक़त नहीं, नुकसान है।
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असल बात यह है कि अगर एक औरत घर सँभालना चाहती है तो बहुत अच्छा। अगर दूसरी औरत करियर बनाना चाहती है तो वह भी उतना ही अच्छा। किसी को दोष देना, “तुम जैसी लड़कियाँ की वजह से ही” कहना, औरतों के बीच दीवार खड़ी करता है।
निष्कर्ष
उस reel ने मुझे यह सिखाया कि शादी और तलाक की बातें काले-सफ़ेद जैसी सीधी नहीं होतीं। कोई औरत साधारण ज़िंदगी चुनती है, कोई महत्वाकांक्षा वाली। तलाक सिर्फ़ इसलिए नहीं होते कि औरतें घर का काम दबाव मानती हैं। तलाक इसलिए होते हैं क्योंकि अब औरतें अपमान, हिंसा और बेइज़्ज़ती को चुपचाप सहने से मना कर रही हैं। सच्ची ताक़त यही है कि हर औरत अपना चुनाव कर सके, बिना डर, बिना दबाव और बिना आधे-सच के। (Rh/Eth/BA)