जानिए कौन हैं 'दिव्य पुत्री', जिन्होंने अग्नि-5 की लॉन्चिंग टीम को किया है लीड

रानी का जन्म तिरुवनंतपुरम में हुआ था। उनका पालन-पोषण उनकी मां ने किया, क्योंकि जब वह 10वीं कक्षा में थीं तब उनके पिता का निधन हो गया था।
Sheena Rani: 1999 से ही शीना रानी अग्नि सीरीज की सभी मिसाइलों के लॉन्च कंट्रोल सिस्टम पर काम कर रही हैं। (Wikimedia Commons)
Sheena Rani: 1999 से ही शीना रानी अग्नि सीरीज की सभी मिसाइलों के लॉन्च कंट्रोल सिस्टम पर काम कर रही हैं। (Wikimedia Commons)
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Sheena Rani : भारत ने 11 मार्च को अपनी पहली इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 की एमआईआरवी टेक्नोलॉजी के साथ सफल टेस्टिंग की।अग्नि-5 मिसाइल मल्टिपल इंडिपेंडेंटली टार्गेटेबल री-एंट्री व्हीकल टेक्नोलॉजी से सुसज्जित है अर्थात् इसे एक साथ कई टारगेट पर लॉन्च किया जा सकता है। अप्रैल 2012 में अग्नि-5 मिसाइल की पहली टेस्टिंग हुई थी, जबकि 11 मार्च को इसे एमआईआरवी टेक्नोलॉजी के साथ टेस्ट किया गया। इस मिसाइल की रेंज 5000 किलोमीटर से ज्यादा है इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मिसाइल को 'मिशन दिव्यास्त्र' कहा। इस मिसाइल की सबसे खास बात ये है कि इस 'दिव्यास्त्र' को बनाने में महिला वैज्ञानिकों का हाथ है।आइए जानते हैं कौन हैं ये महिला वैज्ञानिक।

पूरे प्रोजेक्ट को लीड किया शीना रानी ने

आपको बता दें इस परियोजना का नेतृत्व हैदराबाद के मिसाइल परिसर की एक महिला वैज्ञानिक शीना रानी ने किया है, जो साल 1999 से ही अग्नि मिसाइल सिस्टम पर काम कर रही हैं। रानी का जन्म तिरुवनंतपुरम में हुआ था। उनका पालन-पोषण उनकी मां ने किया, क्योंकि जब वह 10वीं कक्षा में थीं तब उनके पिता का निधन हो गया था। उन्होंने कहा, मेरी मां मेरे और मेरी बहन के जीवन में असली स्तंभ है। इस पूरे प्रोजेक्ट को इन्होंने ही लीड किया है। मोदी जी ने इस पूरे मिशन को 'मिशन दिव्यास्त्र' का नाम दिया ठीक वैसे ही वैज्ञानिक शीना रानी को कई लोग 'दिव्य पुत्री' का नाम दे रहे हैं।

 अप्रैल 2012 में अग्नि-5 मिसाइल की पहली टेस्टिंग हुई थी, जबकि 11 मार्च को इसे एमआईआरवी टेक्नोलॉजी के साथ टेस्ट किया गया। (Wikimedia Commons)
अप्रैल 2012 में अग्नि-5 मिसाइल की पहली टेस्टिंग हुई थी, जबकि 11 मार्च को इसे एमआईआरवी टेक्नोलॉजी के साथ टेस्ट किया गया। (Wikimedia Commons)

तिरुवनंतपुरम में किया अध्ययन

इन्होंने तिरुवनंतपुरम में इंजीनियरिंग कॉलेज में कंप्यूटर विज्ञान में विशेषज्ञता के साथ एक प्रशिक्षित इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार इंजीनियर का अध्ययन किया। उन्होंने भारत की अग्रणी नागरिक रॉकेटरी प्रयोगशाला, विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र में आठ वर्षों तक काम भी किया।

1999 से कर रहीं अग्नि सीरीज पर काम

साल 1998 में भारत के पोखरण परमाणु परीक्षण के बाद वह सीधे तौर पर डीआरडीओ में शामिल हो गईं। 1999 से ही शीना रानी अग्नि सीरीज की सभी मिसाइलों के लॉन्च कंट्रोल सिस्टम पर काम कर रही हैं। रानी के पति पी.एस.आर.एस. शास्त्री ने भी मिसाइलों पर डीआरडीओ के साथ काम किया था। उन्हें भारत के मिसाइल मैन, पूर्व डीआरडीओ प्रमुख और भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम से प्रेरणा मिली थी।

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