चिकित्सा के माध्यम से लोगों को देती है नया जीवन, बनी महिलाओं की प्रेरणा

उनकी जिंदगी पूरी तरह से खतरे में पड़ चुकी थी, मालती ने वनौषधि से इलाज करते हुए उसे कोमा से बाहर निकाला और नया जीवन दिया।
 Women Empowerment - दो दशक पहले बोकारो जिला में महिलाएं सामाजिक कार्यों के लिए घर की देहरी लांघकर निकलने से कतराती थी, या फिर हिम्मत नहीं जुटा पाती थी। (Wikimedia Commons)
Women Empowerment - दो दशक पहले बोकारो जिला में महिलाएं सामाजिक कार्यों के लिए घर की देहरी लांघकर निकलने से कतराती थी, या फिर हिम्मत नहीं जुटा पाती थी। (Wikimedia Commons)
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Women Empowerment - झारखंड में बोकारो जिले की रहने वाली मालती नायक ने वनौषधि के माध्यम से इलाज कर लोगों को नया जीवन दिया। स्थानीय ग्रामीण इनके बारे में बताते है कि साल 2006 में बरतु घासी की बेटी काजल कुमारी अचानक लकवाग्रस्त हो गई थी। पूरा परिवार चिंतित था, तब मालती ने वनौषधि की मदद से सफल इलाज़ करते हुए 3 घंटे में उसे पूर्णतः स्वस्थ कर दिया। इसी तरह से वर्ष 2008 में हलमाद बाजार के खेतु रविदास कोमा में चले गए थे। उनकी जिंदगी पूरी तरह से खतरे में पड़ चुकी थी, मालती ने वनौषधि से इलाज करते हुए उसे कोमा से बाहर निकाला और नया जीवन दिया। मालती नायक आज भी ग्रामीणों को सेवा दे रही हैं। इतना ही नहीं मालती झारखंड समेत पूर्वी भारत में स्पिरुलिना की पहली उत्पादन करने वाली महिला भी हैं। वर्ष 2005-06 में अपने पति की मदद से स्पिरुलिना की खेती पूरे राज्य में पहली बार इन्होंन ही की थी।

 झारखंड में बोकारो जिले की रहने वाली मालती नायक ने वनौषधि के माध्यम से इलाज कर लोगों को नया जीवन दिया। (Wikimedia Commons)
झारखंड में बोकारो जिले की रहने वाली मालती नायक ने वनौषधि के माध्यम से इलाज कर लोगों को नया जीवन दिया। (Wikimedia Commons)

चिकित्सा के क्षेत्र में इनका योगदान कोई नही भूल सकता है। इस क्षेत्र में सेवा देने के लिए सबसे पहले ये 2002 से 2004 वर्ष तक पेटरवार वनौषधि प्रशिक्षण केंद्र में वनौषधि संरक्षण, उत्पादन और उपयोग का प्रशिक्षण प्राप्त किया। इस दौरान राज्य में पहली बार हर्बल पायलट प्रोजेक्ट के वन औषधीय की पहचान और उसके उपयोग के लिए यह प्रशिक्षण दिया जा रहा था। इस प्रशिक्षण के पूरा होने के बाद वर्ष 2004-2005 के दौरान प्रशिक्षक वैध श्याम विहारी तिवारी से वैध की विधा प्राप्त कर 'प्राण विद्या विद' की उपाधि प्राप्त की।

दो दशक पहले बोकारो जिला में महिलाएं सामाजिक कार्यों के लिए घर की देहरी लांघकर निकलने से कतराती थी, या फिर हिम्मत नहीं जुटा पाती थी।

इतना ही नहीं मालती झारखंड समेत पूर्वी भारत में स्पिरुलिना की पहली उत्पादन करने वाली महिला भी हैं। (Wikimedia Commons)
इतना ही नहीं मालती झारखंड समेत पूर्वी भारत में स्पिरुलिना की पहली उत्पादन करने वाली महिला भी हैं। (Wikimedia Commons)

उन दिनों इस क्षेत्र में कुछ गिनी-चुनी महिलाएं ही सामाजिक कार्यों में घरों से निकलने की हिम्मत जुटा पाती थीं। मालती नायक भी उन्हीं चंद महिलाओं में एक है। दांतू गांव निवासी विवेकानंद नायक की पत्नी मालती जिनका उम्र 48 वर्ष है, उन्होंने वर्ष 2000 में सामाजिक क्षेत्र में उन दिनों कदम रखा, जब बोकारो के तत्कालीन उपायुक्त विमल कृति सिंह के नेतृत्व में साक्षरता अभियान ने बहुत जोर पकड़ा था।

इस अभियान को सफल बनाने के लिए सबसे जरूरी था महिलाओं को जोड़ना क्योंकि कुल आबादी में निरक्षरों की संख्या पुरुषों की तुलना में महिलाओं की अधिक थी। बिना महिला नेतृत्व के इस अभियान को सफल बनाना संभव नहीं था। इसी परिस्थिति में मालती नायक घर की देहरी लांघ कर बाहर निकली और साक्षरता अभियान से जुड़कर एक अहम भूमिका निभाई।

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