जब एक मां अपने बच्चों को जन्म देती है तो न जाने कितने सपने ख्वाहिश है अपनी आंखों में उसे बच्चों के लिए संजोग कर रखती हैं, लेकिन जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं उनके आओ भाव आचरण समाज के साथ बदलते व्यवहार मां-बाप को काफी दुख पहुंचाते हैं। लेकिन एक स्टडी के मुताबिक यदि आप अपने बच्चे के दोस्त बनकर रहेंगे तो उनके व्यवहार आपको कभी ठेस नहीं पहुंचाएंगे। टीनएज एक ऐसा समय होता है जब आपके बच्चों को ख़ासकर बेटियों को उनके दोस्त की बहुत ज़्यादा जरुरत पड़ती है, तो क्यों न आप अपनी बच्ची की दोस्त बन उनके टीनएज को गलत कदमों से बचा लें।
एक मां और बेटी का रिश्ता सबसे अनोखा होता है। समय के साथ थोड़ी अनबन भी रहती है लेकिन एक मां और बेटी में जितनी अंडरस्टैंडिंग होती है उतनी शायद किसी और रिश्ते में नहीं। सितंबर के महीने में हर साल डॉटर्स डे मनाया जाता है। इस डॉटर डे पर यदि आप अपनी बेटी की एक सबसे खास दोस्त बन जाती हैं तो उसके आने वाले भविष्य में उसे कभी परेशानी नहीं होगी। पर सवाल यह है कि आखिर अपनी बेटी की दोस्त बने कैसे? आईए जानते हैं।
अक्सर देखा जाता है की माएं अपनी बेटियों की बातें, सुनती ही नहीं उन्हें नजर अंदाज कर देती हैं या यूं कह लीजिए की दिलचस्पी ही नहीं होती। एक रिश्ते को गहरा करने के लिए सबसे मुख्य पहलू है बातें सुनना। जब आप अपनी बेटी की बातें सुनने लगेंगे तब आपको उसके मन में चल रहे हर विचारों के बारे में पता चलेगा और यदि कुछ गलत विचार या गलत भावनाएं उसके मन में पनप रही हूं तो आप उन्हें सही मार्गदर्शन भी दे पाएंगे। कई बार बच्चे सिर्फ इतना ही चाहते हैं की उनकी मां या उनके पिता केवल उनकी बात सुने वह अपनी मां की बात उन्हें बता सके।
खुलकर बात करना भी काफी जरूरी है। मां बेटी के रिश्ते में यदि आप खुलकर बात नहीं करेंगे तो कई बार कुछ ऐसी चीज मिस हो जाती हैं जो बाद में परेशानियां लेकर आती हैं। टीनएज का समय लड़कियों के शरीर में कई सारे बदलाव लेकर आता है जैसे पीरियड्स, शारीरिक संबंध, हार्मोन्स इत्यादि, यदि इन मुद्दों पर खुलकर बात की जाए तो शायद आप अपनी बेटी को टीनएज में एक गलत सलाह लेने और गलत कदम उठाने से बचा सकते हैं।
कई बार पेरेंट्स अपनी इच्छाओं को अपने बच्चों पर थोपने लग जाते हैं, ऐसे में बच्चे डिप्रेशन का शिकार होने लगते हैं। टीनएज का समय एक ऐसा समय होता है कि जब यदि सही मार्गदर्शन ना मिले सही सलाह ना मिले तो उससे काफी अनहोनी हो जाती है। जब आप अपनी बेटी से दोस्ती का रिश्ता बनाएंगे, और उनकी मन की इच्छाएं जानेंगे वह अपने फ्यूचर के बारे में क्या सोचते हैं क्या करना चाहते हैं तो यह आपके और आपके बच्चों दोनों के लिए समझनाआसान हो जाएगा।
कई बार पेरेंट्स अपने बच्चों की तुलना दूसरों के बच्चों से करने लगते हैं। यह तूलना बच्चों में एक गलत भावना मां-बाप के प्रति नफरत और कई बार डिप्रेशन तक लेकर आता है।
इस तुलना की वजह से बच्चों में या भावना आ जाती है कि शायद उनके मां-बाप उन्हें समझते नहीं उनसे प्यार नहीं करते या उन पर काफी दबाव बनाते हैं जिसकी वजह से कई बार सुसाइड जैसे केसेस भी सामने आए हैं। आप अपने बच्चों को बेटियों को किसी और के बच्चों और बेटियों से तुलना ना करें अपने बच्चों को प्रोत्साहित करें जिससे उनमें मनोबल और गहरा होगा।