पंडित जवाहरलाल नेहरू
पंडित जवाहरलाल नेहरूWikimedia

पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अनुच्छेद 370 के हटने को लेकर पहले ही भविष्यवाणी कर दी थी?

लेकिन एक वक्त ऐसा भी था जब जवाहरलाल नेहरू जी जम्मू कश्मीर के मामलों पर अपनी नीतियों को लेकर लगातार आलोचनाओं का शिकार हो रहे थे।

आज के इस लेख में हम आपको जवाहर लाल नेहरू (Jawahar Lal Nehru) की एक ऐसी भविष्यवाणी के बारे में बताने जा रहे हैं जो अब सच हो गई हैं।

इस बात को तो हम सभी जानते हैं कि जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) को विशेष अधिकार प्रदान करने वाले अनुच्छेद 370 (Article 370) के प्रावधानों को मोदी सरकार (Modi Government) द्वारा हटा दिया गया है। साथ ही जम्मू कश्मीर को एक केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया है।

लेकिन एक वक्त ऐसा भी था जब जवाहरलाल नेहरू जी जम्मू कश्मीर के मामलों पर अपनी नीतियों को लेकर लगातार आलोचनाओं का शिकार हो रहे थे। देश के पहले प्रधानमंत्री अच्छे से जानते थे कि अनुच्छेद 370 एक ना एक दिन हट ही जाएगा। उनकी इस भविष्यवाणी की झलक जम्मू कश्मीर के तत्कालीन नेता पंडित प्रेमनाथ बजाज (Premnath Bajaj) को लिखे गए उनके पत्र में देखी जा सकती है।

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पंडित प्रेम नाथ बजाज के पत्र का उत्तर देते हुए नेहरू जी ने 21 अगस्त 1962 को अनुच्छेद 370 के संबंध में लिखा कि,

"वास्तविकता यह है कि संविधान में इस धारा के रहते हुए भी, जो कि जम्मू कश्मीर को एक विशेष दर्जा देती है, बहुत कुछ किया जा चुका है और जो कुछ थोड़ी बहुत बाधा है वह भी धीरे-धीरे समाप्त हो जाएगी। सवाल भावुकता का अधिक है बजाय कुछ और होने के कभी-कभी भावना महत्वपूर्ण होती है। लेकिन हमें दोनों पक्षों को तौलना चाहिए और मैं सोचता हूं कि वर्तमान में हमें इस संबंध में कोई और परिवर्तन नहीं करना चाहिए।"

 पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी
पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी Wikimedia Commons

जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल जगमोहन (Jagmohan) ने अपनी किताब दहकते अंगारे (Dahakte Angaare) में इस पत्र का जिक्र करते हुए लिखा था कि इस पत्र के माध्यम से स्पष्ट रूप से पता चलता है कि नेहरू जी ने खुद धारा 370 में भविष्य में होने वाले परिवर्तन से इनकार नहीं किया था उन्होंने लिखा कि बहुत कुछ किया जा चुका है इस कथन से नेहरू जी कहना चाहते थे कि सरकार जरूरत पड़ने पर 370 में संशोधन करती रही है, और समय आने पर संशोधनों के जरिए ही धीरे-धीरे यह प्रावधान समाप्त हो जाएगा।

उन्होंने अपनी किताब में यह भी लिखा है कि कश्मीरी अलगाववाद की सबसे मजबूत चरण भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 में ही है क्योंकि वह जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा प्राप्त करता है और विभिन्न स्वार्थों के लिए इस धारा का दुरुपयोग लगातार होता रहा है।

(PT)

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