Subhash Chandra Bose Jayanti: जानिए नेताजी की मौत के कुछ अनसुलझे रहस्य

नेताजी की मृत्यु एक विमान क्रैश में हुई थी। 18 अगस्त 1945 को वह विमान से जापान (Japan) जा रहे थे। रास्ते में उनका विमान क्रैश हो गया और उनकी मृत्यु हो गई।
Netaji Subhash Chandra Bose Jayanti: नेताजी की मौत के कुछ अनसुलझे रहस्य  (IANS)

Netaji Subhash Chandra Bose Jayanti: नेताजी की मौत के कुछ अनसुलझे रहस्य  (IANS)

एग्जाम वॉरियर

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न्यूजग्राम हिंदी: 23 जनवरी को भारत के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Netaji Subhash Chandra Bose) की जयंती मनाई जाती है। नेताजी ने अंग्रेजी हुकूमत को नहीं स्वीकारा और आजाद हिंद फौज (Azad Hind Fauj) का गठन किया।

नेताजी की मृत्यु किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है उनकी मृत्यु आज तक हर व्यक्ति के लिए एक रहस्य हैं उनकी पुण्यतिथि 18 अगस्त को मनाई जाती है।

नेताजी की मृत्यु एक विमान क्रैश में हुई थी। 18 अगस्त 1945 को वह विमान से जापान (Japan) जा रहे थे। रास्ते में उनका विमान क्रैश हो गया और उनकी मृत्यु हो गई। लेकिन आज तक उनका शव नहीं मिल पाया है और यही रहस्य लोगों के मन में कई सवाल खड़े करता है कि उनकी मौत एक हादसा थी या फिर कोई साजिश?

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• उनकी मृत्यु की जानकारी 5 दिन बाद टोक्यो रेडियो द्वारा दी गई थी। रेडियो ने यह बताया था कि नेताजी से जिस विमान से जा रहे थे वह क्रैश हो गया है और उनकी मृत्यु ताइहोकू के सैन्य अस्पताल में हो गई है। साथ ही यह भी बताया गया कि उस विमान में यात्रा कर रहे सभी यात्रियों की मृत्यु हो गई है।

• उनकी मौत के रहस्य को सुलझाने के लिए तीन कमेटियां बनाई गई।

• 1999 में एक कमेटी ने चौंका देने वाला खुलासा किया कि 1945 में कोई विमान क्रैश नहीं हुआ था। क्योंकि इसका कोई रिकॉर्ड मौजूद नहीं है। लेकिन सरकार ने इस रिपोर्ट को स्वीकार नहीं था।

• नेताजी की मौत के कई सालों बाद यह खबर आई कि उत्तर प्रदेश के फैजाबाद में उन्हें देखा गया है और फैजाबाद में घूम रहे गुमनामी बाबा ही सुभाष चंद्र बोस है और गुमनामी बाबा की खबरें और कहानी मशहूर होने लगी।

• गुमनामी बाबा की मौत के बाद उनके कमरे से मिले सामान से लोगों को यह विश्वास हो गया कि गुमनामी बाबा और कोई नहीं बल्कि सुभाष चंद्र बोस ही थे।

• गुमनामी बाबा की खबर का सच जानने के लिए सरकार ने मुखर्जी आयोग का गठन किया लेकिन यह साबित नहीं हो पाया कि गुमनामी बाबा ही नेताजी थे।

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