स्वामी विवेकानंद के सोच बदलने वाले मंत्र

उनके जीवन के मुख्य सिद्धांत सत्य, सरलता, सहजता, त्याग, ध्यान। स्वामी जी एक सिद्धांत वादी व्यक्ति थे , जो हमेशा युवाओं के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बनते रहे ।
स्वामी विवेकानंद के मूल मंत्र युवाओं की कामय़ाबी के लिए रामबाण साबित हुए है । (Wikimedia Commons) 

स्वामी विवेकानंद के मूल मंत्र युवाओं की कामय़ाबी के लिए रामबाण साबित हुए है । (Wikimedia Commons) 

 स्वामी विवेकानंद

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स्वामी विवेकानंद एक महान व्यक्तित्व थे। उनके जन्म दिवस की तिथि 12 जनवरी को संपूर्ण भारतवर्ष युवा दिवस के रूप में मनाता है । उनका जन्म 1863 कोलकत्ता में हुआ था।  स्वामी विवेकानंद के मूल मंत्र युवाओं की कामय़ाबी के लिए रामबाण साबित हुए हैं । स्वामी विवेकानंद के जीवन के सिद्धांत से बहुत कुछ सीखा जा सकता है । उनके जीवन के मुख्य सिद्धांत सत्य , सरलता , सहजता , त्याग , ध्यान । स्वामी जी एक सिद्धांत वादी व्यक्ति थे , जो हमेशा युवाओं के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बनते रहे।

<div class="paragraphs"><p>स्वामी विवेकानंद के मूल मंत्र युवाओं की कामय़ाबी के लिए रामबाण साबित हुए है । (Wikimedia Commons)&nbsp;</p></div>
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स्वामी विवेकानंद का बाल्यावस्था का नाम नरेंद्र था और वो ऐसे समाज में पले – बढ़े जहां बहुत छोटी आयु में ही ब्रह्मसमाज में जाने लगे थे।  ब्रह्मसमाज़ में ध्यान के अभ्यास करने पर विशेष रूप से जोर दिया जाता था। स्वामी विवेकानंद भारत के आध्यात्मिक गुरू माने जाते थे। उन्होंने 25 वर्ष की उम्र में सब कुछ त्याग दिया था। स्वामी जी के गुरू रामकृष्ण परमहंस था। वो किसी भी काम को करने से पहले अपने गुरू की सलाह हमेशा लिया करते थे।

<div class="paragraphs"><p>स्वामी विवेकानंद भारत के आध्यात्मिक गुरू माने जाते थे स्वामी विवेकानंद का जीवन (Wikimedia Commons)&nbsp;</p></div>

स्वामी विवेकानंद भारत के आध्यात्मिक गुरू माने जाते थे स्वामी विवेकानंद का जीवन (Wikimedia Commons) 

स्वामी विवेकानंद का जीवन

स्वामी विवेकानंद के जीवन से बहुत कुछ सीखा जा सकता है। उनके विचार किसी भी व्यक्ति को एक सही दिशा दे सकते हैं। उनका मानना था कि युवा होने की परीपूर्णता उसी में है , जो बिना थके बिना रुके निरंतर काम करता है। स्वामी जी के विचार हिन्दू धर्म को लेकर काफ़ी ऊंच थे। उन्होंने कहा था कि “हिन्दू धर्म का लक्ष्य अलग-अलग धर्म संप्रदायों के खाचों में बाटंना नहीं बल्कि पूरी मानवता को एक सूत्र में पिरोना है”।

 स्वामी विवेकानंद जी के जीवन शैली से देश के युवाओं को बहुत कुछ सीखने को मिलता है । स्वामी जी के मूल मंत्र को अगर अपना लिया जाए तो, देश को और भी सशक्त किया जा सकता है। स्वामी जी की मृत्यु 4 जुलाई 1902 में हुई थी।

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