क्यों थे रावण के दस सर, क्या है रावण से जुड़े कुछ अनसुने किस्से !

देश में कई जगहें ऐसी भी है जहां रावण की पूजा की जाती है।
रावण के दस सर के पीछे कई राज
रावण के दस सर के पीछे कई राज wikimedia
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दशहरे (Dussehra) के दिन देश भर में रावण का प्रतीकात्मक वध होता है। दशहरा असत्य पर सत्य और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। देशभर में दशहरे के दिन जगह-जगह रावण दहन का आयोजन होता है। इस दिन रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले जलाए जाते हैं। सबको पता है कि रावण प्रगाढ़ ज्ञानी था और उसका अहंकार ही उसे विनाश की ओर ले गया। देश भर में रावण को खलनायक की तरह मान उसे जलाया जाता है। परंतु देश में कई जगहें ऐसी भी है जहां रावण की पूजा की जाती है।

क्या थी रावण के दस सर के पीछे की कहानी

लंकापति रावण (Ravana) को दशानन (Dashanan) भी कहा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि रावण भगवान शिव का बहुत बढ़ा भक्त था। रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए वर्षों तक कठोर तप किया लेकिन भगवान शिव प्रसन्न नहीं हुए। इसके बाद रावण ने भगवान शिव को अपना सिर अर्पित करने का निर्णय लिया। भगवान शिव की भक्ति में लीन रावण ने अपना सिर काटकर भोलेनाथ को अर्पित कर दिया, परंतु उसकी मृत्यु नहीं हुई। बल्कि उसकी जगह दूसरा सिर आ गया। ऐसे एक-एक करके रावण ने अपने 9 सिर भगवान शिव को ​अर्पित कर दिए। इसके बाद जब दसवीं बार रावण ने अपना सिर भगवान को अर्पित करना चाहा तभी भगवान शिव वहां प्रकट हो गए। रावण की भक्ति से भगवान शिव काफी प्रसन्न हुए। रावण के 10 सिर 10 बुराइयों के प्रतीक माने जाते हैं। काम, क्रोध,लोभ, मोह, मादा (गौरव), ईर्ष्या, मन, ज्ञान, चित्त और अहंकार।

रावण के दस सर के पीछे कई राज
कानपुर में रावण का अनोखा मंदिर, दशहरे के दिन ही खुलता है मंदिर का द्वार

हालांकि कुछ लोगों का मानना है कि रावण के 10 सिर नहीं थे। वह बस 10 सिर हाने का भ्रम पैदा करता था, इसलिए दशानन कहलाता था। जैन शास्त्रों के अनुसार, रावण के गले में 9 मणियों की माला थी, उन मणियों में उसका सिर दिखता था जिससे दूसरों को 10 सिर होने का भ्रम पैदा हो जाता था। यह भी कहा जाता है कि रावण बहुत विद्वान था, उसे 6 दर्शन और 4 वेद कंठस्थ थे, इसलिए उसका नाम दसकंठी भी था। लोगों ने दसकंठी को ही दस सिर मान लिया।

रावण से जुड़े कुछ अनसुने किस्से -

- आज भी कई स्थानों पर रावण की पूजा की जाती है

दक्षिण पूर्वी एशिया और दक्षिणी भारत के कई हिस्सों में रावण की पूजा की जाती है। कानपुर का कैलाश मन्दिर साल में एक बार दशहरे के दिन खुलता है, जहां रावण की पूजा होती है। आंध्रप्रदेश और राजस्थान के भी कुछ हिस्सों में रावण की पूजा की जाती है।

- एक आदर्श भाई और पति था रावण

रावण एक आदर्श भाई और पति था। अपनी बहन का अपमान रावण नहीं सह सका था और साथ ही वह अपनी पत्नी का भी बहुत सम्मान करता था। अपनी पत्नी को बचाने के लिए रावण उस यज्ञ से उठ गया, जिससे वो राम जी की सेना को तबाह कर सकता था।

रावण पेंटिंग
रावण पेंटिंगwikimedia

- पूर्वजन्म में भगवान विष्णु के थे द्वारपाल रावण-कुंभकर्ण

माना जाता है कि रावण और कुंभकर्ण पूर्व जन्म में भगवान विष्णु के द्वारपाल थे। एक ऋषि से मिले श्राप के कारण उन्हें राक्षस कुल में जन्म लोना पड़ा और अपने ही आराध्य से उन्हें लड़ना पड़ा।

- रावण को थी वीणा बजाने में महारत

रावण को संगीत का बहुत शौक था। रावण एक संगीतज्ञ था साथ ही उसे वीणा बजाने में महारत हासिल थी। पौराणिक कथाओं की माने तो रावण इतनी मधुर वीणा बजाता था कि देवता भी उसका संगीत सुनने के लिए धरती पर आ जाते थे।

रावण बलशाली होने के साथ-साथ एक महान पंडित भी था जिसने अपने अहंकार के कारण अपनी ज्ञान और बुद्धि का नाश कर लिया।

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