1949 में एक फिल्म आई, जिसका नाम था 'महल'। उसमें एक गाना था, 'आएगा आने वाला आएगा'। इस गाने को सुनने के बाद लोगों में आतुरता जग गई कि यह संगीत, स्वर किसके हैं? लोगों ने अनेकों पत्र लिखे कि वो जानना चाहते हैं कि यह गायिका कौन है। और यहीं से एक नाम का सितारा चमक उठा, जिस सितारे का नाम था लता मंगेशकर। अपने मखमली आवाज़ से सब पर अपना जादू चलाने वाली लता मंगेशकर का जन्म 28 सितंबर 1929 को इंदौर में हुआ था। पिता दीनानाथ मंगेशकर एक मशहूर कलाकार थे जो महाराष्ट्र में एक थिएटर कंपनी चलाते थे।
बचपन से ही चंचल स्वभाव वाली लता के पिता 1942 में दुनिया को छोड़कर विदा हो गए। इसके बाद घर का सारा खर्च और ज़िम्मेदारियाँ लता मंगेशकर पर आ गई। यह वही दौर था जब भारत में भारत छोड़ो आंदोलन अपने शीर्ष पर था। उस वक्त लता की उम्र मात्र 13 वर्ष की थी।
चूंकि उनके खून में ही संगीत था, ऊपर से उस्ताद अमान अली ख़ान और अमानत ख़ान उनके गुरु थे, इसलिए उनका गायन का सफर ही उनके रोजी रोटी का सहारा बना। उन्होंने 1942 में आई एक मराठी फ़िल्म 'किती हासिल' में गाना गाया और यहीं से उनके फिल्मी करियर की शुरूआत हो गई। हालांकि बाद में यह गाना फ़िल्म से हटा दिया गया था। इसके बाद जब 5 साल बाद भारत आजाद हुआ तो उनके लिए 'आपकी सेवा में' पहली फ़िल्म थी, जिसमें उन्होंने बतौर गायिका अपनी आवाज दी। हालांकि इस फिल्म में भी उनके गाने की कोई खास चर्चा नहीं हुई।
लेकिन 1949 में आई फिल्में 'बरसात', 'दुलारी', 'महल' और 'अंदाज़' के गानों से उनका सितारा चमका। 'महल' में उनके द्वारा गाया गया गाना 'आएगा आने वाला आएगा' ने तहलका मचा दिया। इस गाने के आने के फौरन बाद हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्री ने समझ लिया कि अब शमशाद बेग़म, नूरजहाँ और ज़ोहराबाई अंबालेवाली जैसी वज़नदार आवाज़ वाली गायिकाओं के बाद लता मंगेशकर की ही आवाज होगी जो एक लंबे समय का सफर तय करेगी। जब 50 के दशक में नूरजहाँ पाकिस्तान चली गई, उसके बाद लता मंगेशकर का हिन्दी फिल्मों के पार्श्वगायन पर एकछत्र साम्राज्य स्थापित हो गया। इसके बाद ऐसी कोई गायिका नहीं हुई जो उन्हें कोई ठोस चुनौती दे सके।
और हुआ भी कुछ ऐसा ही। भले ही शुरुआती दिनों में लता मंगेशकर को संघर्ष करना पड़ा हो पर आगे चलकर उन्होंने ओपी नैयर को छोड़कर लगभग हर बड़े फिल्म निर्माताओं के साथ काम किया। शुरुआती दिनों में तो उनको यह कहकर काम नहीं दिया जाता था कि उनकी आवाज बहुत ही महीन है। पर आगे चलकर लोग इसी आवाज के कायल हो गए। मधुबाला से लेकर माधुरी दीक्षित, काजोल, प्रीति जिंटा तक, शायद ही कोई अदाकारा बची रह गई हो, जिसके लिए लता मंगेशकर ने गाया न हो।
लता मंगेशकर को गायकी की हर विधा में महारत हासिल थी, फिर चाहे वो भजन हो या फिर ग़ज़ल, क़व्वाली, शास्त्रीय संगीत। या फिर वो आम फ़िल्मी गाने ही क्यों न हो, लता ने अपने गायिकी के हर अंदाज से लोगों के दिलों पर राज किया।
1991 में गिनीस बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ने माना कि लता मंगेशकर दुनिया भर में सबसे अधिक रिकॉर्ड की गई गायिका हैं। उन्होंने बीस से अधिक भाषाओं में 30 हजार से अधिक गाने गाए हैं। आज लता मंगेशकर के दीवाने लाखों में नहीं, बल्कि करोड़ों में है।
सदैव ही गायन के शीर्ष को सुशोभित करने वाली लता मंगेशकर ने अपने जीवन में रियाज़ को कभी एक दिन के लिए भी बंद नहीं किया। उनके इसी नियम परायणता का परिणाम था कि कोई भी गायक अपने आपको भाग्यशाली मानता था, अगर वो एक गाना भी उनके साथ गया ले तो।
यह वो शकशीयत थीं जिसका सम्मान बड़े-बड़े पुरस्कार भी नहीं कर सकते। इनका सबसे बड़ा पुरस्कार है कि वो आज भी वो अपने करोड़ों प्रशंसकों के बीच माँ सरस्वती के समान पूजनीय हैं। उनको फिल्मी जगत का सबसे बड़ा सम्मान 'दादा साहब फ़ाल्के अवार्ड' और देश का सबसे बड़ा सम्मान 'भारत रत्न' मिल चुका है।