Sri Lanka : फर्जी खबरें या अफवाह लोगों के जीवन में परेशानी ला देती है सोशल मीडिया हो या फिर इंटरनेट, फर्जी खबरें और अफवाहों से सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया परेशान है। ऐसी चीजों के समाधान के लिए श्रीलंका ने एक कानून बना दिया है अब इस कानून के वजह से वहां हंगामा खड़ा हो गया है। विपक्षी पार्टियां सरकार पर हमलावर हैं और इसे निजता का हनन बता रही हैं। उनका कहना है कि इस कानून का मकसद अभिव्यक्ति की आजादी को दबाना है वहीं सरकार का कहना है कि यह कानून साइबर अपराध से लड़ने में मदद करेगा। आखिर ऐसा क्या है श्रीलंका के इस नए कानून में जिसे लेकर लोग विरोध कर रहे है।
दरहसल, 2022 में आर्थिक संकट के दौरान सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन हुए थे। माना गया था कि इन प्रदर्शनों के पीछे सोशल मीडिया की अहम भूमिका थी। इसी के जरिये बड़ी संख्या में लोग एकजुट हो रहे थे जिसके कारण हालात बिगड़ने पर तत्कालीन राष्ट्रपति को पद तक छोड़ना पड़ा। विपक्ष के अनुसार तब से सरकार इस मौके में थी कि एक ऐसा कानून लाया जाए, जिससे सोशल मीडिया पर इस तरह की आवाजों को दबाया जा सके। इसी के लिए 24 जनवरी को सरकार ने इंटरनेट सुरक्षा का हवाला देते हुए एक कड़ा कानून पारित किया और गुरुवार को इसे लागू भी कर दिया गया। इसके बाद से सरकार विरोधी प्रदर्शन दोबारा शुरू हो गए हैं।
इस कानून के मुताबिक, श्रीलंका के बारे में झूठी बयानबाजी, धार्मिक भावनाओं को आहत करने के इरादे से दिए गए बयान अगर इंटरनेट पर फैलाए जाते हैं तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी। यहां तक कानून का उल्लघंन करने पर 5 साल जेल की सजा भी सुनाई जा सकती है। ऐसी चीजों को रोकने के लिए राष्ट्रपति पांच सदस्यीय आयोग बनाएंगे, जो इन बयानों का आकलन करेगा। कंपनियों को ऐसे बयान हटाने के लिए भी कहेगा और जरूरत हुई तो इन पर भारी जुर्माना भी लगा सकेगा। यह कानून सोशल मीडिया प्लेटफार्म को सभी पोस्ट के लिए उत्तरदायी बनाता है।