महान वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग नहीं मानते थे किसी भगवान को, एक किताब में लिखा इसका वजह

स्टीफन हॉकिंग ने कई किताबें लिखीं। ईश्वर को लेकर उनका हमेशा मानना था कि ईश्वर जैसी कोई चीज नहीं होती। उन्होंने अपनी आखिरी किताब में विस्तार से समझाया कि भगवान जैसी कोई चीज क्यों नहीं होती है।
Stephen Hawking  : सबसे प्रतिभाशाली वैज्ञानिकों में से एक माने जाने वाले हॉकिंग का मार्च 2018 में 76 वर्ष की आयु में निधन हो गया। (Wikimedia Commons)
Stephen Hawking : सबसे प्रतिभाशाली वैज्ञानिकों में से एक माने जाने वाले हॉकिंग का मार्च 2018 में 76 वर्ष की आयु में निधन हो गया। (Wikimedia Commons)

Stephen Hawking: भगवान असलियत में होते हैं या नहीं, ये तो लोगों के मानने या ना मानने पर निर्भर करता है। प्रसिद्ध भौतिक वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग हमेशा ये बात कहते थे कि इस दुनिया में कोई भगवान नहीं हैं। दरअसल, वह अनिश्वरवादी थे, कोई धर्म नहीं मानते थे। हालांकि दुनिया के ज्यादातर वैज्ञानिकों का यहीं मानना हैं कि ईश्वर नहीं होता है। आइए आज के इस आर्टिकल में जानते हैं कि वैज्ञानिकों के ऐसा मानने की क्या वजह है।

सबसे प्रतिभाशाली वैज्ञानिकों में से एक माने जाने वाले हॉकिंग का मार्च 2018 में 76 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनकी कमोवेश पूरी जिंदगी ही व्हीलचेयर पर बीती। वह बोल नहीं पाते थे लेकिन इसके लिए उन्होंने खास मशीनों का सहारा लिया, जिसके जरिए वह संवाद करते थे। दिमागी तौर पर वह आखिरी समय तक क्रियाशील रहे। जब उनका निधन हुआ तो वह एक किताब पर काम कर रहे थे। उनकी इस आखिरी किताब का नाम है “ब्रीफ आंसर टू द बिग क्वेश्चन”, जो बेस्ट सेलर बुक है।

क्या लिखा गया है किताब में

अंतरिक्ष से जुड़ी कई बड़ी खोजों का श्रेय हॉकिंग को जाता है। उन्होंने कई किताबें लिखीं। ईश्वर को लेकर उनका हमेशा मानना था कि ईश्वर जैसी कोई चीज नहीं होती। अपनी आखिरी किताब में उन्होंने विस्तार से समझाया कि भगवान जैसी कोई चीज क्यों नहीं होती है। इस किताब में उन्होंने साफ कहा है कि कोई ईश्वर नहीं है। किसी ने ब्रह्मांड नहीं बनाया। कोई भी हमारे भाग्य को निर्देशित नहीं करता। ना स्वर्ग है और ना ही मृत्यु के बाद कोई जीवन। जब हम मरते हैं तो मिट्टी में लौट जाते हैं।

उन्होंने लिखा है कि हमें ब्रह्मांड की व्याख्या करने के लिए किसी भगवान की जरूरत नहीं है। (Wikimedia Commons)
उन्होंने लिखा है कि हमें ब्रह्मांड की व्याख्या करने के लिए किसी भगवान की जरूरत नहीं है। (Wikimedia Commons)

प्रकृति के हैं अपने नियम

उन्होंने लिखा है कि हमें ब्रह्मांड की व्याख्या करने के लिए किसी भगवान की जरूरत नहीं है। प्रकृति के अपने नियम हैं और वो उसी तरह काम करते हैं। मनुष्यों द्वारा बनाए गए कानूनों के विपरीत प्रकृति के नियमों को तोड़ा नहीं जा सकता – यही कारण है कि वे बेहद शक्तिशाली हैं। जब उन्हें धार्मिक दृष्टिकोण से देखा जाता है, तो वो विवादास्पद भी हो जाते हैं।

ज्यादातर वैज्ञानिकों को नहीं है भगवान पर विश्वास

इस मामले में आइंस्टीन की बात की जाए तो वो धर्म के बारे में अक्सर बातें करते थे लेकिन किसी व्यक्तिगत ईश्वर में विश्वास नहीं करते थे। वह स्वयं को अज्ञेयवादी कहलाना पसंद करते थे। 2009 में प्यू रिसर्च सेंटर द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण से पता चला कि 41% वैज्ञानिक भगवान या उच्च शक्ति में विश्वास नहीं करते, जो आम जनता के साथ बिल्कुल विपरीत है, जहां केवल 4 फीसदी ईश्वर को नहीं मानते थे।

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