Tajmahal : सात अजूबों में से एक ताजमहल को लेकर एक आरटीआई में खुलासा हुआ। इस खुलासे में पता चला कि ताजमहल के सुन्दरता को बनाए रखने में संगमरमर पर जमीन, धूल, मिट्टी और पॉल्यूशन को साफ करने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण मड थेरेपी का इस्तेमाल करता था। अभी तक 10 बार मड पैक थेरेपी करके इसे चमकाया जा चुका है। अब तक इस मड पैक पर 17410242 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं। आगरा के वरिष्ठ अधिवक्ता के.सी जैन ने एक आरटीआई दाखिल की थी, जिसके जवाब में यह जानकारी मिली है, तो आइए जानते हैं मड थेरेपी करना ताजमहल के लिए फायदेमंद है भी या नहीं?
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अनुसार पहले क्ले को डिस्टिल्ड वॉटर में घोलकर गड़ा लेप यानी कि पेस्ट तैयार किया जाता है। इसके बाद इस पेस्ट को कुछ समय के लिए रखा जाता है, ताकि अच्छी तरह से तैयार हो जाए। इसके बाद माइल्ड साल्ट और पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए इस घोल उपयुक्त कार्बनिक रासायनिक मिलकर इस पेस्ट को मार्बल की सतह पर ब्रश की सहायता से लगाया जाता है। इसके बाद पॉलिथीन सीट से उस हिस्से को कवर कर दिया जाता है।
इस प्रक्रिया के दौरान मार्बल सतह पर हानिकारक एसिटिक जमा पदार्थों को अवशोषित कर लेती है। फिर पूरी तरह से सूख जाने पर क्ले अपने आप निकल जाता है और बाकी बचे हुए क्ले को ब्रश की सहायता से साफ कर दिया जाता है और फिर डिस्टिल्ड वॉटर से संगमरमर को धोकर साफ कर दिया जाता है। आरटीआई से यह जानकारी मिली है कि मड पैक का काम एएसआई की विज्ञान शाखा करती है। साल 2007-08 से 2022-23 तक पैक करवाया गया है।
मड थेरेपी का उपयोग उस वक्त भी किया जाता है, जब यमुना की गंदगी और गाद से निकलने वाला गोल्डी काइरोनोमस कीड़ा ताजमहल की पिछली दीवाल को खराब कर देता है। ये कीड़ा अपने पीछे हरे रंग का एक तरल पदार्थ छोड़ती है, जिससे ताजमहल का संगमरमर पत्थर खराब होने लगता है। इसको ठीक करने में भी इस थेरेपी का इस्तेमाल किया जाता है।
लेकिन वरिष्ठ अधिवक्ता के.सी जैन के अनुसार, यह मिट्टी का पैक बार-बार ताजमहल की दीवारों पर उपयोग करना ठीक नहीं है। इसे ठीक करने के लिए वायु गुणवत्ता का सुधार होना आवश्यक है। इसके अलावा यमुना की भी सफाई होनी चाहिए और यमुना नदी में पानी रहना चाहिए, ताकि 10-50 पीएम कण ताजमहल की दीवारों को खराब ना कर दे।