Tardigrade : ये जीव अंतरिक्ष में भी अपना गुजारा कर सकता है इस जीव को लेकर वैज्ञानिकों का कहना है कि पृथ्वी पर कोई भी आपदा आ जाए तो भी ये अपनी जान बचा सकते हैं क्योंकि इनमें एक खास तरह का जीन होता है। वैज्ञानिकों ने लंबे रिसर्च के बाद इसके बारे में कई जानकारियां इकट्ठा की है। आज हम आपको इन्ही जानकारियों से रूबरू करवाएंगे।
आठ पैरों वाले इस सूक्ष्म जीव जिसका वर्णन पहली बार 1773 में जर्मन प्राणीशास्त्री जोहान ऑगस्ट एफ़्रैम गोएज़ ने किया था, जिन्होंने उन्हें क्लिनर वासेरबार या छोटा जल भालू कहा था और 1777 में, जीवविज्ञानी लाज़ारो स्पल्लानज़ानी ने उन्हें टार्डिग्राडा नाम दिया, जिसका अर्थ होता है "धीमी गति से चलने वाले जीव "।
वे पृथ्वी के विभिन्न क्षेत्रों जैसे पर्वत शिखर, गहरे समुद्र , उष्णकटिबंधीय वर्षावन और अंटार्कटिक में पाए गए हैं । ये सबसे लचीले जानवरों में से हैं, ये अत्यधिक तापमान, अत्यधिक दबाव, वायु अभाव और भुखमरी जैसे चरम स्थितियों में भी जीवित रहने में सक्षम हैं।
पूर्ण विकसित होने पर ये आमतौर पर लगभग 0.5 मिमी यानी 0.020 इंच लंबे होते हैं। इनका आकार छोटे और मोटे होते हैं। इनके चार जोड़े पैर होते हैं, और चार से आठ पंजे होते है। टार्डिग्रेड्स काई और लाइकेन में प्रचलित हैं और पौधों की कोशिकाओं, शैवाल और छोटे अकशेरुकी जीवों का सेवन करते हैं। एकत्र किए जाने पर, उन्हें कम-शक्ति वाले माइक्रोस्कोप के तहत देखा जा सकता है।
वैज्ञानिकों ने उस तरीके का पता लगा लिया है जिस कौशल का उपयोग करके ये जीवित रहते हैं। 17 जनवरी, 2024 को पीयर-रिव्यू जर्नल पीएलओएस वन में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, जब ऐसी स्थितियों के संपर्क में आते हैं जो निष्क्रिय अवस्था को ट्रिगर करती है तो इसकी कोशिकाएं ऑक्सीजन मुक्त कणों का उत्सर्जन करती हैं, जो बदले में, सिस्टीन अमीनो एसिड को ऑक्सीकृत करती हैं। प्रतिक्रियाओं के परिणामस्वरूप, सिस्टीन जल भालू में प्रोटीन को बदल देता है, जिससे ट्यून अवस्था शुरू हो जाती है।