संयुक्त राष्ट्रीय संघ का स्थाई सदस्य बनकर भारत बन जाएगा और भी पावरफुल

लंबे समय से भारत इसके लिए कई प्रयास कर रहा है। दुनियाभर के सभी बड़े और ताकतवर देश इसके लिए समय-समय पर समर्थन भी कर चुके हैं लेकिन ऐसा अभी तक नहीं हो पाया है। अब एलन मस्क ने भी भारत को यूएनएससी में सीट देने के लिए पैरवी की है।
United Nations Security Council: संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना 24 अक्टूबर 1945 को हुई थी।(Wikimedia Commons)
United Nations Security Council: संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना 24 अक्टूबर 1945 को हुई थी।(Wikimedia Commons)
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United Nations Security Council: आजादी के बाद से ही भारत की हमेशा से यही कोशिश रही है कि संयुक्त राष्ट्र संघ सुरक्षा परिषद में भारत को स्थायी सीट मिल जाए। लंबे समय से भारत इसके लिए कई प्रयास कर रहा है। दुनियाभर के सभी बड़े और ताकतवर देश इसके लिए समय-समय पर समर्थन भी कर चुके हैं लेकिन ऐसा अभी तक नहीं हो पाया है। अब एलन मस्क ने भी भारत को यूएनएससी में सीट देने के लिए पैरवी की है। लेकिन क्या होगा यदि भारत इस सीट को हासिल कर लेगा? क्या इससे भारत और भी ज्यादा पॉवरफुल बन जाएगा ? आज हम आपके मन में चल रहे इन्हीं सवालों का जवाब लेकर आए हैं।

क्या भारत को ऑफर हुई थी स्थायी सदस्यता

संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना 24 अक्टूबर 1945 को हुई थी। भारत इसके मूल संस्थापक सदस्यों में है। अर्थात् जिन देशों ने संयुक्त राष्ट्र के घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किया था, भारत उनमें से एक था। उस समय संयुक्त राष्ट्र संघ में पांच सदस्यों को स्थायी सदस्यता प्रदान की गई। ऐसा कहा जाता है कि उस समय भारत को भी स्थायी सदस्यता ऑफर हुई थी, लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने इसे स्वीकार नहीं किया था परंतु 27 सितंबर, 1955 को डॉ. जेएन पारेख के सवालों के जवाब में नेहरू ने संसद में इस बात को लेकर साफ़ - साफ़ इंकार कर दिया।

क्या होगा वीटो पॉवर मिलने के बाद

विशेषज्ञ बताते हैं कि यदि भारत के पास ऐसी वीटो पॉवर आ जाती है तो काफी हद तक एशिया में शक्ति संतुलन ही बदल जाएगा। तब एशिया महाद्वीप में केवल चीन ही नहीं बल्कि भारत भी एक बड़ी राजनीतिक ताकत के रूप में शामिल हो जाएगी। भारत की बात अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कहीं ज्यादा गंभीरता से सुनी जाएगी।

 पिछले नौ सालों में चीन ने एक बार नहीं बल्कि चार बार इस संबंध में लाए गए प्रस्ताव को वीटो लगाकर रोका।(Wikimedia Commons)
पिछले नौ सालों में चीन ने एक बार नहीं बल्कि चार बार इस संबंध में लाए गए प्रस्ताव को वीटो लगाकर रोका।(Wikimedia Commons)

पाकिस्तानी आतंकवादी गतिविधियों पर लगेगा लगाम

विशेषज्ञों का मानना है कि अगर भारत के पास वीटो पॉवर होगी तो काफी हद तक ना केवल पाकिस्तान की आतंकवादी गतिविधियों बल्कि चीन से उसे मिलने वाले सहयोग पर भी लगाम लगेगी। चीन और पाकिस्तान को हमेशा ये आशंका सताती रहती है कि अगर भारत यूएनएससी में स्थायी सीट पा गया तो कभी भी सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों की मीटिंग बुला सकता है बल्कि इस मामले पर प्रस्ताव भी ला सकता है। जिसे मानना सभी देशों के लिए एक बाध्यता होगी।

चीन बन गया है भारत के लिए रुकावट

पिछले नौ सालों में चीन ने एक बार नहीं बल्कि चार बार इस संबंध में लाए गए प्रस्ताव को वीटो लगाकर रोका। यदि भारत संयुक्त राष्ट्र का स्थायी सदस्य होता शायद ऐसा नहीं होता तब पाकिस्तान को भी ये डर रहता कि उसके पड़ोस में एक ऐसा देश बैठा है, जिसे वीटो पॉवर प्राप्त है। ऐसे में उसे आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने से पहले दस बार सोचना पड़ता।

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