Weird Tradition : बच्चे के जन्म पर जहां लोग खुशियां मनाते है घर - घर मिठाईयां बटवाते है वही भारत के राजस्थान की यह जनजाति ठीक इसका उल्टा करती है। आखिर क्या वजह हो सकती है इसके पीछे आइए जानते है। दरहसल, यह लोग काफी गरीब होते हैं। इनकी कमाई का मुख्य जरिया महिलाओं द्वारा किया गया देह-व्यापार है। इसकी वजह से यह जनजाति की काफी बदनामी भी होती है। आज के समय में ये जनजाति ज्यादातर सड़कों के किनारे रहता है। इसके अलावा इनके भोजन का मुख्य जरिया सड़क पर मरे गए जानवरों का शरीर होती है लेकिन ये दोनों बातें इस ट्राइब को अनोखा नहीं बनाती। इस ट्राइब की सबसे हटके बात ये है कि इस कबीले के लोग किसी के जन्म पर मातम मनाते हैं और मौत पर जश्न मनाते है।
जब भी इस कबीले में किसी बच्चे का जन्म होता है, तो ये लोग फूट-फूटकर रोते हैं। साथ ही जिस घर में बच्चा पैदा होता है, वो खाना भी बनाना बंद कर देते हैं। आम भारतीय घरों में ऐसा किसी की मौत के बाद किया जाता है लेकिन यहां बच्चे के जन्म के बाद ऐसा होता है कबीले के लोगों का मानना है कि दुनिया में जन्म लेना भगवान का श्राप है। हालांकि, लड़की के जन्म पर मातम कम मनाया जाता है। क्यूंकि आगे चलकर देह व्यपार के जरिये वही परिवार का पेट भरेगी।
वहीं जब इसमें किसी की मौत हो जाती है तो वहां जश्न मनाया जाता है। जब तक डेड बॉडी को जला नहीं दिया जाता, तब तक खुशियां मनाई जाती है। इस समय शानदार दावत दी जाती है और जमकर लोग शराब पीते है । किसी की मौत पर ये लोग नए कपड़े पहनते हैं, मिठाइयां खरीदते हैं और काजू-बादाम खाते हैं।
ये जनजाति नशे की लत के कारण भी बदनाम है। भले ही इनके पास खाने के पैसे ना हो लेकिन ये शराब के नशे के लिए कहीं से भी जुगाड लगा ही लेते है।इस जनजाति के हितों के लिए काम कर रहे कोटा अनवर अहमद नाम के सोशल एक्टिविस्ट ने बताया था कि जब इन्हें इंदिरा रेसिडेंशियल स्कीम के तहत घर दिए गए, तो उन्होंने उस घर को बेच दिया और उन पैसों की शराब पी गए। इतना ही नहीं, ये अपने बच्चों को स्कूल भी नहीं भेजते पढ़ने के लिए।