Yogi Snow Meditation : इन दिनों सोशल मीडिया पर एक योगी का वीडियो देख कर लोग आश्चर्यचकित हो गए। वह योगी कुल्लू जिला की सराज घाटी में बर्फ से घिरे क्षेत्र में योग साधना में लीन दिखाई दे रहे हैं। इस सिद्ध योगी का नाम सत्येंद्र नाथ है जो कुल्लू जिला बंजार के रहने वाले हैं। इनका मंडी जिला के बालीचौकी में कौलान्तक पीठ नाम से आश्रम है जहां ये पिछले 20 से 22 वर्षों से योग साधना कर रहे हैं। योगी सत्येंद्र नाथ इन दिनों असम के सिलीगुड़ी में योग साधना सीखा रहे हैं। आइए जानते हैं कि हिम साधना क्या है और सिद्ध योगी किस प्रकार करते हैं।
हिमालय के सिद्ध योगी खुद पर पूर्ण नियंत्रण प्राप्त करने के लक्ष्य से तथा ध्यान-समाधी की गहराईयों को महसूस करने के लिए इस तरह की कठिन साधनायें करते हैं। इस में हिमालय की ऊर्जा योगी के लिए समाधी की ओर जाने में महत्पूर्ण सहायक होती है और हिम की शीतलता कुण्डलिनी ऊर्जा को नियंत्रित रखने का काम करती है।
'श्वेत मेरु कल्प' हिमालय की सिद्ध परंपरा का एक ग्रन्थ है जो कि हिम में और पर्वतों पर साधना करने की विधियां बताता है। हिमालय के योगियों के लिए यह सत्य और शांति का प्रतीक होता है। अपनी कुण्डलिनी ऊर्जा को जागृत करने के लिए यह साधना की जाती है। इसमें प्राणायाम को साधने और सूर्य नाड़ी पर ध्यान केंद्रित करने के साथ ही, अग्नि बीज मंत्र के अभ्यास से योगी कड़कड़ाती ठण्ड को सहने का अभ्यास करते हैं। यह सुनने में जितना सरल लगता है करने में उतना ही कठिन होता है।
महायोगी सत्येंद्र नाथ के गुरु ईशनाथ थे उनका शिष्य होने के कारण लोग इन्हें ईशपुत्र के नाम से भी जानते हैं ईशपुत्र हिमालय की सिद्ध परम्परा के योगी हैं। इनका वास्तविक नाम महायोगी सत्येंद्र नाथ है। ये कौलान्तक पीठ के पीठाधीश्वर हैं जो हिमालय के सिद्धों की एकमात्र पीठ है। ईशपुत्र 8 से भी अधिक देशों में कौलान्तक पीठ योग और देवधर्म का प्रचार करते हैं।
योगी सत्येंद्र नाथ बचपन से ही बर्फ में साधना का अभ्यास कर रहे हैं, इसलिए उनके लिए ये सरल हैं, लेकिन कभी- कभी इतने ठंड में ऐसे पहाड़ों पर जा कर साधना करना जानलेवा भी हो सकता है। हर वर्ष बर्फ और ठण्ड के कारण बहुत से लोगों की जान चली जाती है। लेकिन इसमें कोई शक नहीं है की योग में अद्भुत शक्ति होती है और अभ्यास से सब कुछ सरल हो जाता हैं।