Tata Group Charitable Work : टाटा ग्रुप के फाउंडर जमशेतजी टाटा को पिछली सदी में दुनिया का सबसे बड़ा दानवीर बताया गया है। जमशेतजी टाटा का जन्म गुजरात में एक पारसी परिवार में हुआ था। उस समय उनकी फैमिली की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। जमशेतजी टाटा अपने परिवार के पहले सदस्य थे जो पुरोहिती परंपरा को छोड़ कर कारोबार शुरू किया। टाटा ने हीराबाओ दब्बू से शादी की और उनके दो बेटे दोराबजी टाटा और रतनजी टाटा हुए जिन्होंने बाद में कारोबार संभाला।
एडेलगिव फाउंडेशन और हुरुन रिपोर्ट 2021 के अनुसार उन्होंने 829734 करोड़ रुपये का सबसे ज्यादा दान किया है इसलिए उन्हें दुनिया का सबसे बड़ा परोपकारी व्यक्तित्व बताया गया है साथ ही बिल गेट्स ने इस लिस्ट में दूसरा स्थान हासिल किया है।जमशेतजी टाटा ने अधिकतर दान एजुकेशन और हेल्थ सेक्टर में किया। आपको बता दें कि टाटा ग्रुप ने अपने चैरिटेबल वर्क 1892 में शुरू किया था और उसके माध्यम से वह दान करते है।
जमशेतजी टाटा ने 1904 में आखिरी सांस ली। उनके बाद टाटा ग्रुप के मानद अध्यक्ष रतन टाटा अब टाटा ग्रुप की चैरिटेबल एक्टिविटी संभालते हैं। हुरुन रिपोर्ट के चेयरमैन और चीफ रिसर्चर रूपर्ट हुगेवर्फ ने कहा, 'कई परोपकारियों ने पहली पीढ़ी के बजाय दूसरी पीढ़ी को दान दिया, जैसे कि फोर्ड फाउंडेशन की कहानी.' टाटा के अलावा, दुनियाभर के टॉप 50 परोपकारियों की लिस्ट में शामिल होने वाले भारतीय विप्रो के फाउंडर अजीम प्रेमजी हैं। उन्होंने 22 बिलियन अमेरिकी डॉलर का दान दिया।
1904 में जमशेतजी टाटा का निधन हो गया, तब से टाटा ग्रुप के मानद चेयरमैन रतन टाटा ग्रुप की चैरिटेबल गतिविधियों को देख रहे हैं। जमशेतजी टाटा ने 1903 में देश का पहला लग्जीरियस 5 स्टार होटल मुंबई में बनाया। यह होटल आज 'द ताज महल पैलेस' के नाम से मशहूर है। जमशेतजी टाटा ने महज 29 साल की उम्र में 1868 में 21,000 रुपये में एक ट्रेडिंग कंपनी की शुरू की थी। उन्हें उस समय यह अहसास हो गया था कि भारतीय कंपनियों के लिए टेक्सटाइल में काफी स्कोप है। उन्होंने 1869 में टेक्सटाइल बिजनेस में एंट्री कर ली थी।