क्या आप अंदाजा लगा सकते हैं चांद की उम्र क्या है? नहीं ना तो चलिए हम बताते हैं

चंद्रमा को लेकर कई प्रकार के अध्ययन अभी जारी है और शायद आगे भी जारी रहेंगे। भारत ने भी चंद्रमा पर अपनी रिसर्च को बढ़ाने के लिए चंद्रयान-3 को लांच किया और भी कई देशों ने चांद पर अपने सैटेलाइट भेजें ताकि चंद्रमा से जुड़ी कुछ जानकारियां हम सबको मिल सके
चांद की उम्र :- चंद्रमा की जितनी उम्र अभी बताई जा रही है उसे वह 4 करोड़ वर्ष अधिक पुराना हो सकता है।[Wikimedia Commons]
चांद की उम्र :- चंद्रमा की जितनी उम्र अभी बताई जा रही है उसे वह 4 करोड़ वर्ष अधिक पुराना हो सकता है।[Wikimedia Commons]

चांद को लेकर तो आए दिन कोई ना कोई खबर आती ही रहती है। क्योंकि आए दिन चांद को लेकर कई प्रकार के रिसर्च चल रहे हैं। ऐसे ही एक रिसर्च ने दावा किया कि चंद्रमा की उम्र कम से कम 4.46 अरब वर्ष हो सकती है। इसका अर्थ है कि चंद्रमा की जितनी उम्र अभी बताई जा रही है उसे वह 4 करोड़ वर्ष अधिक पुराना हो सकता है। तो चलिए चंद्रमा से जुड़े कुछ अन्य अध्ययन आपको बताते हैं।

अनुसंधानकर्ताओं का क्या कहना है

अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि कर अब वर्ष से भी पहले जब सौरमंडल अभी नया ही था तथा धरती बड़ी हो रही थी तब मंगल ग्रह के आकार का एक विशाल पिंड हमारे ग्रह से टकराया उनका कहना है कि प्रारंभिक पृथ्वी से टूटकर जो सबसे बड़ा टुकड़ा अलग हुआ वही चंद्रमा बना। उन्होंने कहा कि लेकिन यह कब हुआ इसका सटीक समय अभी भी रहस्य बना हुआ है। जिओ केमिकल पर्सपेक्टिव लेटर्स नमक एक पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में चंद्रमा के बनने के समय का पता लगाने के लिए 1972 में अपोलो अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा वहां से ले गए क्रिस्टल का इस्तेमाल भी किया गया।

चंद्रमा के बनने के समय का पता लगाने के लिए 1972 में अपोलो अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा वहां से ले गए क्रिस्टल का इस्तेमाल भी किया गया।[Wikimedia Commons]
चंद्रमा के बनने के समय का पता लगाने के लिए 1972 में अपोलो अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा वहां से ले गए क्रिस्टल का इस्तेमाल भी किया गया।[Wikimedia Commons]

अध्ययन में और कौन-कौन सी बातें सामने आई

अमेरिका की शिकागो विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और इस अध्ययन की वरिष्ठ लेखक ने कहा कि यह क्रिस्टल सबसे पुराना ज्ञात ठोस है जो इस विशाल टक्कर के बाद बने थे। क्योंकि हमें यह मालूम है कि यह क्रिस्टल कितने पुराने हैं इसलिए वह हमें चंद्रमा के कार्यक्रम का पता लगाने में बुनियाद के रूप में काम करते हैं। इस अध्ययन में इस्तेमाल किए गए चंद्रमा के धूल कण के नमूने 1972 में अंतरिक्ष यात्री लेकर आए थे।

चंद्रमा को लेकर कई प्रकार के अध्ययन अभी जारी है और शायद आगे भी जारी रहेंगे। भारत ने भी चंद्रमा पर अपनी रिसर्च को बढ़ाने के लिए चंद्रयान-3 को लांच किया[Wikimedia Commons]
चंद्रमा को लेकर कई प्रकार के अध्ययन अभी जारी है और शायद आगे भी जारी रहेंगे। भारत ने भी चंद्रमा पर अपनी रिसर्च को बढ़ाने के लिए चंद्रयान-3 को लांच किया[Wikimedia Commons]

अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार इस धूल कण में छोटे-छोटे क्रिस्टल हैं जो लाखों साल पहले बने थे और इस बात का संकेत देते हैं कि चंद्रमा कब बना होगा। उन्होंने कहा कि जब मंगल के आकार का एक पिंड धरती से टकराया और उससे जो ऊर्जा पैदा हुई उससे चट्टान पिघल गई और अंततः चंद्रमा की सतह बनी। हालांकि चंद्रमा को लेकर कई प्रकार के अध्ययन अभी जारी है और शायद आगे भी जारी रहेंगे। भारत ने भी चंद्रमा पर अपनी रिसर्च को बढ़ाने के लिए चंद्रयान-3 को लांच किया और भी कई देशों ने चांद पर अपने सैटेलाइट भेजें ताकि चंद्रमा से जुड़ी कुछ जानकारियां हम सबको मिल सके क्योंकि चांद ही एक ऐसा ग्रह है जिसके बारे में जानकारी ना के बराबर है।

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