बाबूलाल सैयद ने पीआईएल में कहा है कि 'भगवान (Hindu Gods) के चित्र समाचार पत्रों में छपने का कोई लाभ नहीं होता इसलिए इन पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए।' (Wikimedia Commons)
बाबूलाल सैयद ने पीआईएल में कहा है कि 'भगवान (Hindu Gods) के चित्र समाचार पत्रों में छपने का कोई लाभ नहीं होता इसलिए इन पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए।' (Wikimedia Commons)

अखबार में Hindu Gods की तस्वीर नहीं चाहते हैं एडवोकेट फिरोज बाबूलाल सैयद, की प्रतिबंध की मांग

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मुंबई उच्च न्यायालय में दायर की गई एक पीआईएल (Restriction on Hindu Gods) आपको चौंका सकती है। वह इसलिए क्योंकि एडवोकेट फिरोज बाबूलाल सैयद ने एक ऐसी पीआईएल (Bombay High-Court) दायर की थी जिससे समुदाय विशेष की मंशा को प्रश्नचिन्ह खड़े हो सकते हैं.

एडवोकेट फिरोज बाबूलाल सैयद ने पीआईएल में कहा है कि 'भगवान (Hindu Gods) के चित्र समाचार पत्रों में छपने का कोई लाभ नहीं होता इसलिए इन पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए।'

यह भी कहा गया है कि 'पिछले डेढ़ 2 वर्षों से देश में कोरोना महामारी फैली हुई है। समाचार पत्रों में देवी-देवताओं की मूर्तियों का चित्र दिखाने से जनता को भीड़ में त्योहार मनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। जिससे कोविड-19 बढ़ने का अंदेशा है। इसलिए इन पर पूर्णत रोक लगाई जाए।'

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सुनवाई करते हुए मुंबई उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता ने और न्यायमूर्ति विजय बिष्ट की पीठ ने इस याचिका को रद्द करते हुए कहा कि न्यायालय इस तरह के निर्देश नहीं जारी कर सकता है। उन्होंने कहा है कि 'यह विधायिका और कार्यपालिका क्षेत्र का विषय है, जबकि यहां याचिकाकर्ता इसे न्याय पालिका के द्वारा कानून का अनुपालन करवाना चाहता है।'

लाइव अदालत के ट्वीट पर कई लोगों ने अपनी-अपनी प्रतिक्रिया दी है इसमें एक यूजर ने कहा है कि 'मुसलमानों की समस्या यह नहीं है कि उनके इलाके में शोभायात्रा क्यों निकली। इसलिए उन्होंने पत्थर मारे। उनकी समस्या पूरे देश में हिंदू समाज से है। अखबारों में गणेश जी का चित्र देखकर महाशय आहत हो जाते हैं और इनकी ऊंची अजान ना अल्लाह हर रोज पांच बार सुनना पड़ता है।

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