Bhopal Gas Tragedy: केंद्र द्वारा दायर क्यूरेटिव पिटीशन पर सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को फैसला सुनाएगा

सुप्रीम कोर्ट 1984 की भोपाल गैस त्रासदी(Bhopal Gas Tragedy) को लेकर केंद्र द्वारा दायर क्यूरेटिव पिटीशन पर मंगलवार को अपना फैसला सुनाएगा।
Bhopal Gas Tragedy: केंद्र द्वारा दायर क्यूरेटिव पिटीशन पर सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को फैसला सुनाएगा(IANS)

Bhopal Gas Tragedy: केंद्र द्वारा दायर क्यूरेटिव पिटीशन पर सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को फैसला सुनाएगा(IANS)

Bhopal Gas Tragedy

न्यूज़ग्राम हिंदी: सुप्रीम कोर्ट 1984 की भोपाल गैस त्रासदी(Bhopal Gas Tragedy) के पीड़ितों के लिए यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन (UCC) की उत्तराधिकारी फर्मों से 7,400 करोड़ रुपये के अतिरिक्त मुआवजे की मांग को लेकर केंद्र द्वारा दायर क्यूरेटिव पिटीशन पर मंगलवार को अपना फैसला सुनाएगा। यूसीसी की उत्तराधिकारी फर्मों ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया था कि भारत सरकार ने निपटान (1989 के) के समय कभी भी यह सुझाव नहीं दिया कि यह अपर्याप्त था। फर्मों के वकील ने इस बात पर जोर दिया कि 1989 के बाद से रुपये का अवमूल्यन भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों के लिए अब मुआवजे की मांग का आधार नहीं बन सकता है।

विस्तृत दलीलें सुनने के बाद, 12 जनवरी को न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की पीठ ने पीड़ितों को अधिक मुआवजा देने के लिए यूसीसी की उत्तराधिकारी फर्मों से अतिरिक्त 7,844 करोड़ रुपये की मांग वाली केंद्र की क्यूरेटिव पिटीशन पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।

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Bhopal Gas Tragedy: केंद्र द्वारा दायर क्यूरेटिव पिटीशन पर सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को फैसला सुनाएगा(IANS)

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यूसीसी की उत्तराधिकारी फर्मों का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने पीठ के समक्ष प्रस्तुत किया- जिसमें जस्टिस संजीव खन्ना, अभय एस ओका, विक्रम नाथ और जे.के. माहेश्वरी भी शामिल हैं- कि 1995 से शुरू होकर 2011 तक समाप्त होने वाले हलफनामे हैं, जहां भारत सरकार ने यह सुझाव देने के हर एक प्रयास का विरोध किया है कि समझौता अपर्याप्त है।

सुनवाई के दौरान साल्वे ने मामले से जुड़े कई षड्यंत्र सिद्धांतों का भी हवाला दिया। उन्होंने कहा कि सिद्धांत में यह दावा किया गया था कि तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने समझौते से पहले पेरिस के एक होटल में यूसीसी अध्यक्ष वॉरेन एंडरसन से मुलाकात की थी, और कहा कि एंडरसन तब तक अपने पद से सेवानिवृत्त हो चुके थे।

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शीर्ष अदालत ने केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी से सवाल किया था कि सरकार समीक्षा दायर किए बिना क्यूरेटिव पिटीशन कैसे दायर कर सकती है। इसने एजी को बताया कि केंद्र सरकार को भोपाल गैस त्रासदी पीड़ितों को राहत देने से प्रतिबंधित नहीं किया गया था, और यह राज्य के सिद्धांत से खुद को यह कहकर दूर नहीं कर सकता है, मैं इसे उनसे (यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन की उत्तराधिकारी फर्मों) ले लूंगा, जब भी उनसे लिया जाएगा, मैं भुगतान करूंगा।

--आईएएनएस/VS

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