'SING,DANCE AND PRAY किताब हुई बैंगलोर में लॉन्च

'SING,DANCE AND PRAY किताब इस्कॉन के संस्थापक-आचार्य श्रील प्रभुपाद के जीवन पर है आधारित।
'SING,DANCE AND PRAY किताब हुई, बैंगलोर में लांच
'SING,DANCE AND PRAY किताब हुई, बैंगलोर में लांच 'SING,DANCE AND PRAY (IANS)

किताब 'SING,DANCE AND PRAY : THE INSPIRATIONAL STORY ऑफ श्रील प्रभुपाद' (पेंगुइन रैंडम हाउस इंडिया) को इस्कॉन बैंगलोर में लांच किया गया। ये पुस्तक इस्कॉन के संस्थापक आचार्य के जीवन पर

आधारित है और इसे उनके 125वें जन्मदिन के मौके पर लॉन्च किया गया।

इस अवसर पर सम्मानित अतिथियों में लेखिका सुधा मूर्ति शामिल थीं जो मूर्ति फाउंडेशन की अध्यक्ष भी हैं। इसके अलावा इसमें एस सोमनाथ, अध्यक्ष इसरो; रिकी केज, ग्रैमी पुरस्कार विजेता; मिली ऐश्वर्या, प्रकाशक, पेंगुइन रैंडम हाउस इंडिया और डॉ हिंडोल सेनगुप्ता, लेखक मौजूद थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता मधु पंडित दास, अध्यक्ष, इस्कॉन बैंगलोर और अक्षय पात्र फाउंडेशन और चंचलपति दास, वरिष्ठ उपाध्यक्ष, इस्कॉन-बैंगलोर ने की।

'SING,DANCE AND PRAY श्रील प्रभुपाद, इस्कॉन के संस्थापक-आचार्य के जीवन में झांकने का मौका देता है। उन्होंने दुनिया भर में 100 से अधिक मंदिरों, आश्रमों और सांस्कृतिक केंद्रों की स्थापनी की।

लॉन्च के बाद एक पैनल चर्चा हुई, जहां गणमान्य व्यक्तियों ने उनके जीवन पर अपने विचार साझा किए।

सुधा मूर्ति ने कहा, ''मैं हिंडोल को एक साधु, उनकी जीवन की कठिनाइयों पर स्पष्ट लेखन के लिए बधाई देना चाहती हूं। जब मैंने पुस्तक पढ़ी तो पता चला कि श्रील प्रभुपाद कौन थे और उनका क्या योगदान था।''

एस. सोमनाथ ने भी चर्चा में भाग लिया और जीवनी की प्रशंसा की।

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रिकी केज ने कहा, 'SING,DANCE AND PRAY जीवन के 360-डिग्री ²ष्टिकोण को चित्रित करता है। स्वामी प्रभुपाद का जीवन पूरी तरह सांस्कृतिक बाधाएं तोड़ने वाला था। वह सबसे महान सांस्कृतिक और पारंपरिक भारत के राजदूत थे। एक सांस्कृतिक अग्रणी के रूप में, उन्होंने भारतीय संस्कृति को अपने प्रयासों के माध्यम से दुनिया भर में फैलाया।

लेखक ने कहा, यह पुस्तक वास्तव में विशेष है और यह ईश्वरीय कृपा से संभव हो पाई है। श्रील की अपने संदेश को दूर दूर तक पहुंचाने की उनकी क्षमता सबसे महान गुणों में से एक थी। उनका शाश्वत संदेश किसी विशेष समय, स्थान तक ही सीमित नहीं है।

इस अवसर पर मधु पंडित दास ने कहा, मैं डॉ हिंडोल सेनगुप्ता को इस कार्य के लिए बधाई देता हूं। उन्होंने श्रील प्रभुपाद के अनुकरणीय व्यक्तित्व को बाहर लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। एक वैज्ञानिक आंदोलन, एक विज्ञान जिसकी कोई सीमा नहीं है।

(आईएएनएस/AV)

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