पुलिस की डीपी लगा कर पुलिस वाले को ठगा

साइबर अपराधी लगातार लोगों को निशाना बनाकर उनसे ठगी कर रहे हैं। साथ ही साथ अब वह आम आदमी के साथ-साथ पुलिस वालों को भी नहीं छोड़ रहे हैं।
साइबर अपराधी लोगों को निशाना बनाकर उनसे ठगी कर रहे हैं।साथ ही साथ अब वह आम आदमी के साथ-साथ पुलिस(Police) वालों को भी नहीं छोड़ रहे हैं। (Image: Wikimedia Commons)
साइबर अपराधी लोगों को निशाना बनाकर उनसे ठगी कर रहे हैं।साथ ही साथ अब वह आम आदमी के साथ-साथ पुलिस(Police) वालों को भी नहीं छोड़ रहे हैं। (Image: Wikimedia Commons)
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साइबर अपराधी लगातार लोगों को निशाना बनाकर उनसे ठगी कर रहे हैं। साथ ही साथ अब वह आम आदमी के साथ-साथ पुलिस(Police) वालों को भी नहीं छोड़ रहे हैं।

 ताजा मामला गाजियाबाद के विजयनगर का है, जहां पर थाने में तैनात एक दरोगा से उसका मित्र बन और उसके मित्र की फोटो अपने व्हाॅट्सएप डीपी पर लगा कर एक साइबर अपराधी ने उनसे पैसे ठग लिए। घटना का खुलासा तब हुआ, जब दरोगा ने अपने दोस्त के नंबर पर कॉल किया। फिलहाल पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

गजियाबाद के विजयनगर थाने में तैनात दारोगा से साइबर ठगों ने व्हाॅट्सएप पर एक इंस्पेक्टर की डीपी लगाकर पांच हजार रुपये ठग लिए। विजयनगर थाने में तैनात दारोगा शैलेंद्र कुमार गौड़ का कहना है कि उनके पास एक अनजान नंबर से व्हाॅट्सएप पर पैसे के लिए एक मैसेज आया। इस पर शैलेंद्र ने पांच हजार रुपये भेज दिए। गजियाबाद के विजयनगर थाने में तैनात दारोगा ने जब इंस्पेक्टर के असली नंबर पर फोन किया, तो उसे सच्चाई का पता चला। मामले में उन्होंने विजयनगर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई है।

साइबर अपराधी लोगों को निशाना बनाकर उनसे ठगी कर रहे हैं।साथ ही साथ अब वह आम आदमी के साथ-साथ पुलिस(Police) वालों को भी नहीं छोड़ रहे हैं। (Image: Wikimedia Commons)
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विजयनगर थाने में तैनात दारोगा शैलेंद्र कुमार गौड़ का कहना है कि उनके पास एक अनजान नंबर से व्हाॅट्सएप पर एक मैसेज आया। इस पर बुलंदशहर पुलिस आफिस में रिट सेल में तैनात इंस्पेक्टर सुशील कुमार गौतम की फोटो लगी थी। मैसेज में 35 हजार रुपये की मदद मांगी गई थी। वह सुशील कुमार गौतम को अच्छी तरह से जानते थे। शैलेंद्र ने अपने पास चार-पांच हजार रुपये होने की बात कहकर पांच हजार रुपये भेज दिए।

इसके बाद दूसरी तरफ से दोस्त के भाई का एक्सीडेंट होने की बात कहकर पांच हजार रुपये और मांगे गए। शैलेंद्र ने उस नंबर पर फोन मिलाया, लेकिन कॉल नहीं लगी। उसके बाद उन्होंने इंस्पेक्टर के असली नंबर पर कॉल किया और उसे बात की तब दरोगा को अपने साथ हुई ठगी का पता चला। (IANS/AK)

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