दिल्ली हाईकोर्ट(Delhi Highcourt) ने वर्ष 2010 के राष्ट्रमंडल खेल घोटाले(Commonwealth Games scam) से संबंधित पुनरीक्षण याचिका को खारिज करते हुए कहा कि भ्रष्टाचार समाज को धीमी मौत देता है और यह घोटाला एक गंभीर आर्थिक मसला है, जिससे देश का विकास प्रभावित हुआ है। जस्टिस चंद्रधारी सिंह(Justice Chandradhari Singh) ने शुक्रवार को कहा कि भ्रष्टाचार के कारण समाज का गरीब और कमजोर तबका सुविधाओं से और महरूम होता है। इसी वजह से भ्रष्टाचार को खत्म करने की पूरी कोशिश की जानी चाहिए।
हाईकोर्ट(Delhi Highcourt) की पीठ ने राष्ट्रमंडल खेल की आयोजन समिति के तत्कालीन महानिदेशक रहे वी.के. वर्मा की पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि अंत में कुछ लोगों के भ्रष्ट होने का खामियाजा पूरा समाज और कमजोर तबके के लोग भुगतते हैं।
पीठ(Delhi Highcourt) ने कहा कि अगर निचली अदालत को लगता है कि सबूत प्रथम दृष्टतया आरोप तय करने के लिए काफी हैं तो यह उसके अधिकार क्षेत्र में है कि वह आरोपी के खिलाफ कार्रवाई करे। हाईकोर्ट ने पुनरीक्षण याचिका खारिज कर दी। वी.के. वर्मा सीबीआई कोर्ट के 2017 में जारी आदेश को रद्द कराने के लिए हाईकोर्ट पहुंचे थे।
प्राथमिकी के मुताबिक वर्मा और अन्य अधिकारी कॉम्पैक्ट डिस्क इंडिया लिमिटेड(Compact Disc India Limited) के अध्यक्ष एवं प्रीमियर ब्रांड्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक सुरेश कुमार सिंघल के साथ आपराधिक षड्यंत्र में शामिल हुए। आरोप है कि उन्होंने सिंघल की कंपनी को तरजीह देते हुए 7.05 करोड़ रुपये की न्यूनतम रॉयल्टी के साथ उसे राष्ट्रमंडल खेल का ऑफिशियल मास्टर लाइसेंसी नियुक्त कर दिया।
कंपनी ने इससे काफी कमाई की, लेकिन उसने समिति को कुछ भी नहीं दिया और उसके द्वारा दिया गया साढ़े तीन करोड़ रुपये का चेक भी उसके निर्देश पर बैंक ने भुनाने से मना कर दिया। इससे सिंघल को लाभ हुआ, लेकिन सरकारी खजाने को नुकसान हुआ।
आईएएनएस(LG)