
अब अंग प्रत्यारोपण के लिए डोमिसाइल की जरूरत नहीं (IANS)
'एक राष्ट्र, एक नीति'
न्यूजग्राम हिंदी: केंद्र देश में अंगदान और परिवहन के लिए 'एक राष्ट्र, एक नीति' विकसित करने पर विचार कर रहा है। स्वास्थ्य मंत्रालय के एक सूत्र ने कहा, "केंद्र ने डोमिसाइल की जरूरत खत्म करने का निर्णय लिया है और सभी राज्यों को इसके बारे में सूचित कर दिया गया है। अब जरूरतमंद व्यक्ति देश के किसी भी राज्य में जाकर अंग प्राप्त करने के लिए पंजीकरण करा सकता है और प्रत्यारोपण भी करवा सकता है। राज्यों की दान नीति के तहत अंग दान करने के लिए जरूरतमंद व्यक्ति के अधिवास की जरूरत होती है।"
सूत्र ने कहा कि केंद्र ने राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (National Organ and Tissue Transplant Organization) के दिशा-निर्देशों में एक खंड को हटाने का फैसला किया है, क्योंकि यह खंड जीवन के अधिकार का हनन करता है।
सूत्र ने कहा, "अब किसी भी उम्र का व्यक्ति अंग प्रत्यारोपण के लिए पंजीकरण करा सकता है।"
दिशा-निर्देशों के अनुसार, 65 वर्ष से अधिक आयु के लोगों पर अंग प्राप्त करने और अंग दान के लिए पंजीकरण कराने पर प्रतिबंध है। हालांकि, केंद्र ने इस उम्र सीमा को खत्म करने का फैसला किया है। सूत्र ने कहा कि अब किसी भी उम्र का व्यक्ति अंग प्राप्त करने के लिए पंजीकरण करा सकेगा।
भारत सरकार ने 9 जनवरी को इस नीति को लागू करने के लिए सभी राज्यों के साथ परामर्श बैठक की थी। पिछले साल सितंबर में डॉक्टरों ने सरकार को अनिवार्य मृतक अंग दान पर जोर देने की सलाह भी दी थी।
राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन
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सूत्रों ने कहा, "हम अंगदान के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए स्कूली पाठ्यक्रम में एक अध्याय शुरू कर रहे हैं।"
स्वास्थ्य मंत्रालय से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, कुल अंग प्रत्यारोपण 2013 में 4,990 से बढ़कर 2022 में 15,561 हो गया। 15,561 प्रत्यारोपणों में से अधिकांश - 12,791 (82 प्रतिशत) जीवित अंग प्रत्यारोपण हैं और 2,765 (18 प्रतिशत) मृत अंग या शव से निकाले गए अंग के प्रत्यारोपण हैं।
आईएएनएस/PT