केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने शनिवार को 'सबका साथ, सबका विकास' के तहत राष्ट्रीय लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए सरकारी संचार को महत्वपूर्ण बताते हुए '5-C' (सरकारी संचार के लिए मंत्र) को अपनाने का आह्वान किया।
उन्होंने उन पांच प्रमुख विशेषताओं को रेखांकित किया, जिन्हें निश्चित रूप से सरकारी संचार का अहम हिस्सा होना चाहिए। इनमें ये शामिल हैं- नागरिक-केंद्रित एवं संवेदना, लक्षित दर्शकों/श्रोताओं के साथ सह-सृजन, सहयोग, चिंतन और निरंतर क्षमता वृद्धि।
इस बारे में विस्तार से बताते हुए उन्होंने कहा कि नागरिकों को ध्यान में रखते हुए सभी संवाद अवश्य ही प्रासंगिक और समझने में आसान होने चाहिए। इसके अलावा, उन्होंने सरकारी निकायों, संस्थानों और निजी क्षेत्र सहित समस्त हितधारकों या संबंधित पक्षों के साथ सहयोग करने के विशेष महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, "चूंकि संचार क्षेत्र काफी तेजी से बदल रहा है, जिसमें फर्जी खबर जैसी आगामी चुनौतियां भी शामिल हैं, इसलिए संप्रेषकों या संचारकों के लिए तेज-तर्रार और अनुकूल होना अत्यंत आवश्यक है, जैसा कि हाल ही में कोविड-19 महामारी के दौरान देखा गया था।"
ठाकुर ने फर्जी खबरों से निपटने के लिए फैक्ट चेक यूनिट का विस्तार करने और दिव्यांगजनों की आवाजाही को बेहतर करने जैसी परिवर्तनकारी पहल करने में IIS अधिकारियों की अहम भूमिका की सराहना की। उन्होंने नई मीडिया प्रौद्योगिकियों, संस्था निर्माण और राज्य सरकारों के साथ समुचित समन्वय के विशेष महत्व पर प्रकाश डालते हुए अंतिम व्यक्ति को लाभान्वित करने के लिए सरकारी संचार की प्रभावकारिता को और बेहतर करने के लिए बहुमूल्य विचारों एवं पहलों को भी सामने रखा।
मंत्री ने सभी अधिकारियों से 130 करोड़ लोगों के लिए उत्कृष्ट संप्रेषकों या संचारकों के रूप में अपनी भूमिका के विशेष महत्व को बखूबी समझने का आह्वान किया। केंद्रीय मंत्री ने आम जनता तक पहुंच बढ़ाने के लिए समकालिक संप्रेषण और बात कहने की कला के विशेष महत्व को रेखांकित किया।
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केंद्रीय मंत्री ने विज्ञान भवन में भारतीय सूचना सेवा के अधिकारियों के तीसरे वार्षिक सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस अवसर पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव अपूर्व चंद्रा और प्रधान महानिदेशक जयदीप भटनागर, सत्येंद्र प्रकाश, वेणुधर रेड्डी और मयंक कुमार अग्रवाल उपस्थित थे।
प्रधान महानिदेशक जयदीप भटनागर ने अपनी टिप्पणी में कहा कि सशक्तिकरण और पहुंच, नागरिक केंद्रित चौबीसों घंटे जुड़ाव, व्यवहार में परिवर्तन संबंधी संचार और फर्जी व भ्रामक खबरों का मुकाबला करने की दिशा में काम करने पर इस सेवा का ध्यान प्रमुख रूप से केंद्रित है। उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में सूचना के विस्फोट के कारण उनकी भूमिका विकसित और विस्तृत हुई है, जिससे नई प्रक्रियाओं व उपकरणों की पुनर्कल्पना की गई है और उनका समावेश किया गया है।
संचार का क्षेत्र मूल रूप से गतिशील है, इसे देखते हुए ये दो दिवसीय सम्मेलन उभरती हुई चुनौतियों और भविष्य में अत्याधुनिक संचार की रूपरेखा पर विचार-विमर्श करेगा।
(आईएएनएस/AV)