न्यूज़ग्राम हिंदी: विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस (WPFD) के अवसर पर ‘रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स’ (RSF) द्वारा विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक का 20वाँ संस्करण प्रकाशित किया गया। रिपोर्ट में भारत को 180 देशों में 150वें स्थान पर रखा गया है। इस रिपोर्ट के माध्यम से हिंदुस्तान में मीडिया की बत्तर होती जा रही स्थिति साफ समझ आ रही है।
लेकिन एक पत्रकारिता के छात्र होने के नाते मेरा पेशा मुझको इस चीज की अनुमति नहीं देता की मै किसी भी रिपोर्ट को पत्थर की लकीर मान लूं, फिर क्या था इस रिपोर्ट का चिरफाड़ किया तो कई ऐसे तथ्य मिले जों इस रिपोर्ट पर प्रश्न खड़े करने लगी।
खैर पहले यह जानना जरूरी है कि ‘रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स’ (RSF) किस संस्था का नाम है, जो हर साल विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक निकालने का जिम्मा लेती है।
पेरिस में स्थित RSF संयुक्त राष्ट्र, यूनेस्को, यूरोपीय परिषद् और फ्रैंकोफोनी के अंतर्राष्ट्रीय संगठन (OIF, 54 फ्रेंच भाषी राष्ट्रों का एक समूह) के परामर्शी स्थिति के साथ एक स्वतंत्र गैर-सरकारी संगठन है। OIF, पत्रकारों के लिये उपलब्ध स्वतंत्रता के स्तर के अनुसार यह सूचकांक देशों और क्षेत्रों को रैंक प्रदान करता है।
भारत 2022 में 180 देशों में 142वें में से आठ पायदान गिरकर 150वें स्थान पर आ गया है। भारत 2016 के सूचकांक में 133वें स्थान पर था इसके बाद से उसकी रैंकिंग में लगातार गिरावट आ रही है।
रैंकिंग में गिरावट के पीछे का कारण "पत्रकारों के खिलाफ हिंसा" और "राजनीतिक रूप से पक्षपातपूर्ण मीडिया" में वृद्धि होना बताया गया है। सूचकांक के अनुसार, भारत में मीडिया सरकारों के दबाव का सामना कर रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत मीडियाकर्मियों के लिये भी दुनिया के सबसे खतरनाक देशों में से एक है। पत्रकारों को पुलिस हिंसा, राजनीतिक कार्यकर्त्ताओं द्वारा घात लगाकर हमला करने और आपराधिक समूहों या भ्रष्ट स्थानीय अधिकारियों द्वारा घातक प्रतिशोध सहित सभी प्रकार की शारीरिक हिंसा का सामना करना पड़ता है।
विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में नॉर्वे ने पहला, डेनमार्क ने दूसरा, स्वीडन ने तीसरा तो एस्टोनिया ने चौथा स्थान प्राप्त किया है। इसके अलावा फिनलैंड ने भी शीर्ष पाँच मे स्थान हासिल किया है। आपको बता दे, हमारा पड़ोसी देश नेपाल वैश्विक रैंकिंग में 30 अंकों की बढ़त के साथ 76वें स्थान पर पहुँच गया है। बात अगर नीचे से पहले की होतो उत्तर कोरिया 180 देशों की सूची में सबसे नीचे रहा। वही युद्ध का सामना करने वाले रूस को 155वें स्थान पर रखा गया है।
गौरतलब है कि सूचकांक में भारत से पहले ऐसे देश शामिल है जो कई मायनों में इस रिपोर्ट पर प्रश्न खड़े करता है। इस्लामिक देशों का उलेमा बनेने मे तुला टर्की का स्थान भारत से पहले यानि 149 वें स्थान पर है। जबकि अगले साल 154 वां स्थान हासिल किया था।
आपको बता दें टर्की में राष्ट्रपति एर्दोगन के अधीन तुर्की सरकार देश में प्रेस की स्वतंत्रता का दमन कर रही है। कई वर्षों से सरकार मीडिया पर लगभग पूर्ण नियंत्रण का प्रयोग कर रही है। टर्की में मीडिया की स्थिति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है की वहाँ कोई पत्रकार सरकार खासतौर पर एर्दोगन के खिलाफ नहीं बोल सकता। बोलने पर कई पत्रकारों को आपनी जान से हाथ भी धोना पड़ा है।
वहीं भारत से दो स्थान पहले 148 वें स्थान हॉन्ग कोंग है। हॉन्ग कोंग में चीनी सरकार ने पूरी तरह से सारी गतिविधि चला रही है। वहाँ मीडिया पर पूरी तरह पाबंदी है। लेकिन आश्चर्य तो यह है कि इन चीजों के बाद भी हॉन्ग कोंग को हमसे शीर्ष पर रख दिया गया है।
इसके अलावा 122 वे स्थान पर कजकिस्तान को रखा गया है, जहां आंतरिक अशान्ति होने पर आर्मी को बुलाना पड़ गया था। यहाँ की सरकार ने कई मीडिया वेबसाईट को बैन कर के रखा है। इन अकड़ों पर विश्वास करना तब और कठिन हो गया जब पाकिस्तान के ऊपर आतंकवादीयो द्वारा चलाने वाले देश को रख दिया गया। सूचकांक में 156 वें स्थान पर अफगानिस्तान है जबकि पाकिस्तान का 157 व स्थान है।