Heat Wave से भारत त्रस्त

Heat Wave से त्रस्त भारत [Wikimedia Commons]
Heat Wave से त्रस्त भारत [Wikimedia Commons]
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मई और जून में नज़र आने वाली हीट वेव (Heat Wave) का असर इस साल मार्च और अप्रैल में ही नज़र आ गया। पिछले महीने की बात करें तो राजधानी दिल्ली (Delhi) का तापमान लगातार सात दिनों तक 40 डिग्री के नीचे आने का नाम ही नहीं ले रहा था। यह अप्रैल महीने के औसत तापमान से लगभग 3 डिग्री अधिक था। भारत के मौसम विभाग ने बताया कि इस बार अप्रैल का महीना उत्तर-पश्चिम और मध्य भारत में सबसे ज़्यादा गर्म रहा। और कई जगहों पर हीट वेव (Heat Wave) ने इंसानों को काफी त्रस्त किया है।

भारत (India) के साथ-साथ पाकिस्तान (Pakistan) में भी कई हिस्सों में तापमान के नए रिकॉर्ड सामने आये हैं। वैज्ञानिक और एक्सपर्ट्स इस तापमान की बढ़ोत्तरी को एक बड़ा खतरा मान रहे हैं जिसका असर दोनों देशों के साथ-साथ भारतीय उपमहाद्वीपों पर भी नज़र आ रहा है। इस हीट वेव के चलते करोड़ों लोगों की जान पर बन आई है।

बिजली संकट के साथ-साथ हीट वेव लोगों के लिए जंजाल [सांकेतिक, Wikimedia Commons]
बिजली संकट के साथ-साथ हीट वेव लोगों के लिए जंजाल [सांकेतिक, Wikimedia Commons]

इसके चलते पश्चिम बंगाल (West Bengal), ओडिशा (Odisha) समेत कई राज्यों ने अपने स्कूल बंद कर दिए गए हैं, तो कई राज्यों में फसलों का काफी नुक्सान हुआ है। डीएनए हिंदी के खबर के अनुसार पश्चिम बंगाल में हीट वेव के चलते कई बच्चों के नाक से खून आने लगा था जिसके कारण वहां की मुख्यमंत्री को स्कूल बंद करना पड़ा। हीट वेव (Heat Wave) का सबसे ज़्यादा असर गेहूं और बाकी की फसलों पर दिखा है जिसके चलते पंजाब जैसे राज्य में काफी नुक्सान हुआ है। पंजाब (Punjab) के कृषि निदेशक गुरविंदर सिंह का कहना है कि अप्रैल में तापमान 7 डिग्री के औसत से बढ़ा है जिसके कारण गेंहू की फसल ख़ास तौर पर प्रभावित हुई है।

वैसे भारत के मौसम विभाग (Indian Meteorological Department) ने अनुमान लगाया है कि इस हफ्ते तापमान में 3 से 4 डिग्री तक की कमी आ सकती है। पर फिर भी एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस तरह की गर्मी से जुड़ी समस्याएं अभी और भी बढ़ सकती हैं। जहाँ देश में बिजली संकट सामने है वहां गर्मी उसे और ज़्यादा प्रचंड करती जा रही है। अन्तर गवर्नमेंट पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (Inter Government Panel On Climate Change) के मुताबिक भारत भी जलवायु से परेशान होने वाले देशों में शामिल है।

आईपीसीसी की सीनियर रिसर्चर डॉ. चांदनी सिंह ने हीट वेव को बाहर काम करने वाले किसानों, मजदूरों और अन्य कर्मियों के लिए ज़्यादा खतरा बताया है। वो कहती है कि इन कर्मियों के पास दूसरा कोई विकल्प नहीं और वो गर्मी से ऐसे बच भी नहीं सकते।

हालाँकि पिछले कई सालों में केंद्र और राज्य सरकारों ने गर्मी से आराम दिलाने के लिए कई कदम उठाये हैं जिसके तहत स्कूल बंद करना, हेल्थ अडवाइजरी जारी करना, इत्यादि। पर अब वो काफी नहीं है। डॉ. चांदनी के मुताबिक़ अब हमें कोई हीट एक्शन प्लान को अपनाना होगा।

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