भारत ने बुधवार को कहा कि वह उन देशों के लिए गेहूं निर्यात की अनुमति देना जारी रखेगा, जिन्हें इसकी काफी जरूरत है, जो मित्रवत हैं और जिनके पास लेटर ऑफ क्रेडिट है। भारत ने यह बात यह स्पष्ट करते हुए कही कि वह गेहूं के अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कभी भी पारंपरिक आपूर्तिकर्ता नहीं रहा है।
केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल ने स्विट्जरलैंड के दावोस में आयोजित विश्व आर्थिक मंच के सम्मेलन में यह टिप्पणी की। गोयल ने कहा, "भारत गेहूं के अंतरराष्ट्रीय बाजार में कभी भी पारंपरिक आपूर्तिकर्ता नहीं था और लगभग 2 साल पहले ही गेहूं का निर्यात शुरू किया था।
पिछले साल 7 लाख मीट्रिक टन गेहूं का निर्यात किया गया था और इसमें अधिकांश पिछले दो महीनों के भीतर किया गया, जब रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू हुआ था।" उन्होंने कहा, "भारत उन देशों के लिए गेहूं निर्यात की अनुमति देना जारी रखेगा, जिन्हें इसकी काफी जरूरत है, जो मित्रवत हैं और जिनके पास लेटर ऑफ क्रेडिट है।"
इस दौरान गोयल ने इस बात को रेखांकित किया कि इस वर्ष गेहूं के उत्पादन में 7 से 8 फीसदी की बढ़ोतरी की उम्मीद थी, लेकिन लू के कारण फसल की कटाई जल्दी हुई और इसके उत्पादन में कमी आई है। उन्होंने आगे कहा, "इस स्थिति को देखते हुए हम जितना उत्पादन कर रहे हैं, वह घरेलू खपत के लिए पर्याप्त है।"
मंत्री ने आगे कहा, "भारत का गेहूं निर्यात इसके विश्व व्यापार के एक फीसदी से कम है और हमारे निर्यात पर रोक से वैश्विक बाजारों को प्रभावित नहीं होना चाहिए। हमने गरीब देशों और पड़ोसियों को निर्यात की अनुमति देना जारी रखा है।"
इस वर्ष भारत का गेहूं उत्पादन 106.41 मिलियन टन रहने का अनुमान है, जो पिछले वर्ष की तुलना में तीन प्रतिशत कम है। सरकार ने पिछले महीने की शुरुआत में घोषणा की थी कि वह पूरी दुनिया में गेहूं का निर्यात कर सकती है और अगर निर्यात बढ़ने से किसानों की बेहतर कमाई होती है तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है।
हालांकि, हफ्तों के भीतर, सरकारी खरीद में गिरावट के बाद, इसने यू-टर्न लिया और कहा कि अपने लोगों को उपलब्ध कराना प्राथमिकता है और इसके साथ ही, सरकार पड़ोसियों सहित वास्तविक जरूरतमंद देशों को भी निर्यात करेगी।
आईएएनएस (LG)