राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघ चालक डा. मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने कहा है कि अखंड भारत के लेागों का 40 हजार वर्ष पहले से एक डीएनए है।
संघ प्रमुख इन दिनों छत्तीसगढ़ (Chattisgarh) के प्रवास पर है। उन्होंने पीजी कॉलेज (PG. College) मैदान में सभा को सम्बोधित करते हुए कहा, हम सबके पूर्वज समान है। आज का विज्ञान डीएनए मैपिंग के बाद कहता है कि 40 हजार वर्ष पहले से जो अखंड भारत था, काबुल के पश्चिम से छिंदविन नदी के पूर्व तक, तिब्बत के उत्तर की ढलान से यानि चीन (China) की तरफ की ढलान से श्रीलंका (Srilanka) के दक्षिण तक जो मानव समूह आज है उन सबका डीएनए 40 हजार वर्षों से एक सामान है। तब से हम सबके पूर्वज समान है।
उन्होंने आगे कहा, हमें पूर्वजों ने यही सिखाया है कि अपनी अपनी पूजा है और उस पर पक्के रहें। अपनी भाषा है उसे बोलो और विकास करो। हम जहां रहते हैं वहां का खान पान उचित है। अपनी आकांक्षाओं को पूर्ण करो लेकिन सबकी पूजा का आदर करो क्योंकि सबकी पूजा उतनी ही सत्य है जितनी मेरी है। किसी की पूजा को बदलने का प्रयास मत करो। सभी अपने अपने रास्तों से चलो और सबके रास्तों का सम्मान करो। सभी रीति रिवाज व खान पान का सम्मान करो। सबको स्वीकार करके अपनी राह पर चलो और अपनी आकांक्षा पूर्ण करते समय सबकी आकांक्षा पूर्ण हो सके ऐसी परिस्थिति बनाओ।
सरसंघ चालक ने कहा कि देश में सभी जातियों, पंथ सम्प्रदायों में, सभी भाषाओं के बोलने वालों में और सभी राजनैतिक विचारधाराओं में एक बात समान हैं कि हमें जोड़ने वाली पीढ़ी दर पीढ़ी चलती आई हमारी संस्कृति है। हम सब कितना भी आपस में लड़ें लेकिन अगर भारत पर संकट आए तो हम अपने झगड़े भूल जाते हैं और संकट के प्रतिकार में एकत्रित हो जाते हैं। कोरोना संक्रमण काल में भी में पूरा देश एक होकर खड़ा रहा। दो वर्षों तक सभी ने मिलकर कष्ट सहते हुए अपनी सहभागिता निभाई। जब देश पर आक्रमण हुए और देश संकट में हुआ तो आपस के भेद भूलकर हम लड़ने के लिए खड़े हो गए। चीन के आक्रमण के समय तमिलनाडु (Tamilnadu) के मुख्यमंत्री अन्ना दुराई ने कहा था तमिलनाडु अलग है और भारत अलग है लेकिन चीन का आक्रमण होते ही उन्होंने आह्वान किया हिमालय पर हमला तमिलनाडु पर हमला है।
सरसंघ चालक ने कहा कि हम 1925 से कह रहे हैं कि भारत में सब लोग हिन्दू हैं। जो भारत को अपनी माता मानता है, मातृभूमि मानता है। भारत की विविधता में एकता वाली संस्कृति को जीना चाहता है उसके लिए प्रयास करता है। चाहे वह पूजा किसी की करें, या ना करें, भाषा कोई भी बोले। खान पान रीति-रिवाज अलग हो। वेश भूषा अलग हो लेकिन वो सब हिन्दू हैं। क्योंकि हिंदुत्व नाम का विचार दुनिया में ऐसा है जो विविधताओं को एक करना सम्भव मानता है। उसने इन सब विवधताओं को हजारों वर्षों से इस भारत की भूमि में एक साथ चलाया है। यह सत्य है और इसे संघ डंके की चोट पर बोलता है। इसके आधार पर हम एक हो सकते हैं। जब संघ शुरू हुआ तब इस विचार की मान्यता नहीं थी। संघ के पास कुछ नहीं था लेकिन आज एक भारत व्यापी संगठन बना है और बढ़ते चला जा रहा है व पूरे समाज को संगठित बनाएगा तभी इसका काम रुकेगा। हमें सभी भारतवासियों के एकता की आदत डालनी है।
आईएएनएस/PT