बीस हजार से ज्यादा चीतल : कूनो राष्ट्रीय उद्यान

कूनो राष्ट्रीय उद्यान में 20 हजार से ज्यादा चीतल हैं और यहां बाहर से चीतल लाने की जरुरत नहीं है।
कूनो राष्ट्रीय उद्यान में 20 हजार से ज्यादा चीतल
कूनो राष्ट्रीय उद्यान में 20 हजार से ज्यादा चीतलWikimedia

मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के श्योपुर (Sheopur) जिले का कूनो राष्ट्रीय उद्यान (Kuno National Park) इन दिनों देश-दुनिया में चर्चा में है क्योंकि यहां नामीबिया (Namibia) से आठ चीतों को लाया गया है। यह ऐसा राष्ट्रीय उद्यान है जहां 20 हजार से ज्यादा चीतल हैं और यहां बाहर से चीतल लाने की जरुरत नहीं है। प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य-प्राणी) जसबीर सिंह (Jasbir Singh Chauhan) चौहान ने बताया कि मध्यप्रदेश के वनों में बड़ी संख्या में चीतल हैं। वर्तमान में राष्ट्रीय उद्यान कान्हा में 30 हजार, पेंच में 50 हजार, बांधवगढ़ में 30 हजार और सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान में 10 हजार चीतल हैं। संजय राष्ट्रीय उद्यान (Sanjay National Park) और नौरादेही अभयारण्य (Nauradehi Forest Sanctuary) में चीतलों की संख्या कम है।

अंतर्राज्यीय वन्य-प्राणी स्थानांतरण के लिये भारत सरकार एवं संबंधित राज्यों की सहमति आवश्यक होती है। मध्यप्रदेश में चीतलों की संख्या पर्याप्त मात्रा में होने से यहां अन्य राज्यों से चीतल लाने की कोई आवश्यकता नहीं है। प्रदेश में वर्ष 2015 से सक्रिय वन्य-प्राणी प्रबंधन किया जा रहा है, जिसमें राज्य में एक अभयारण्य या राष्ट्रीय उद्यान से दूसरे में पशुओं को स्थानांतरित किया जाता है। इसके माध्यम से पयार्वास को बचाये रखने के लिये वन्य-प्राणियों के जैविक दबाव को कम किया जाता है।

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प्रधान मुख्य वन संरक्षक चौहान ने बताया कि प्रदेश में वन्य-प्राणियों के अच्छे प्रबंधन एवं उनके संरक्षण में विश्नोई समाज (Bishnoi Community) का सराहनीय योगदान है। विश्नोई समाज की अमृता देवी(Amrita Devi) के नाम पर वन्य-प्राणी संरक्षण के क्षेत्र में योगदान के लिये पुरस्कार दिये जाते हैं।

ज्ञात हो कि अभी हाल ही में कूनो राष्ट्रीय उद्यान में आठ चीते लाए गए है, इन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(Prime Minister Narendra Modi) ने विमुक्त किया था। यहां लाए गए चीतों के भेाजन का इंतजाम भी जरुरी है, लिहाज ऐसे वन्य प्राणियों की जरुरत होगी जिसे चीते अपना ग्रास बना सकें।

(आईएएनएस/PT)

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