

कार्यक्रम के दौरान जब पारंपरिक नगाड़ों और ड्रमों की धुनें गूंजीं, तब सिंधिया (Sindhiya) भी खुद को रोक नहीं पाए। वे वहां मौजूद समुदाय के सदस्यों के साथ पारंपरिक नृत्य करने लगे दिखे। उनके चेहरे की सहज मुस्कान और कदमों की लय ने वहां मौजूद लोगों का मन मोह लिया। स्थानीय लोगों ने गर्मजोशी से उनका स्वागत किया, जिसका जवाब सिंधिया ने उसी आत्मीयता के साथ दिया। इससे जुड़ा एक वीडियो भी सामने आया।
सांस्कृतिक प्रस्तुतियों में शामिल होने के बाद सिंधिया ने कहा कि पूर्वोत्तर के प्रति उनका लगाव केवल औपचारिक नहीं, बल्कि आत्मिक है। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर की संस्कृति को केवल देखा नहीं जाता, इसे आत्मा से महसूस किया जाता है। अंगामी समुदाय की ऊर्जा, अनुशासन और सांस्कृतिक (Cultural) समृद्धि अद्भुत है।
अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पारंपरिक नृत्य का वीडियो शेयर करते हुए सिंधिया ने पोस्ट में लिखा, "जब अंगामी ड्रम बजते हैं, तो आप खड़े नहीं रहते, आप उनके साथ नाचते हैं। नागालैंड के अद्भुत उत्साह, ऊर्जा और जीवंत संस्कृति की गर्मजोशी के लिए हृदय से आभारी हूं।"
बता दें कि इससे पहले भी कई मौके पर ज्योतिरादित्य सिंधिया का अनोखा अंदाज दिखा है। अक्टूबर में दशहरा के दौरान ग्वालियर में उनका राजशाही अंदाज देखने को मिला था। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) और पुत्र महान आर्यमन सिंधिया (Mahanaaryaman Scindia) राजसी वेशभूषा पहनकर देवघर पहुंचे थे और करीब आधे घंटे तक पूजा अर्चना की। पूजन के बाद सिंधिया ने महाआरती भी की है।
इसके बाद, उन्होंने रियासतकालीन परंपरा के तहत राज दरबार लगाया, जिसमें सिंधिया रियासत के सरदारों ने ज्योतिरादित्य सिंधिया और आर्यमन सिंधिया का स्वागत किया। इस मौके पर सिंधिया की रियासत के सरदारों और परिवारों के सदस्यों से भी बातचीत हुई।
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