![प्रोजेक्ट को डिजाइन करने के लिए उनके निर्माण तक में इंजीनियर का बहुत बड़ा रोल होता है। [pixabay]](https://gumlet.assettype.com/newsgram-hindi%2F2023-09%2Feee4830e-3025-4f4f-a781-1271dd61fde4%2Fistockphoto_1165441364_170667a.webp?auto=format%2Ccompress&fit=max)
National Engineers Day: आज इंजीनियर डे के उपलक्ष में इंजीनियर को सम्मान और बधाई देते हुए पीएम मोदी ने एम विश्वेश्वरैया को याद किया। इंजीनियर को राष्ट्र का निर्माता कहा जाता है क्योंकि वह हमारी सोच को एक वास्तविक रूप देते हैं किसी भी प्रोजेक्ट को डिजाइन करने के लिए उनके निर्माण तक में इंजीनियर का बहुत बड़ा रोल होता है। ऐसे ही इंजीनर्स को सम्मान देने के लिए हर साल 15 सितंबर को नेशनल इंजीनियर डे मनाया जाता है लेकिन इस दिन को मनाने के लिए 15 सितंबर ही क्यों चुना गया इसके पीछे भी एक बहुत बड़ी वजह तो आईए जानते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया एक जिसे पूर्व में ट्विटर के नाम से जाना जाता था उसे पर पोस्ट शेयर करते हुए लिखा हम दूरदर्शी इंजीनियर और राजनेता सर एम विशेश्वरया को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। वह वीडियो को नव परावर्तन और राष्ट्र की सेवा करने के लिए प्रेरित करते रहते हैं यहां चिक्काबल्लापुर की झलकियां है जहां मैं इस साल की शुरुआत में अपनी यात्रा के दौरान उन्हें श्रद्धांजलि दी थी।
साथी इस मौके पर पीएम मोदी ने एक वीडियो भी शेयर किया और इसके कैप्शन में लिखा इंजीनियर डे पर सभी मेहनती इंजीनियरों को बधाई उनके अभिनव दिमाग और अथक समर्पण हमारे देश की प्रगति की रीड रहे हैं बुनियादी ढांचे के चमत्कारों से लेकर तकनीकी सफलताओं तक उनका योगदान हमारे जीवन के हर पहलू को छूता है।
एम विश्वेश्वरैया एक महान इंजीनियर थे इनका पूरा नाम मोक्ष गुंडम विशेश्वर था। इन्हें प्रचलित रूप से सर एमवी के नाम से जाना जाता है। सर एमवी को भारत का पहला सिविल इंजीनियर होने का दर्जा प्राप्त है। देश के प्रति उनके योगदान को देखते हुए उनके जन्मदिन की तारीख को इंजीनियर डे के तौर पर चुना गया। एम विश्वेश्वरैया एक साधारण परिवार में जन्मे थे। मात्र 12 वर्ष की उम्र में उनके पिता का निधन हो गया। तमाम कठिनाइयों से गुजरते हुए उन्होंने अपनी स्कूल की पढ़ाई पुरी की। सन 1883 में उन्होंने पुणे के साइंस कॉलेज में सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की और इसके बाद उन्हें सहायक इंजीनियर पद पर सरकारी नौकरी मिल गई। 1912 से लेकर 1918 तक उन्होंने मैसूर के 19वें दीवान के तौर पर काम किया। कृष्णराज सागर बांध भद्रावती आयरन एंड स्टील वर्क्स मैसूर सैंडल आयरन एंड सॉप फैक्ट्री, मैसूर विश्वविद्यालय बैंक ऑफ़ मैसूर समेत अन्याकाई महान उपलब्धियां सिर्फ एमवी के प्रयासों से ही संभव हो सकीं। एमवी विश्वेश्वरैया को किया गया था भारत रत्न से सम्मान।
एम विश्वेश्वरैया के कई योगदान को देखते हुए, आजादी के बाद साल 1955 में उन्हें भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। एक दिलचस्प बात यह है कि विश्वेश्वरैया 100 से भी अधिक जीवित रहे थे और जब तक जिंदा रहे सक्रिय रहे उनके इतने एक्टिव रहने को लेकर एक बार एक व्यक्ति ने उनसे इसका राज पूछा तो विशेश्वर या ने जवाब दिया कि जब कभी भी बुढ़ापा मेरा दरवाजा खटखटा है मैं कह देता हूं कि विशेश्वर या घर पर नहीं है और इससे बुढ़ापा निराश होकर लौट जाता है और फिर उससे मुलाकात नहीं होती।
हर साल बी विशेश्वर्या के जन्म दिवस पर इंजीनियर डे मनाया जाता है और एक संकल्प निर्धारित किया जाता है या यूं कह लीजिए कि एक थीम डिसाइड की जाती है। इस साल 2023 में राष्ट्रीय इंजीनियर दिवस की थीम Engineering for a Sustainable Future यानी सतत भविष्य के लिए इंजीनियरिंग तय की गई है।