National News:- यह किस्सा है 1980 के दशक का, जब पुरे भारत में खालिस्तानियों का विद्रोह शुरू हो रहा था जब खालिस्तानी तलविंदर सिंह परमार का नाम पंजाब में दो पुलिस अधिकारियों की हत्या में सामने आया, जो कनाडा भाग चुका था। उस वक्त कनाडा के प्रधानमंत्री मौजूदा PM जस्टिन ट्रूडो के पिता पियरे ट्रूडो थे। इंदिरा गांधी ने पियरे ट्रूडो से कहा कि वो तलविंदर को भारत को सौंप दें। ट्रूडो ने साफ इनकार कर दिया। इस पर इंदिरा ने नाराजगी भी जताई।3 साल बाद जून 1985 में कनाडा के मांट्रियल से एयर इंडिया कनिष्क विमान ने उड़ान भरी। इसे लंदन होते हुए बॉम्बे जाना था। रास्ते में ही इस विमान में ब्लास्ट हो गया। कुल 329 लोगों की मौत हुई, जिसमें 270 कनाडाई नागरिक भी शामिल थे। ये हमला खालिस्तानियों ने किया था और इसका मास्टरमाइंड था- तलविंदर सिंह परमार। वही तलविंदर जिसे कनाडा ने भारत को सौंपने से इनकार कर दिया था।
1982 में भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कनाडा के उस समय के PM पियरे ट्रूडो से तलविंदर सिंह को भारत को सौंपने के लिए कहा था। पियरे ट्रूडो ने भारत की मांग को नकारते हुए कहा कि राष्ट्रमंडल देशों के बीच प्रत्यर्पण के प्रोटोकॉल लागू नहीं होते, इसलिए वो तलविंदर का प्रत्यर्पण नहीं करेंगे।कनाडा के सीनियर जर्नलिस्ट और खालिस्तानी आंदोलन पर लंबे समय तक रिपोर्टिंग करने वाले टेरी मिलेव्सकी ने अपनी किताब 'Blood for Blood: Fifty Years of the Global Khalistan Project' में इस घटना का जिक्र किया है।उन्होंने इसमें लिखा कि 1982 में इंदिरा गांधी ने खालिस्तानी आतंकियों पर कनाडा के तर्क को खारिज करते हुए पियरे ट्रूडो को फटकार लगाई थी।
कनाडाई प्रतिक्रिया की इंदिरा गांधी समेत सभी भारतीय राजनेताओं ने आलोचना की थी।इसी बीच 1983 में जर्मन पुलिस ने पंजाब में दो पुलिस अफसरों की हत्या के मामले में तलविंदर को गिरफ्तार किया। हालांकि, लगभग एक साल के अंदर ही तलविंदर रिहा हो गया और कनाडा वापस आ गया।
जून 1984 में भारतीय सेना ने स्वर्ण मंदिर से खालिस्तानी उग्रवादियों को उखाड़ फेंकने लिए ऑपरेशन ब्लूस्टार चलाया। इसके बाद प्रवासी भारतीयों के बीच खालिस्तान आंदोलन को बढ़ावा मिला।1984 की गर्मियों में कनाडा के कैलगरी में 20 कनाडाई सिख एक गुरुद्वारे में एकत्र होते हैं। इसी दौरान बब्बर खालसा के टॉप आतंकी तलविंदर सिंह परमार ने भारत के खिलाफ युद्ध की घोषणा की। उसने कहा कि जल्द ही एयर-इंडिया के विमान आसमान से गिर जाएंगे।परमार की स्पीच के ठीक एक साल बाद जून 1985 में कनाडा के मांट्रियल से एयर इंडिया कनिष्क विमान ने उड़ान भरी।
इसे लंदन होते हुए बॉम्बे जाना था। रास्ते में आयरलैंड के तट पर ही इस विमान में ब्लास्ट हो गया। कुल 329 लोगों की मौत हुई, जिसमें 270 कनाडाई नागरिक भी शामिल थे। इन्वेस्टिगेशन में पता चला कि इसका मास्टरमाइंड बब्बर खालसा चीफ तलविंदर सिंह परमार था। वही तलविंदर जिसे कनाडा ने भारत को सौंपने से इनकार कर दिया था।
इन सभी घटनाओं के बाद भारत में धीरे-धीरे खालिस्तानी आंदोलन काम होता गया लेकिन कनाडा में इसकी आग सुलगती रही, जिसकी अग्नि आज तक भारत को विद्रोह के रुप में देखने को मिलती है।