हर साल 8 अक्टूबर को वायुसेना दिवस मनाया जाता है। भारतीय वायुसेना के विमान इस दिन अपना जलवा दिखाते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि वायुसेना दिवस इसी दिन क्यों मनाया जाता है? आइए आज हम आपको भारतीय वायुसेना के इतिहास के बारे में बताते है।
वायुसेना ने इस साल भी अपनी तैयारी पूरी कर ली है वायु सेना दिवस के उपलक्ष में चंडीगढ़ (Chandigarh) में एयरशो होगा।
जिसमे 83 एयरक्राफ्ट (Aircraft) जिनमे 44 फाइटर एयरक्राफ्ट (Fighter Aircraft) 7 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट (Transport Aircraft) , 20 हेलिकॉप्टर और 7 विंटेज एयरक्राफ्ट (Vintage Aircraft) शामिल होंगे। वहीं, 9 एयरक्राफ्ट स्टैंडबाय पर रखे गए हैं। इस बार इस एयर शो में नए लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर भी शामिल होंगे यह इसकी खास बात है।
एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी (Chief Marshal VR Chaudhary) ने मंगलवार को एयर शो से 2 दिन पहले कहा कि भारतीय वायु सेना द्वारा पूर्वी लद्दाख (Ladakh) में वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control) पर चीनी गतिविधियों से निपटने के लिए काफी सही उपाय किए गए हैं।
दुनिया की चौथी सबसे बड़ी वायुसेना होने का गौरव प्राप्त करने वाली भारतीय वायुसेना अपने अस्तित्व में आने के बाद से अब तक अपने ध्येय वाक्य 'नभ: स्पृशं दीप्तम्' के मार्ग पर चल रही है। इस वाक्य का अर्थ है 'गर्व के साथ आकाश को छूना।' वायु सेना का यह ध्येय वाक्य भगवत गीता (The Bhagavad Gita) के 11वें अध्याय से लिया गया है यह कुरुक्षेत्र (Kurukshetra) की युद्धभूमि में महाभारत (Mahabharat) के महायुद्ध के दौरान भगवान श्रीकृष्ण (Shri Krishna) द्वारा अर्जुन (Arjun) को दिए गए उपदेश का एक भाग है। भारतीय वायुसेना अपने सभी कामों को इसी वाक्य के अनुसार करती है। भारतीय वायुसेना का रंग नीला, आसमानी नीला और सफेद है।
'नभ: स्पृशं दीप्तम' (Nabhah-Sprisham Diptam) श्लोक को 21 अप्रैल, 1959 को भारत के राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद (Dr. Rajendra Prasad) द्वारा भारतीय वायु सेना (IAF) का आधिकारिक आदर्श वाक्य बनाया गया है।
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