

पुलिस के अनुसार, पीड़ित से 12 करोड़ रुपए की ठगी किए जाने की शिकायत पर 3 दिसंबर को मुकदमा दर्ज किया गया था। शिकायत मिलते ही टीम सक्रिय हुई और संदिग्ध बैंक खातों को तत्काल फ्रीज करा दिया गया। साथ ही, मुखबिर से मिली जानकारी के आधार पर 5 दिसंबर को आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस ने इस रैकेट से जुड़े 4 आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जबकि यह गैंग चाइनीज साइबर ठगों के संपर्क में रहकर काम करता था।
पुलिस की पूछताछ में यह खुलासा हुआ कि आरोपी (Accused) स्थानीय लोगों के जीएसटी और उद्योग प्रमाणपत्र बनवाकर उनके नाम पर फर्जी फर्में खुलवाते थे। फिर उनका करंट बैंक अकाउंट खुलवाया जाता था, जिसमें देशभर से ठगी की गई रकम डाली जाती थी। गैंग के मुख्य सदस्य तेजपाल और रूपेन्द्र इन खाताधारकों को अपने साथ मुंबई ले जाते, जहां अन्य साथी फर्जी निवेश प्लेटफॉर्म के जरिए बड़ी रकम अलग-अलग खातों में स्थानांतरित करते थे।
ठगी से प्राप्त रकम में से 7 से 10 प्रतिशत तक तेजपाल खुद रखता था, जबकि 3 से 5 प्रतिशत तक खाताधारकों और मिडिलमैन को दिया जाता था। जांच में सामने आया है कि यह गैंग पिछले एक वर्ष से सक्रिय है और अब तक 50 से 60 बैंक खाते ठगी के लिए खुलवा चुका है। विभिन्न राज्यों में इनके खिलाफ 43 शिकायतें दर्ज हैं, जिनमें कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, राजस्थान, दिल्ली और गुजरात में करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी शामिल है।
गिरफ्तार आरोपी अर्जुन सिंह, पंकज गुप्ता, रूपेंद्र पाल और तेजपाल हैं। ये सभी बदायूं के रहने वाले हैं। इनके कब्जे से 5 आईफोन बरामद किए गए हैं, जो ठगी में उपयोग किए जाते थे।
साइबर अपराध (Cyber Crimes) से बचने के लिए पुलिस ने आम जनता से अपील की है कि किसी भी इन्वेस्टमेंट लिंक या ईमेल को बिना जांच न खोलें। सेबी की आधिकारिक वेबसाइट पर ही निवेश संबंधी जानकारी देखें। अज्ञात टेलीग्राम/व्हाट्सएप ग्रुपों में न जुड़ें। शेयर ट्रेडिंग केवल विश्वसनीय डीमैट सेवा प्रदाता के माध्यम से करें। किसी भी ऐप को अजनबी लिंक से डाउनलोड न करें।
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