उपभोक्ता मामले विभाग (Consumer Affairs Department) जल्द ही रेस्तरां और होटलों द्वारा लगाए जाने वाले सेवा शुल्क (Service Charges) के संबंध में हितधारकों द्वारा कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए एक मजबूत ढांचा तैयार करेगा, क्योंकि यह दैनिक आधार पर लाखों उपभोक्ताओं को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करता है। यह बात Consumer Affairs Department द्वारा एक आधिकारिक बयान में कहा गया है। विभाग ने उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह की अध्यक्षता में गुरुवार को यहां रेस्तरां संघों और उपभोक्ता संगठनों के साथ होटल और रेस्तरां में सेवा शुल्क के मुद्दे पर बैठक की।
नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया और फेडरेशन ऑफ होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया सहित प्रमुख रेस्तरां संघों के प्रतिनिधि और मुंबई ग्राहक पंचायत, पुष्पा गिरिमाजी आदि सहित उपभोक्ता संगठन और कार्यकर्ता उपस्थित थे।
बैठक के दौरान उपभोक्ताओं द्वारा Consumer Affairs Department की राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन पर सेवा शुल्क से संबंधित प्रमुख मुद्दों को उठाया गया जैसे सेवा शुल्क की अनिवार्य वसूली, उपभोक्ता की सहमति के बिना डिफॉल्ट रूप से शुल्क जोड़ना, इस तरह के शुल्क को वैकल्पिक और स्वैच्छिक और यदि वे इस तरह के शुल्क आदि का भुगतान करने का विरोध करते हैं, तो उपभोक्ताओं को शर्मिदा करना, आदि विषयों पर चर्चा की गई।
इसके अलावा, विभाग द्वारा प्रकाशित दिनांक 21 अप्रैल, 2017 को होटल/रेस्तरां द्वारा सेवा शुल्क वसूलने से संबंधित निष्पक्ष व्यापार प्रथाओं पर दिशा-निर्देश भी लिए गए थे।
रेस्तरां संघों ने गौर किया कि जब मेनू में Service Charges का उल्लेख किया जाता है, तो इसमें शुल्क का भुगतान करने के लिए उपभोक्ता की निहित सहमति शामिल होती है। सेवा शुल्क का उपयोग रेस्तरां/होटल द्वारा कर्मचारियों और कर्मचारियों को भुगतान करने के लिए किया जाता है और रेस्तरां/होटल द्वारा उपभोक्ता को परोसे जाने वाले अनुभव या भोजन के लिए शुल्क नहीं लिया जाता है।
(आईएएनएस/PS)