एक बार फिर देवी-देवताओं का अपमान, माँ काली को दिखाया सिगरेट पीते, हाथ में LGBTQ झंडा लिए

वकील ने आपत्तिजनक वीडियो क्लिप और फोटो को तत्काल आधार पर इंटरनेट से प्रतिबंधित और हटाए जाने की मांग भी की है।
एक बार फिर देवी-देवताओं का अपमान, माँ काली को दिखाया सिगरेट पीते, हाथ में LGBTQ झंडा लिए
एक बार फिर देवी-देवताओं का अपमान, माँ काली को दिखाया सिगरेट पीते, हाथ में LGBTQ झंडा लिए Leena Manimekalai (IANS)
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2 जुलाई की शाम एक ऐसा ट्वीट और इंस्टा पोस्ट वाइरल होना शुरू होता है जो लाखों हिंदुओं के आस्था को जड़ से ठेस पहुंचा जाता है। देश के कई हिस्सों में धार्मिक ठेस पहुंचाने का मुकदमा दर्ज होता है। जी हाँ हम बात कर रहे हैं भारतीय फिल्म निर्मात्री लीना मणिमेकलई की, जिन्होंने ट्वीटर और इंस्टा पोस्ट पर एक पोस्टर के जरिए बखेड़ा खड़ा कर दिया। विवादित पोस्टर के जरिए इन्होंने माँ काली का अपमान किया। दरअसल इन्होंने अपनी आने वाली डॉक्यूमेंट्री ‘काली’ का पोस्टर जारी किया जिसमें माँ को सिगरेट पीता, और एक हाथ में LGBTQ का झंडा लिए दिखाया गया है।

यह हिन्दू धर्म के लोगों की आस्था पर एक गहरा आघात था, सो बखेड़ा खड़ा होना लाजमी था। लोगों ने अपनी प्रतिक्रियाएं व्यक्त करनी शुरू की, एफआईआर दर्ज हुए, कई ट्वीट्स में लिस और केंद्रीय गृह मंत्रालय को टैग करते हुए इसे बनाने वालों पर कार्रवाई की माँग की गई।

ऐसा नहीं है कि लीना अकेली ही इस दुर्भावना को फैलाने वाली हैं। इससे पहले मोहम्मद जुबेर की रिहाई के समर्थन में भी ये अभियान चला चुकी हैं। मोहम्मद जुबेर पर भी हिन्दू देवी-देवताओं के अपमान के साथ-साथ संतों को हेट-मोंगर्स बोलने के आरोप में FIR दर्ज हो चुकी हैं।

सोमवार को दिल्ली की एक वकील ने लीना मणिमेकलाई के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।

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दिल्ली की एक वकील ने सोमवार को निर्देशक लीना मणिमेकलाई के खिलाफ उनकी नई डॉक्यूमेंट्री के एक विवादास्पद पोस्टर को लेकर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। इस विवादित पोस्टर को मणिमेकलाई ने 2 जुलाई को सोशल मीडिया पर साझा किया था।
एफआईआर में कहा गया है कि, "यह जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्य है, जिसका उद्देश्य आरोपी द्वारा अपने ट्विटर अकाउंट से अत्यधिक आपत्तिजनक वीडियो और फोटो के माध्यम से हिंदू समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना है, जिसे सोशल मीडिया और सभी सार्वजनिक प्लेटफार्मो पर अच्छी तरह से प्रसारित किया जाता है, यह धारा 295 ए, 298, 505 के तहत अपराध है। 67 आईटी अधिनियम और 34 आईपीसी और इसलिए आरोपी के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए।"

वकील ने आपत्तिजनक वीडियो क्लिप और फोटो को तत्काल आधार पर इंटरनेट से प्रतिबंधित और हटाए जाने की मांग भी की है।

अब यहाँ सवाल ये उठता है कि नूपुर शर्मा पर उदयपुर घटना का सारा बोझ डाल देने वाला सुप्रीम कोर्ट क्या इनपर कोई संज्ञान लेगा?

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