130वां संविधान संशोधन बिल: पीएम-सीएम तक की कुर्सी खतरे में, 30 दिन जेल पर छिन जाएगा पद

क्या पीएम-सीएम (Prime Minister and Chief Minister) भी जेल जा सकते हैं ? 130वें संविधान संशोधन बिल (130th Constitutional Amendment Bill) पर मचा घमासान, सरकार का कहना है अपराधी नेता सत्ता में नहीं रह सकते हैं। विपक्ष का मानना है कानून बनेगा राजनीति का हथियार।
क्या प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री को भी गिरफ्तार किया जा सकता है ?
क्या प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री को भी गिरफ्तार किया जा सकता है ?[Sora Ai]
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देश की राजनीति इन दिनों एक अहम सवाल के इर्द-गिर्द घूम रही है, आपको बता दें इस समय का अहम सवाल है क्या प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री (Prime Minister and Chief Minister) को भी गिरफ्तार किया जा सकता है ? इस बहस की वजह है केंद्र सरकार का नया 130वां संविधान संशोधन बिल, (130th Constitutional Amendment Bill) जिसे लेकर संसद से लेकर सड़क तक घमासान मचा हुआ है।

गृह मंत्री अमित शाह ने इस बिल पर साफ कहा है कि अगर कोई प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री गंभीर अपराध में दोषी पाए जाते हैं और जेल जाते हैं तो वो अपने पद पर नहीं बने रह सकते हैं। उनका तर्क है कि “जेल में बैठकर कोई सरकार नहीं चला सकता।” लेकिन विपक्ष का कहना है कि इस कानून का इस्तेमाल राजनीतिक बदले की भावना से किया जा सकता है। इसको समझते हैं कि यह बिल क्या है, इसमें क्या प्रावधान हैं और क्या प्रधानमंत्री वास्तव में गिरफ्तार किए जा सकते हैं।

130वां संविधान संशोधन बिल में क्या है ?

संसद के मानसून सत्र में अमित शाह ने 130वां संविधान संशोधन बिल (130th Constitutional Amendment Bill) पेश किया। इसमें कुछ अहम प्रावधान हैं, जैसे की अगर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री या राज्य मंत्री गंभीर अपराध में गिरफ्तार होते हैं, और अगर उन्हें 30 दिन तक जमानत नहीं मिलती है, तो 31वें दिन उनको पद से हटा दिए जाएंगे।

और पद से हटाने का तरीका दो होगा या तो वो खुद इस्तीफा देंगे, या फिर राष्ट्रपति/राज्यपाल उन्हें पद से हटा देंगे। अगर बाद में कोर्ट से जमानत मिलती है तो वो दोबारा शपथ लेकर पद संभाल सकते हैं। यानी अभी तक संविधान में जो कमी थी, उसे यह बिल भरना चाहता है। क्योंकि मौजूदा व्यवस्था में प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री गिरफ्तार होने के बाद भी पद पर बने रह सकते हैं।

विपक्षी दल इस बिल को लेकर सरकार पर हमलावर हैं। उनका कहना है कि इससे कानून का दुरुपयोग किया जाएगा।
विपक्षी दल इस बिल को लेकर सरकार पर हमलावर हैं। उनका कहना है कि इससे कानून का दुरुपयोग किया जाएगा। [Sora Ai]

विपक्षी दल इस बिल को लेकर सरकार पर हमलावर हैं। उनका कहना है कि इससे कानून का दुरुपयोग किया जाएगा। सरकार झूठे मुकदमों के जरिए विपक्षी नेताओं को जेल भेज सकती है। इससे राज्यों की चुनी हुई सरकारों पर दबाव बनाया जा सकता है। यह कानून संघीय ढांचे और लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला है।विपक्ष का आरोप है कि सत्ता में बैठे लोग इस कानून का इस्तेमाल विपक्ष को कमजोर करने के लिए करेंगे।

इस पर अमित शाह का जवाब है, अगर कोई फर्जी केस होगा तो अदालत तुरंत जमानत दे देगी। भारत की अदालतें आंखें मूंदकर नहीं बैठ सकतीं। अगर किसी को 30 दिन तक जमानत नहीं मिल रही है तो इसका मतलब है कि मामला गंभीर है। ऐसे व्यक्ति को सत्ता में बने रहने का कोई हक नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने खुद को इस कानून के दायरे में रखा है। यानी अगर कभी मोदी जी भी जेल जाते हैं तो उन्हें इस्तीफा देना होगा।

प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री (Prime Minister and Chief Minister) और सांसदों को सिविल मामलों (जैसे कर्ज़ न चुकाना, कॉन्ट्रैक्ट विवाद आदि) में गिरफ्तार नहीं किया जा सकता। Code of Civil Procedure की धारा 135A कहती है कि संसद या विधानसभा का कोई सदस्य अगर सत्र में है या उसके 40 दिन पहले 40 दिन बाद तक सिविल केस में गिरफ्तारी से बचा रहेगा। अगर मामला हत्या, भ्रष्टाचार, बलात्कार या किसी गंभीर अपराध का है, तो प्रधानमंत्री और सांसद भी आम नागरिकों की तरह गिरफ्तार हो सकते हैं।

अगस्त 2022 में उस समय के उपराष्ट्रपति और राज्यसभा सभापति वेंकैया नायडू ने भी यह बात साफ की थी। उन्होंने कहा था की आपराधिक मामलों में सांसद किसी आम नागरिक से अलग नहीं हैं। गिरफ्तारी से बचने का विशेषाधिकार केवल सिविल मामलों में है हत्या, भ्रष्टाचार, बलात्कार जैसे गंभीर मामलों में नहीं है। संसद का सत्र चल रहा हो तब भी सांसद या मंत्री आपराधिक मामलों में गिरफ्तारी से नहीं बच सकते हैं। उन्होंने 1966 में डॉ. जाकिर हुसैन के फैसले का जिक्र भी किया, जिसमें कहा गया था कि गिरफ्तारी से छूट सिर्फ सिविल मामलों तक ही सीमित है।

गृह मंत्री अमित शाह ने इस बिल पर साफ कहा है कि अगर कोई प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री गंभीर अपराध में दोषी पाए जाते हैं और जेल जाते हैं तो वो अपने पद पर नहीं बने रह सकते हैं।
गृह मंत्री अमित शाह ने इस बिल पर साफ कहा है कि अगर कोई प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री गंभीर अपराध में दोषी पाए जाते हैं और जेल जाते हैं तो वो अपने पद पर नहीं बने रह सकते हैं। [Sora Ai]

भारत में सिर्फ दो पद ऐसे हैं जिन्हें पूरी तरह से गिरफ्तारी से छूट मिली है वो पद हैं राष्ट्रपति, राज्यपाल संविधान का अनुच्छेद 361 कहता है कि राष्ट्रपति या राज्यपाल को उनके कार्यकाल के दौरान न तो गिरफ्तार किया जा सकता है और न ही उनके खिलाफ कोई अदालत आदेश जारी कर सकती है। हालांकि, कार्यकाल खत्म होने के बाद उन पर केस चल सकता है और गिरफ्तारी भी हो सकती है।

जनता के लिए यह मुद्दा बहुत ही अहम है यह मुद्दा सिर्फ राजनीतिक दलों की बहस नहीं है। यह सीधे-सीधे जनता और लोकतंत्र से जुड़ा सवाल है। अगर कोई नेता गंभीर अपराध में फंसा है तो उसे सत्ता में बने रहने की अनुमति देना लोकतंत्र का मज़ाक होगा। वहीं अगर इस कानून का इस्तेमाल विपक्ष को डराने और हटाने के लिए हुआ है, तो यह जनता के वोट का अपमान होगा। यानी इस बिल का सही इस्तेमाल होगा या दुरुपयोग यही असली चुनौती है।

जनता के लिए यह मुद्दा बहुत ही अहम है यह मुद्दा सिर्फ राजनीतिक दलों की बहस नहीं है। यह सीधे-सीधे जनता और लोकतंत्र से जुड़ा सवाल है।
जनता के लिए यह मुद्दा बहुत ही अहम है यह मुद्दा सिर्फ राजनीतिक दलों की बहस नहीं है। यह सीधे-सीधे जनता और लोकतंत्र से जुड़ा सवाल है। [Sora Ai]

निष्कर्ष

प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री (Prime Minister and Chief Minister) या मंत्री क्रिमिनल मामलों में गिरफ्तार हो सकते हैं। उन्हें केवल सिविल मामलों में गिरफ्तारी से छूट मिली है। अगर नया बिल पास होता है, तो 30 दिन जेल में रहने के बाद उन्हें पद छोड़ना ही होगा। राष्ट्रपति और राज्यपाल को छोड़कर किसी को भी आपराधिक मामलों में पूर्ण छूट नहीं है। यह बहस आने वाले समय में भारतीय राजनीति का बड़ा मुद्दा बनने वाली है। क्योंकि यह सवाल सिर्फ नेताओं का नहीं, बल्कि लोकतंत्र की साख का है। [Rh/PS]

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